शायरी-----
१---हम और तुम मिले हम एक हो गये।
ये तो इश्क हकीकी प्रेम गणित है।।
एक और एक मिलकर दो हुए तो ये
इश्क मिजाजी अंकगणित है।।
२----जिल्लत सहकर जो मुस्कराते हैं।
वहीं जिंदगी का सच्चा लुफ्त उठाते हैं।।
स्वरचित शायरी----रामसेवक गुप्ता ✍️✍️
आगरा यूपी