रुवाइयां-----
जब से तुमको देखा है दिल ने ख्वाब सजाए हैं।
हुस्न ए मुजस्सिम हो पलकों पर तुमको बिठाए हैं।।
मेरी बेनूर जिंदगी में तुम आईं हो चांदनी की तरह।
मुहब्बत की मिठास घोल रही हो मिश्री की तरह।।
हाथ पकड़ा है तो अंतिम श्वांस तक साथ निभाना।
गर वतन पर कुर्बान हो जाऊं तो रुह में आ समाना।।
स्वरचित ---रुवाइयां----रामसेवक गुप्ता ✍️✍️
आगरा यूपी