विनय पद----
कांन्हां होली खेलत सखियां संग।
देखो देखो आज ब्रज में कैसौ मचौ है हुड़दंग।।
सारी सखियां जुड़ मिल आंईं हाथौ में लिए रंग।
अबीर गुलाल उडावत चाली ज्यों नभ में उड़े चंग।।
लाल रंग से भर पिचकारी भर भर मारे श्याम अंग।
सेवक*दरसत अचरज लीला ह्रदय बाढ्यौ प्रेम उमंग।।
कांन्हां होली खेलते सखियन संग।।
स्वरचित--विनय- पद---रामसेवक गुप्ता ✍️✍️
आगरा यूपी