मुक्तक-------
घर में एक सदस्य बीमार हो तो पूरा घर बीमार लगता है।
एक सदस्य खुशी से झूम रहा हो तो परिवार झूमने लगता है।।
मुशीवतों का बोझ अगर मुखिया के कंधों पर आ जाए तब।
सारा परिवार तकलीफों के कठिन दौर से गुजरने लगता है।।
स्वरचित मुक्तक--रामसेवक गुप्ता ✍️✍️
आगरा यूपी