हम लोग वास्तव में उसी को सच मानते है जो असल मे खुद सुनना चाहते है - हमारा समाज अंतरंगता(Intimacy) की भूख से मर रहा है और हमारी संस्कृति मे इस भूख को लेकर कई ऎसे झूठ है जिन पर हम विश्वास करते है जबकि यह सच है कि हम अंतरंग गहराई से यौन प्राणी है पर इस झूठ पर विश्वास करना कि सभोग- रिश्तो की अंतरंगता को बढ़ाने का एक मार्ग है जो कि बिलकुल गलत है हम सब इस झूठ को सच मानते है क्योंकि हम सभी इसे सबसे सरल उपाय मानते है-
निश्चित रूप से हमारी Sexual desires(संभोग इच्छाएं) ठीक उतनी ही पुरानी है जितनी की मानवता है बस फर्क सिर्फ इतना ही है कि आज संसार मे लोग अपनी इन इच्छाओ को अलग-अलग तरीको जैसे मशीनें (टीवी,कम्प्यूटर) और सेक्स संस्थाओ द्वारा दिए जाने वाले जैसी Sensual Seduction(कामुक प्रलोभनो) जैसे कि-
"बस एक बार आजमाओ और आप संतुष्ट होंगे "
"एक बार आओ दावा है कि आप बोर नही होगें "
यही हमारी सबसे ब़डी त्रासदी यह है कि लोग अपनी भूख को मिटाने के लिए ऎसे गलत रास्तो की तलाश कर रहे है-यौन-संबंध एक व्यक्तिगत अधिकार है और इसमे किसी एक के लिए प्रतिबद्धता अवश्य आदर्श है- इस लेख मे हम सेक्स से जुडी कुछ गलत अवधारणाओं पर आपका ध्यान आर्कषित करने जा रहे है -
हमारी सबसे पहली अवधारणा है कि "सेक्स आत्मीयता पैदा करता है"
जी बिलकुल नहीं सेक्स आत्मीयता की अभिव्यक्ति है- न कि उसकी परिभाषा-असली आत्मीयता मौखिक और भावानात्मक समन्वय से ही आती है- सच्ची अंतरंगता ईमानदारी, प्यार और एक-दूसरे की आजादी की प्रतिबद्धता से ही बनाई जा सकती है-
आप इस बात को समझें कि अंतंरगता कोई यौन मुठभे़ड नही है- आत्मीयता वो है जिसे महसूस करने के लिए किसी यौन-संबंध की आवश्यकता ही नही है- जिस प्रकार एक वेश्या अपना शरीर उजागर करके यौन संबंध तो बना सकती है परन्तु उसके साथ आत्मीयता का रिश्ता बनाना मुश्किल है-
और एक दूसरी गलत अवधारणा ये है कि- किसी रिश्ते मे बंधने से पहले यौन संबंध बनाना एक दूसरे को समझने और एक बेहतर साथी बनाने मे मददगार साबित होता है-शादी से पहले किया गया संभोग और व्यापक भौतिक अन्वेषण आपके रिश्ते मे सेक्स का प्रति-बिम्बित नही होता है-
जो लोग शादी से पहले यौन अनुभवो में संलग्न है उनके लिए यह एक कामुकता खुशी है परन्तु वह वैवाहिक जीवन के सबसे सुखद अनुभव के मार्ग को छो़ड रहे है- सेक्स भी एक कला है जिसे वैवाहिक जीवन के सुरक्षित वातावरण मे ही सीखना चाहिए- जब अनर्गल भौतिक अंतरंगता एक रिश्ते पर हावी होते है तो इसका असर रिश्तो के अन्य भागो पर भी प़डता है-
विवाहित दंपती बिस्तर से ज्यादा समय बातचीत करने और भावानात्मक रिश्तो को बचाने मे व्यतीत करते है यह अवधारणा कि शादी से पहले सेक्स आपको शादी के लिए तैयार करता है बिलकुल ही गलत है- मनौवैज्ञानिको के अनुसार यौन संबंधो के सुख की ऊंचाई आमतौर पर शादी के दस से बीस साल के बाद आती है-
एक और गलत अवधारणा है कि “अस्थाई यौन संबंध" स्थाई यौन संबंधो को मजबूत करने कि पहली सीढ़ी है- जबकि वास्तविक सच यह है कि केवल जीवन भर सच्चाई और ईमानदारी से की गई प्रतिबद्धता ही किसी रिश्ते को मजबूत कर सकती है-
एक ओर झूठ जिसे हम सच मानते है कि अगर हम अपनी सेक्स इच्छाओ को खुले तौर पर नही दर्शा सकते तो शायद हम मे किसी बात की कमी है- बिलकुल नही बल्कि खुद पर संयम रखना एक समझदार और निडर व्यक्तित्व का परिचय है-
इस तथ्य को जानिए कि समय से पूर्व यौन-संबंध बनाना आपके भावानात्मक, शारीरिक व सांस्कृतिक स्वास्थ के लिए हानिकारक हो सकता है एक बाल रोग पुस्तिका के लिए भारतीय विश्वविधालय मे किए गए शोध के अनुसार जो किशोर यौन क्रियाओ मे संलग्न है उनमे शराब के सेवन और ड्रग्स लेने की मात्रा अधिक पाई गई है और यौन क्रियाओं में संलग्न किशोरियो में ज्यादातर आत्म सम्मान की कमी, अकेलापन तथा डिपरेशन को पाया गया है-
शादी से पहले किया गया सेक्स शायद आपकी शादी के भविष्य के भावान्तमक स्वाथ्य के लिए हानिकारक हो सकता है क्योंकि यह तुलना, अविश्वास और संदेह को आधार देता है -
यह ऎसे कई सवाल है-
क्या मै अब भी उतना ही आकर्षक हूं जितना कि पहले साथी के साथ था.....?
अगर वो हमारी शादी से पहले किसी ओर के साथ थी तो क्या अब सिर्फ मेरी बनकर रह सकती है....?
अगर कोई मुझसे बेहतर आ गया तो क्या मुझे छो़ड दिया जाएगा.....?
सोचिये जरा अब ये प्रश्न इन्ही बातो को जन्म देता है- शादी के पहले बनाए गए यौन संबंध आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकते है- यौन संकीर्णता भी हमारी सभ्यता के स्वास्थ के लिए हानिकारक है-
यह भी मानना कि “सेक्स स्वतंत्रता है” भी इसी श्रंखला मे एक ओर झूठ है जिसे सच माना गया है- शादी से पहले सेक्स शायद की स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति हो सकता है- युवा वर्ग जो इन संबंधो को बनाने और दूसरी को इसके लिए प्रेरित करने मे सम्मलित है जनता की नजर मे दोषी है-
“सेक्स के लिए इंतजार क्यो करे” इस प्रश् का उत्तर सिर्फ इतना ही हो सकता है कि यह आपमे साहस और शाक्ति का संचार करेगा- आप कभी अपने अन्दर ग्लानि महसूस नही करेगे और निश्चित रूप से एक सुखी वैवाहिक जीवन का भरपूर आनंद ले पाएगे तथा साथ ही आप समाज के भावनात्मक स्वास्थ्य को भी बचा पाएगे और निश्चित ही अपने खुद के भी शारीरिक व मानसिक स्वास्थ की रक्षा कर सकेगे-
आधी रात में स्मार्टफोन का बार-बार इस्तेमाल करने की वजह से भी आजकल रिश्तों में एक कड़वाहट भी बढती जा रही है आप जब सारा दिन काम में होते है और घर आकार चाहते है कि एक दूसरे के साथ थोडा समय बिताए मगर चेट की प्रकिया हमे अपनों से दूर ले जा रहा है और हम इसे तब समझते है जो बहुत दूर जा चुके होते है और एक दूसरे पे दोषारोपण करते है-
कभी -कभी ये दूरियाँ इतनी हो जाती है कि बात तलाक तक पहुचँ जाती है -ये एक स्टडी के मुताबिक, ज्यादा स्मार्टफोन इस्तेमाल करने की वजह से ब्रेकअप, फरेब और तलाक के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं-
शारीरिक संसर्ग की गुणवत्ता बोझिल होने से लोग उम्मीद कम करते हैं और यह भूल जाते हैं कि असल रोमांस क्या चीज है-जबकि प्यार एक भावनात्मक प्रकिया है जो कभी कम नहीं होती है जब लोग वैवाहिक संबंध के मामले में भी अपनी इस फितरत को काबू में रखने से परहेज करने लगते हैं-जीवनसाथी की तलाश पूरी होने के बाद कुछ लोग अपने लाइफ पार्टनर से बेवफाई करने से नहीं हिचकते-
कुछ खास बातों का खयाल रखा जाए- इस मामले में जड़ हो चुकी धारणाओं को मन से दूर निकालने की सख्त जरूरत होती है-
सबसे पहली बात तो यह हमें कि मन में यह विश्वास होना चाहिए कि वैवाहिक जीवन के दायरे के रहते हुए रोमांस के सुनहरे पल बिताए जा सकते हैं- इसके लिए अपने लाइफ पार्टनर को एक अलग नजरिए से देखने की जरूरत है-
हमेशा अपने जीवनसाथी में कोई अच्छी बात खोजने का प्रयास करें- सही मौके पर एक-दूसरे की तारीफ जरूर करें- सच्ची तारीफ से उन गुणों में और इजाफा होगा- स्त्रियों के मामले में यह बात ज्यादा सटीक बैठती है-
यह गांठ बांध लें कि कभी किसी इंसान की सारी इच्छाएं तृप्त नहीं होतीं है इच्छाएं सागर ही तरह अनंत होती हैं और ज्यों-ज्यों इच्छाएं पूरी होती जाती हैं इनका कोलाहल बढ़ता ही जाता है और पाने की नई खोज की अभिलाषा जाग्रत होती है और ये आपको पतन और रोगों की तरफ ले जाता है चंद दिनों बाद ही आपको ये महसूस होता है कि अल्प इच्छाएं पूरी करने के चक्कर में आप अपना बहुत कुछ खो चुके है और तब आपको विज्ञापन और पोस्टरों पर ध्यान देना पड़ता है कि "वैवाहिक जीवन से निराश रोगी सम्पर्क करे"
35 फीसदी महिलाएं सुबह अपने पति के जगने से पहले ही साज-श्रृंगार कर लेती हैं ताकि वे दूसरों के सामने खूबसूरत दिख सकें- यह एक सकारात्मक सोच है पर यह न भूलें कि घर में लाइफ पार्टनर के सामने भी बन-ठनकर और चुस्त-दुरुस्त रहना फायदेमंद ही साबित होता है-
हमने कही पढ़ा था कि अगर भगवान विष्णु भी साफ-सुथरे न रहें और अकर्मण्य हो जाएं- तो लक्ष्मी भी उन्हें छोड़ने में देर नहीं लगाएंगी- भले ही यह अतिशयोक्ति हो- पर यह बात आम लोगों में सही सोच विकसित करने के इरादे से कही गई है-
हमारे तात्पर्य से कहने का मतलब यह है कि सिर्फ प्रेमी-प्रेमिका ही एक-दूसरे के लिए सजें-संवरे तो यह सरासर नाइंसाफी है- ये प्रक्रिया आप को हमेशा पति के सामने भी अपनानी होगी तो फिर दांपत्य जीवन में और मिठास घुल सकती है -
हो सकता है कुछ लोगो को हमारे लेख में रस हीनता नजर आये या दिल को ठेस सी लगे तो दोष मेरा नहीं मेरी नजरो का है ...!
दोष को निकालना है तो कड़वाहट तो लानी ही पड़ती जुबान में मगर दिल से ये लेख नहीं लिखा है हम हमेशा यही चाहेगे आप के जीवन में खुशियों की भरमार हो और आप खुश हाल जीवन जिए-
Upcharऔर प्रयोग-