" दो घड़े"
एक घड़ा मिट्टी का बना था, दूसरा पीतल का। दोनों घड़े एक नदी के किनारे पर रखे हुए थे। इसी समय अचानक नदी में बाढ़ आ गई और* *बहाव में दोनों घड़े नदी में बहते चले गए। काफी समय तक मिट्टी के घड़े ने अपने आप को पीतल वाले घड़े से काफी फासले पर रखना चाहा।
यह सब देख कर पीतल वाले घड़े ने कहा,
” तुम डरो नहीं दोस्त, मैं तुम्हें धक्का न लगाऊँगा।”
मिट्टी वाले घड़े ने जवाब दिया,
” *तुम जान-बूझकर मुझे धक्का न लगाओगे, सही है; मगर बहाव की वजह से हम दोनों जरूर टकराएंगे।* *अगर ऐसा हुआ तो तुम्हारे बचाने पर भी मैं तुम्हारे धक्कों से न बच सकूँगा* *और मेरे टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। इसलिए अच्छा है कि हम दोनों अलग-अलग और दूर-दूर रहें।”
सीख
अपने से ज्यादा बलवान से घनिष्ठता अच्छी नहीं होती।