नज़----
चलो हम और तुम फिर से गुमशुदा हो जाएं तो अच्छा।
तेरे संग जो कि ये वादे अगर टूटें।
तो इसमें क्या खता मेरी।।
चलो हम और तुम--------------।।१
भुलाकर मेरे अहसानों को बड़े मगरुर रहते हैं।
जुवान खामोश है उनकी जेहन से विष उगलते हैं।।
ताल्लुक अहमियत खोदे तो फासले लाजिमी बढ़ना।
किसी उजड़ चमन से बहार की उम्मीद क्या करना।।
चलो हम और तुम-------------------।।२
स्वरचित---नज्म रामसेवक गुप्ता ✍️✍️
आगरा यूपी