सिफारिश----
गजल--------
काश मेरी एक सिफारिश मंजूर हो जाती।
तो सरकारी महकमें में नौकरी मिल जाती।।
डिग्रियां कालेज की लेकर घूमता हूं दफ्तरों में
जूते घिसने के सिवाय चेष्टा नाकाम हो जाती।।
तो सरकारी---------------।१
रुठा है खुदा मेरा और रुठी है मेरी फूटी तकदीर
क्या करूं दुआएं मांगी मगर कबूल कहां हो पाती।।
तो सरकारी----------------।।२
सेवक*सबर कर यकीन, परिश्रम पर द्रढ़ रखना
फतह सिर चढ़ कर बोलेगी नई उम्मीद जगाती।
तो सरकारी---------------------।।३
स्वरचित--गजल--रामसेवक गुप्ता ✍️✍️
आगरा यूपी