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रहस्यमय मौत -1

12 अक्टूबर 2023

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(यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है और इसके सभी पात्र भी पूरी तरह काल्पनिक है। इस रचना का किसी भी सच्ची घटना से कोई संबंध नहीं है और न ही किसी राष्ट्र, धर्म,जाति,लिंग,मत, गोत्र और पुरूष की जिंदगी से कोई संबंध है। अगर कोई भी घटना का इससे संबंध स्थापित होता है तो यह एकमात्र संयोग होगा।
यह रचना किसी भी अन्य रचना की कॉपी भी नहीं की गई है। अगर कोई भी रचना इसके समान पहले से उपलब्ध है तो वह एकमात्र संयोग होगा।
मैं अपनी रचना के माध्यम से किसी भी धर्म,जाति, लिंग और मनुष्य की सामाजिक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं चाहता हूं अगर आपकों ऐसा लगता है तो मुझसे संपर्क करके तुरंत बतायें।)

यह रचना एक क्रीमिनल कहानी है। जो द्वेषपूर्ण व्यवहार के कारण अपने दोस्त की जान ले लेता है और वह भी एक प्लानिंग के साथ।
गांव और घरवालों को यह एक हादसा लगता है लेकिन जब पुलिस के द्वारा उसकी छानबीन की जाती है तो उसमें पता लगता है कि यह एक प्लान मर्डर मिस्ट्री है । इस सनसनीखेज मौत से गांव के सभी लोगों के अंदर भय व्याप्त हो जाता है और लोग नदी के पुल के वहां जाने से इसलिए डरते हैं कि वहां पर श्मशान घाट है और यह किसी प्रेतात्मा का काम है क्योंकि गांव वालों की नजरों में यहां पहले ही मौतें हो चुकी है।

विक्की लंबा कद, श्याम वर्ण,चौड़ी और मोटी नाक का एक विशाल काय लड़का था। इस समय यह सोलह साल की उम्र का हुआ है लेकिन उसकी शारीरिक बनावट कौन देखा जाय तो किसी बड़े व्यक्ति से कम नहीं लगता है। 
इसके मन में एक ही तमन्ना थी कि मुझे बस फौज में नौकरी मिल जाय तो मेरी जिंदगी सेट हो जाये। 

पूरे रामपुर में इसकी लगन और मेहनत के चर्चे थे। विक्की वास्तव में अपनी जिंदगी को सफल बनाने के लिए सुबह से शाम तक बहुत मेहनत करता था। उसके घरवाले भी भगवान से यही अराधना करते थे कि विक्की को जल्दी से जल्दी फौजी बना दिया जाये तो उसकी जिंदगी संवर जायेगी।

उस घर में जो भैंस थी वह विशेष रूप से विक्की की वजह से ही रखी जाती थी । सुबह दौड़ करने के बाद दो लीटर दूध खड़े-खडे ही गटकने वाला विक्की का सीना चौड़ा होता जा रहा था। विक्की के डोले-सोले बनते जा रहे थे।
विक्की भी मेहनत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था।सुबह और शाम गांव से कुछ दूरी पर पांच किलोमीटर की दौड लगाना उसके दैनिक जीवन में शामिल था।

25 दिसंबर 2021 की बात है। सुबह की दूधिया रोशनी में  मैं मेरे दोस्तों के साथ दौड़ लगाने जाया करता था। हमारे गांव के तनु,हरी, विनोद मेरे साथ जाते थे।

इस वक्त कड़ाके की ठंड रहती है और सभी लोग घरों से बाहर  निकलने के लिए कतराते हैं। हम लोग किसी भी मौसम की कोई परवाह नहीं करते हैं क्योंकि हमें हमारे लक्ष्य को पाने के लिए अपनी दिनचर्या को नहीं छोड़ना है।
हमारे अलावा दूधिया,अखबार बांटने वाले और खेतों मे काम करने वाले कुछ किसान ही बाहर निकल पाते हैं।

हमारे गांव से पश्चिम दिशा की तरफ जाते हुए मुख्य सड़क पर बायीं तरफ एक नदी पड़ती थी। जिसके ऊपर पुल बना हुआ था और इसी पुल के नीचे आसपास के सभी गांवों को श्मशान घाट भी बना हुआ था। 

रामपुर और देवपुरा गांव के बीच में एक नदी पड़ती थी। जिसके आसपास दोनों तरफ के किसानों के खेत थे।
दोनों ही गांवो के लोग आपस में एक दूसरे को अच्छी तरह जानते थे।
कुछ बच्चे जो देवपुरा गांव से भी हमारे साथ दौड़ करने के लिए आया करते थे।
हम लोगों के दैनिक रूटिन के अनुसार इस तरफ हम लोग दौड़ करने के लिए रोजाना जाते थे।

नदी के चारों तरफ गांव के लोगों के खेत थे। सर्दी के दिन थे। इस समय रवि की फसल उगाई जाती है और हमारे गांव के आसपास के लोग रवि की फसल में गेहूं और सरसों बड़ी मात्रा में पैदा करते हैं क्योंकि यहां की जमीन में पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
हर किसान की प्रसन्नता का कारण यहां पर लहलहाती फसलें जो उन्हें भरपूर पैदावार देती है।
यहां के किसानों का मुख्य धंधा गाय और भैंस का दूध बेचना और खेतो में रवि और खरीफ की फसलों के अलावा कुछ नगदी फसलें पैदा करना ही होता है।

25 दिसंबर की रात शहर के लोगों में  क्रिसमस मनाने का जोश और उत्साह रहता है और इस दिन लोग देरी से जागते हैं। 
मैं तनु,हरि और  विनोद के साथ सुबह के चार बजे खड़े होकर निकलने की तैयारी में था। गांव का वातावरण जिसमें आज की तरह शौचालय नहीं होते थे। हर व्यक्ति  नित्यकर्मों के लिए गांव के खेतों और नदी के किनारे बीहड़ में ही जाता था।

हम लोग घर से निकल कर सड़क के रास्ते एक टयुबवेल पर जाकर फ्रेश हुए और वहीं पर अपने नहाने धोने के लिए अपना सामान रख दिया।

जहां से हमें दौड़ करना शुरू करनी थी वहां पर कुछ एक्सरसाइज की और हम दौड़ने के लिए निकल पड़े।

हम पुल की तरफ दौड़ते जा रहे थे कि सभी लोग रोड के किनारे एक लाइन में दौडते चले जा रहे थे। हम धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने वाले थे कि उसी वक्त नदी के किनारे पुल से पहले हमें एक कट्टा दिखाई दिया।
इस कट्टे से खून निकल रहे थे और इसके पास कई कुत्ते बैठे हुए थे। 
कुछ कुत्ते शांत बैठे हुए थे क्योंकि सर्दी बहुत ज्यादा थी और कुछ इसे कुरेदने की कोशिश कर रहे थे।
यह देखकर हम एकदम से रूक गये । 
तनु ने कहा।
अरे यार !! तुम छोड़िए ना क्या देखते हो।
किसी के घर कोई जानवर मर गया होगा। उसे कोई पटक गया होगा।
विनोद ने कहा यार तुम्हें पता नहीं है कि कोई भी जानवर को कट्टे में बांधकर क्यों पटककर जायेगा।
मुझे तो कोई संशय लग रहा है।
हमें इसे चलकर देखना चाहिए।

विक्की कहने लगा हां यार विनोद हमें देखना चाहिए क्योंकि मुझे भी कुछ ग़लत ही लग रहा है।

अगर हमारे या देवपुरा गांव में कोई भी मौत होती है, तो गांव में तुरंत फैल जाती है लेकिन शाम तक ऐसी कोई सूचना नहीं थी।

यह क्या हो सकता है??
हमें एक बार नजदीक से देखना चाहिए।
उसी वक्त हरी बोला कि यार तुम क्यों आफत मोल लेना चाहते हो।
मुझे तो डर लगता है क्योंकि कुछ लोग बताते हैं कि यहां पर प्रेतात्मा बसती है।
ये आत्माएं जब गुस्सा हो  जाती  है उस वक्त यहां पर एक्सीडेंट होना सुनिश्चित है।
ऐसा ना हो कि कोई प्रेतात्मा अपना रूप बदल कर कोई जाल बिछाकर बैठी हो।
मैं तो नहीं जाऊंगा,चाहे तुम कुछ भी कहो।

विक्की कहने लगा। अरे यार !! तुम भी फ़ालतू का डरते हो।
जिंदगी एक बार मिली है।
जीना है तो शेर की तरह जीओ, बिल्ली से डरकर चूहे  बिल में घुसकर डरते हुए जीते हैं।

तनु  कहने लगा बिलकुल सत्य बात है। हम लोग फौज की तैयारी कर रहे हैं। सीमा पर दुश्मन का हमेशा दबदबा रहता है अगर इस तरह डरे तो तुम एक दिन भी नौकरी नहीं कर पाओगे।
चलो यार!!  हम देखते हैं।
हरी को अंदर ही अंदर डर लग रहा था इसलिए वह सड़क पर ही रुकना चाहता था लेकिन जब हम सभी लोग एक साथ जाने लगे तो उसकी फट गई और वह हमारे साथ चल दिया।
हम लोग नीचे उतरे,तो कुछ कुत्ते हमारी तरफ भौंकने लगे।
पास के खेत में पड़ी लकड़ियों में से हमने एक-एक डंडा उठाया और सारे कुत्ते भौंकते हुए भाग गये।

हमने वहां पर नजदीक से देखा तो विनोद को उस कट्टे से एक हाथ निकलता हुआ दिखाई दिया।
उसे देखकर वह एकदम से डर गया और चिल्लाने लगा।
अरे ------------वो देखो -----+++वो देखो!!
यह कोई जानवर नहीं बल्कि किसी व्यक्ति की लाश है।
इसका हाथ बाहर निकल रहा है।
हम सब एकदम से घबरा गये। हमारा शक सही निकला।
तनु:- अरे अब क्या होगा??
हम क्या करें ??
हम कहीं फंस ना जाये।

विनोद:- अबे यार! तुम कितना  डरते हो?
तुम्हें पता है क्या रमेश देवपुरा गांव से चार दिन पहले एक लड़का गायब हुआ है उसका आज तक पता नहीं लगा है।

विक्की:- हां यार विनोद सुना तो मैंने भी था और तीन-चार महीने पहले एक एक्सीडेंट भानगढ़ शहर के एक लडके की एक कार एक्सीडेंट में मौत हुई थी।

तनु तुम सोचो यह जरुरी नहीं कि यह कोई दूसरे व्यक्ति की लाश है। मगर यह भी हो सकता है कि यह  हमारे किसी जान पहचान वाले का शव भी हो सकता है, इसलिए हमें इस तरह डरकर भागना नहीं चाहिए।

अब हमें क्या करना है। यह हमें सोचना होगा क्योंकि यह मामला फंस चुका है।
इस लाश को कुत्ते खा रहे हैं इसे हमें बचाना होगा।


हरी:- देखो मुझे तो डर लग रहा है अभी दिन भी नहीं निकला है और रात के अंधेरे में मुर्दे के पास खड़े हुए हैं।
अगर यह आत्मा खड़ी हो गई तो हमारा जिंदा रहना मुश्किल हो जायेगा।
मेरी दादी सुनाती थी कि रात के अंधेरे में अगर आत्माएं अकेली रहती है तो वे खड़ी हो जाती है और गांव के गांव उजाड़ देती है।

मरे हुए आदमी की आत्माएं बहुत शक्तिशाली होती है और वे बडे-बडे तांत्रिकों को धराशाही कर देती है।
तुम मेरी बात मानों तो जल्दी से यहां से खिसक लेना चाहिए।

विनोद:- विनोद भी गठीले बदन का तेज तर्रार चतुर-चालाक हिम्मत वाला बंदा था । उसने हरी से कहा कि तुम्हें अगर डर लग रहा है तो यहां से चले जाइए हम लोग यहां से एक कदम आगे नहीं बढ़ने वाले हैं। चाहे हमें जान की बाजी क्यों ना देनी पड़े।
हम बहादुर पुर्वजों की संतान हैं । हमारे साथ वीर बलि हनुमान जी की शक्ति है और उसके आगे बडे-बडे भूत नहीं टिकते हैं।

मैंने हरी को  ललकारा तो वह शांत हो गया । हम लोग गांव के लोगों को इनफार्मेशन देने का उपाय सोच रहे थे । क्योंकि हम लोग साथ में फोन लेकर नहीं आते थे।
मैंने विक्की को कहा कि भाई चलो हम थोड़ा ऊपर चलकर देखते हैं अगर अंधेरे में कोई दूधिया या पत्रकार की गाड़ी आयेगी तो हम उनसे फोन लेकर गांव के लोगों को सूचना दे देंगे।

हमारी बातें सुनकर तनु तो हिम्मत करके हमारे साथ हो गया लेकिन हरी अभी भी डरा हुआ था।
हम लोग वहां से ऊपर चढ़कर सड़क के किनारे जाकर बैठ गये।
इसके बाद हम लोग तरह-तरह के उपाय सोचने लगे।

क्रमशः 

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रचनाएँ
रहस्यमय मौत
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"मुझे मुर्दों से डर नहीं लगता , लगता है डर जिंदा इंसानों से। जो जान लेकर हाथ ना धोते, मानवता के उन हैवानों से।" यह कहानी एक हॉरर प्रेम लव स्टोरी है । जो प्रेम के पीछे किसी बेकसूर इंसान की जान क आ सौदा कर देते हैं।। इस दुनिया में इंसानियत मर चुकी है।। हर तरफ लोगोंकी जानों के सौदा किये जा रहे हैं ।। धन-दौलत, स्त्री , संपत्ति मनुष्य की जिंदगी में उनकी जान से सौदा कर रहे हैं।।
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