कहतें हैं कि जिस किसी को ईश्वर का मोह हो जाता है फिर उसे इस दुनियां से कुछ नहीं चाहिए होता है। फिर वह अपना पूरा जीवन उस सर्वशक्तिमान ईश्वर की सेवा में समर्पित कर देता है। लेकिन यह कहानी थोड़ी अलग है। स्नेहलता, एक ऋषिकन्या, जिसने अपना पूरा जीवन इस संसार के पालनकर्ता भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित कर दी थी। और फिर उसे इस संसार से कुछ नहीं चाहिए था, लेकिन हालात बिल्कुल ही बदल गए जब उसे एक अनजान व्यक्ति से प्यार हो गया। चंचल स्वभाव की एक ऋषिकन्या जिसने कभी भी सांसारिक वस्तुओं का मोह नहीं किया कैसे किसी अजनबी के प्यार में दीवानी हो गई? कहानी सिर्फ इतनी सी नहीं है बल्कि उसे जब यह आभास हुआ कि वह उस अजनबी से प्यार करने लगी है तब तक वह बिल्कुल ही अनाथ हो चुकी थी। कहानी के क्रूर खलनायक श्यामल जो एक बहुत बड़े साम्राज्य का राजा है, जो प्रेमियों से बेइंतहां नफ़रत करता है। और अपने साम्राज्य के हर एक प्रेमी को बहुत ही बेरहमी से मार डालता है, के सैनिकों ने उसकी मां सहित सभी ऋषियों और उसकी मित्रों को मार डाला। अब उसकी कहानी क्या मोड़ लेने वाली थी? क्या उसकी प्रेम कहानी पूरी होगी या कठिनाइयों और मुसीबतों के दलदल में दफन हो जाएगी?
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