*सफल होने के लिए ध्यान रखें, संसार में हर मनुष्य को किसी न किसी मनुष्य, वस्तु या परिस्थित से "आसक्ति" यानि लगाव होता ही है, लगाव और मोह का ऐसा जाल होता है, जिससे छूट पाना बहुत ही मुश्किल होता है, इससे छुटकारा पाए बिना मनुष्य की सफलता मुमकिन नहीं होती,*
*मनुष्य में सुंदरता की*
*कमी हो तो अच्छे आचरण से पूरी की जा सकती है,*
*पर अच्छे आचरण की कमी हो, ? तो वह सुंदरता से पूरी नही की जा सकती...*
*याद रहे, जिस वक्त हम किसी का अपमान कर रहे होते है, उस वक्त हम अपना "सम्मान" खो रहे होते है...,*
*मनुष्य को जिस भी व्यक्ति या परिस्थित से लगाव हो रहा हो, जो कि उसकी सफलता में रुकावट बन रही हो, मनुष्य को उसमें दोष ढूंढ़ना शुरू कर देना चाहिए, सोचना चाहिए कि, यह कुछ पल का लगाव हमारी सफलता का बाधक बन रहा है, ऐसा करने से धीरे-धीरे मनुष्य लगाव, और मोह के जाल, से छूट जाएगा, और अपने सभी कामों में सफलता पाने लगेगा.....*
*मनुष्य की तृष्णा यानि इच्छाओं से बड़ा कोई दुःख नहीं होता. और इन्हें छोड़ देने से बड़ा कोई सुख नहीं है, मनुष्य का अपने मन पर वश नहीं होता, हर किसी के मन में कई अनावश्यक इच्छाएं होती हैं, और यही इच्छाएं मनुष्य के दुःखों का कारण बनती हैं, जरुरी है कि, मनुष्य अपनी "आवश्यकताओं" और "इच्छाओं" में अंतर समझे, और फिर इच्छाओं का त्याग करके शांत मन से जीवन बिताएं..!!*