जेल में बंद एक कुरूप लड़की को आदालत में पेश किया जाता है। मीडिया और लोगों की भीड़ कोर्ट के बाहर खड़ी होती है। आक्रमक क्रांतिकारी महिलाओं की भीड़ से बचाकर पुलिस उस अपराधी को कोर्ट रूम ले जाते हैं। उस लड़की का अपराध विपक्ष वकील के द्वारा साबित कर दिया जाता है। अपने ऊपर लगाए गए सारे आरोपों को स्वीकार कर वो लड़की खुद के लिए अदालत से सजाएमौत की सजा मांगती है। उसके इस व्यवहार से चकित होकर जज साहब उसके बारे में सबकुछ जानना चाहते हैं। जज साहब के कहने पर वह कुरूप लड़की अदालत के दस्तावेजों में अपने और अपने साथ हुए अपराधों की कहानी अंकित करती है।
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