7 अप्रैल 2022
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समाज सेवी एवम् गीत,ग़ज़ल और मुक्तक एवं भजन आदि लेखन कार्य।।D
नमामि संकट नाशनम् शंकर पुत्र गणेशाय।।गौरी पुत्र विनायकम् तेरी आया हूं शरणाय।।वक्र तुण्डं एक दंतम् गजाननम् लंबोदराय।।काज सिद्ध करो अहम से बाल चंद्र विघ्नहराय।।स्वरचित मुक्तक--रामसेवक गुप्ता ✍️✍️आगरा यू
मेरी चाहत----मुक्तकमेरी आरजू थी कि तेरे कदमों में चांद तारे बिछाता।जिस रास्ते से तू गुजरे उसे मंहके फूलों से सजाता।मगर तू तो ठहरी बेशऊर खुदगर्ज चुलबुली सुन्दरी।प्यार कम नफरत करें ज्यादा ये रिश्ता कैसे
नज़----चलो हम और तुम फिर से गुमशुदा हो जाएं तो अच्छा।तेरे संग जो कि ये वादे अगर टूटें।तो इसमें क्या खता मेरी।।चलो हम और तुम--------------।।१भुलाकर मेरे अहसानों को बड़े मगरुर रहते हैं।जुवान खामोश है उन
हमसे बेखबर भी रहते हैं और हमारी खबर भी रखते हैं।।कभी सुकून से बात भी नहीं करते हैंऔर कभी बात करने हेतु बेताब रहते हैं।।हमने तो आपको अपना समझ लिया कबसेमगर आप हमको अपना कब मुसल्लम समझते हैं।।समझ मे
सिफारिश----गजल--------काश मेरी एक सिफारिश मंजूर हो जाती।तो सरकारी महकमें में नौकरी मिल जाती।।डिग्रियां कालेज की लेकर घूमता हूं दफ्तरों मेंजूते घिसने के सिवाय चेष्टा नाकाम हो जाती।।तो सरकारी-----------
रूस और यूक्रेन में छिड़ा भयंकर युद्धभारी बमबारी से कई रास्ते हुए अवरुद्धरास्ते हुए अवरुद्ध खौफ में जनता जीएकई शहर पर कब्जा कर पुतिन खुश हुएसेवक*मंहगा तेल भले मरे न भोली जनतायुद्ध बंद की पहल हो खुले शा
गीत---धरना प्रदर्शन न कोई वबाल होगा।हर हाल में मेरा यूपी खुशहाल होगालोगों में जागरूकता अब बढ़ने लगी हैसुनहरे भविष्य की आशा जगने लगी हैभय भ्रष्टाचार का न कोई सवाल होगा।।हर हाल में----------------------
शिव बंदना----तात विनायक हे गिरजापतीनमामि शंकर हे कैलाश पतीसदाशिव त्रिपुरारी त्रिनेत्र धारीसबका करो हित कल्याण कारीपूजहिं सुरनरि तुम्हें चंद्र शेखरअभय भक्ति देउ मोहि रामेश्वरसेवक* पुकारत महादेव पुरारीह
महापवित्र है महाशिवरात्रिनमः शिवाय शुभ फल दात्रीमोक्ष दायिनी है यह शुभ रात्रीसंकट नाशिनी यह काल रात्रीपातक हारिणी है यह नव रात्रीप्राज्ञा दायिनी है यह दिव्य रात्रीहे ज्योतिर्लिंग शिव कृपा दायित्रीप्रस
शायरी----१---उसके ❤️ दिल में मैंने ठहरने की थोड़ी सी जगह मांगी थी।उसने तन्हाइयों का वीरान सा बंगला मेरे सुपर्द कर दिया।।२---नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं है रात भर।कसूर तो उनकी मुस्कुराहट का है जो सो
शायरी----१हाथ मेरे प्यार की खुशबू से मंहकते हैं। जब से तूने मेरे हाथों में प्यार से मंदी जो लगाई।।शायरी-----२जायका मेरे इश्क का तूने चखा नहीं है।जरा सा नमकींन जरा सा मीठामगर वेबफा नहीं है।।स्वरचि
मुक्तक----घूंघट में इज्तराबी ए दीदार बेतहाशा बढ़ता ही जाएबेखुदी मुसल्लम सिद्धत से होगी तो कमाल दिखलाएकाश कोई ऐसा चश्मा खुदा करे बाजार में नया तो आएपहनकर चश्मा मुझे गोरी का मुखड़ा दीदार तो हो जाए।।स्वर
शायरी-----१---हम और तुम मिले हम एक हो गये।ये तो इश्क हकीकी प्रेम गणित है।।एक और एक मिलकर दो हुए तो येइश्क मिजाजी अंकगणित है।।२----जिल्लत सहकर जो मुस्कराते हैं।वहीं जिंदगी का सच्चा लुफ्त उठाते हैं।।स्व
मुक्तक-------घर में एक सदस्य बीमार हो तो पूरा घर बीमार लगता है।एक सदस्य खुशी से झूम रहा हो तो परिवार झूमने लगता है।।मुशीवतों का बोझ अगर मुखिया के कंधों पर आ जाए तब।सारा परिवार तकलीफों के कठिन दौर से ग
मेरी रुवाइयां----मैं कलम हूं तुम स्याही की दवात हो।मैं कागज हूं तुम मजमून की लिखावट हो।।मैं लफ्ज़ हूं तुम ग़ज़ल का मधुर अहसास हो।मैं इश्क हूं मुकम्मल तुम हुस्न का रंगीन शबाब हो।।स्वरचित मुक्तक--रामसेव
women day specialगजल----मैं औरत हूं सम्मान और सुखी परिवार चाहिए।जीने के लिए कुछ नहीं थोड़ा सा प्यार चाहिए।।दौलत न शौहरत की कभी भूख सताती है मुझेअपनापन दिल को चेंन मिले वो घर द्वार चाहिए।जीने के लिए---
कविता---+संस्कार बता देते हैं परिवार कैसा है।संवाद जता देता है इंसान कैसा है।।बहस बता देती है विवेक कैसा है।निगाहें जता देती हैं चरित्र कैसा है।।ठोकरें बता देतीं हैं ध्यान कैसा है।तकलीफें जता दे
मेरी रुवाइयां----किस मोड़ पर मुलाकात हो रही है हमनशीं से।इस उम्र में हाथों की मेंहदी बालों में लगाई जा रही है।।दोस्ती का नूर भी बेनूर होने को आतुर है कबसे।सुर्ख लवों से अश्क आंखों से नाली बनके बहे जा
मेरी रुवाइयां----पलकों पर खुशियों के डेरे और आंखों में सुरुर।लवों पर मंद मंद मुस्कान चेहरा जैसे कोई नूर।।ये जिगर वाकई आपकी सादगी पर फिदा हुआ।बस आपकी हाजिर जवाबी चाहिए मुझे हुजूर।।स्वरचित---रुवाइयां---
रिश्तों से बड़ चाहत क्या होगी।दोस्ती से बड़ इबादत क्या होगी।।आप जैसा अगर मित्र मिल जाएउसे जिंदगी से क्या शिकायत होगी।।स्वरचित मुक्तक--रामसेवक गुप्ता ✍️✍️आगरा यूपी
विनय पद----कांन्हां होली खेलत सखियां संग।देखो देखो आज ब्रज में कैसौ मचौ है हुड़दंग।।सारी सखियां जुड़ मिल आंईं हाथौ में लिए रंग।अबीर गुलाल उडावत चाली ज्यों नभ में उड़े चंग।।लाल रंग से भर पिचकारी भर भर
मुक्तक-----समराथल में ललकार रही है आज हिंन्द की नारी।दुश्मन शातिर चालाक बड़ा है जागो जनता सारी।।सब टूट पड़ो लेकर धनुष बाण देश के गद्दारों पर।पूरी क्षमता से ढेर करो आताताइयों की कारगुज़ारी।।स्वरचित मुक
कविता-----मेरे दिलदार ले चल उस पार।जहां प्यार ही प्यार हो बेशुमार।।जहां कोई आता जाता न हो प्राणी।चैंन से गुजर जाए अपनी जिंदगानी।।तेरा साथ मिला मुझे और क्या चाहिए।भला एक भटकी कश्ती को किनारा चाहिए।।मेर
रुवाइयां-----जब से तुमको देखा है दिल ने ख्वाब सजाए हैं।हुस्न ए मुजस्सिम हो पलकों पर तुमको बिठाए हैं।।मेरी बेनूर जिंदगी में तुम आईं हो चांदनी की तरह।मुहब्बत की मिठास घोल रही हो मिश्री की तरह।।हाथ पकड़ा
मुक्तक---ठोकरें खाकर मजा पाने का अंदाज निराला है।सिसक कर मुस्कराने का अंदाज भी निराला है।।शिकस्त तो जीवन का अहम हिस्सा है साथियों।विफलता के बाद सफलता का अंदाज निराला है।।स्वरचित मुक्तक--रामसेवक गुप्ता
शायरी----इश्क न करना यारों रोना पड़ता है।तनहाई में अस्कों से दामन भिगोना पड़ता है।।जाने कब मेरा हमनशीं आ जाये कमरे मेंरात को कच्ची नींद मुझे ही सोना पड़ता है।।स्वरचित---- शायरी-- रामसेवक गुप्ता ✍️✍️आग
शायरी----तेरी सुर्ख लवों की लाली ने क्या गजब ढाया।मेरा नशेमन ए चाहत, बेनूर से नूरानी हो गया।।स्वरचित --शेर --रामसेवक गुप्ता ✍️आगरा यूपी
श्री कृष्ण महिमा---बंदनासूर्य हैं श्री कृष्ण धूप हैं श्री राधेचंद्र हैं श्री कृष्ण चांदनी श्री राधेदिन हैं श्री कृष्ण निशा श्री राधेसंसार हैं श्री कृष्ण साथ श्री राधेअम्रत श्री कृष्ण अमरता श्री राधेनस
दुर्गे मां की बंदना--भक्ति गीतमैया तू मेरी चित चोरतेरे सिवाय न कोई औरमैं पतंग तेरे हाथ में मेरी ड़ोर।।जय जगदम्बे मैया जय जय जगदम्बे मैया।।तू ममता भी प्रेम की मूरतहर दुखिया को तेरी जरुरतफिर क्यों ना नि
मुक्तक----मां तू है अनमोल खुशियों का खजानातेरा स्वभाव है बच्चों पर तरह खानामैं विपदाओं में उलझा हुआ लाचार हूंतू तो ममतामई है मुझको भूल न जाना।।स्वरचित मुक्तक--रामसेवक गुप्ता ✍️आगरा यूपी
मुक्तक-----हे जगदम्बे मैया हमारी आपसे गुजारिशसबके दिलों पर करदो रहमतों की बारिशहर शख्स है दुःखी मुशीवतों का दौर है।आसरा तेरा लिया फिर जाना न कहीं और है।।स्वरचित मुक्तक--रामसेवक गुप्ता ✍️आगरा यूपी
मुक्तक----मां अनाचार बढ़ रहा देश में आप रौद्र रूप धारों।अब शैतानों का गला खींचकर धर-धर दे मारो।।अबलाओं पर ज़ुल्म बढ़ रहे कोन उनको बचाये।चण्डी का साहस दो माता फिर ना कोई सताये।।स्वरचित मुक्तक--रामसेवक
#शायरी---प्यार क्या है----कुछ भी हासिल न करने की उम्मीद।और जुदा होने का खौफ जिगर में बताता रहे।।यही सच्चे प्यार की अनूठी दास्तान है।दो प्रेमियों को अपनेपन में बेजोड़ बांधता रहे।।स्वरचित---शायरी--- राम
मेरी रुवाइयां----पिता के बिना जिंदगी बीरान है।सफर तन्हा मगर राह सूनसान है।।वहीं मेरे जमीन वहीं मेरे आसमां है।वहीं मेरे लिए खुदा और वहीं भगवान हैं।।स्वरचित--रुवाइयां--रामसेवक गुप्ता ✍️✍️आगरा यूपी
हनुमान जन्मोत्सव पर बंदना---श्री राम दूत पवनपुत्र प्रणम्य सर्व कार्य सिद्धि,अहम् त्वमेव शरणागतम् पाहि माम पाहि माम,नमामि हनुमंते नमः।।सभी मित्रों को हनुमान जी जन्मोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएंस्वरचित--ब
कुण्डली---दिल्ली में दंगाइयों ने ऐसा मचाया उत्पात।धार्मिक जुलूस पर की पत्थरों से बरसातपत्थरों से बरसात कई जख्मी लोग, पुलिस वालेविधर्मियों ने किये कई वाहन आग के हवालेसेवक*वक्त बड़ा बेढंगा रामभक्त
रुवाइयां------प्यार नहीं चिरस्थाई जो देखे सो डूबा है।परिवर्तनशील है प्यार जगत में आशिक हो या महबूबा है।।प्यार सदा कोहिनूर से ज्यादा चमकीला है।अंतर्मन में झांक के देखो यारो प्यार का रंग अजूबा है।।स्वरच
कविता --धरती माता----हे धरती माता हम सदा तेरे कर्जदार रहेंगे।तेरी ही गोद में पले बढ़े और खेलते रहेंगे।।तेरा आंचल चीर नाना भांति की फसलें उगाते।वृक्षों से हरियाली ईंधन बीज,फल शुद्ध हवा पाते।।अनेक प्रका
प्रेरक संदेश-------रुको न झुको अपनी बात बेवाकी से जाहिर करो।लक्ष्य मिले न मिले कोई ग़म नहीं करना कभी यारों।।सदैव अपनी सृजनशीलता की ललक जिंदा रखना।हरेक बिषम परिस्थिति में भी हार नहीं कदापि मानना।।प्रेर
मुक्तक----कांटों में भी रास्ता मिल सकता है।सहरा में भी पुष्प खिल सकता है।।अगर सकारात्मक भाव मन में हो तो।एक कंकर से आसमां हिल सकता है।।स्वरचित मुक्तक--रामसेवक गुप्ता ✍️✍️आगरा यूपी