shabd-logo

सफलता की ओर भाग-1

18 अप्रैल 2023

9 बार देखा गया 9

यह कहानी एक औरत की है, जिसका नाम सुरजीत है। सुरजीत अधकढ़ उम्र की है। उसकी वेशभूषा बिल्कुल साधारण है। उसके पति बीमार होने के कारण वह अपने आप में गुमसुम सी और चुपचाप रहती है। उसकी अपनी कोई संतान न होने के कारण उसने एक बच्ची को अपनी बहन से गोद ले लिया था, जिसका नाम उन्होंने मिनी रखा। वह अपने पति के बीमार होने और अपनी बेटी मिनी के भविष्य की चिंता करती रहती है। उसके देवर और देवरानी के दो बेटे थे। उसके देवर का नाम बलवीर था। सुरजीत के पति के बीमार होने के बाद बलवीर ही 28 किलो ज़मीन को अकेले ही संभालता था। बलवीर भी अपने बड़े भाई के बीमार होने के कारण चिंतित था। बलवीर ही अपने बड़े भाई को दवाइयां दिलवाता था। उसके बड़े भाई की हालत गंभीर होती जा रही थी। मिनी भी सुबह-शाम भगवान से यही प्रार्थना करती कि उसके पिता जल्दी से ठीक हो जाएं। उसके पिता जल्दी ठीक होकर उसके साथ वैसे ही खेलें जैसे कि वह पहले खेलते थे। वह उसे पहले जैसे ही कबड्डी खेलना सिखाएं। बलवीर के दोनों बेटे मिनी से बड़े थे। वे कक्षा में पढ़ते थे, लेकिन मिनी अभी स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ती थी। मिनी पढ़ने में होशियार थी और खेलों में भी होशियार थी। मिनी ने एक बार स्टेट लेवल पर कबड्डी में जीत हासिल की थी। मिनी ने अपने माता-पिता और स्कूल का नाम रोशन किया था।

article-image

उस समय उसके पिता बिल्कुल ठीक थे। मिनी के पिता तब मिनी के लिए बहुत खुश थे। मिनी के पिता ने भी कभी मिनी को पराया नहीं समझा। मिनी के पिता ने मिनी को हमेशा अपनी खुद की बेटी की तरह प्यार दिया। जब मिनी ने सुरजीत और उसके पति का नाम रोशन किया, तब सुरजीत की बहन ने मिनी को उन्हें वापस करने को कहा। लेकिन सुरजीत ने अपनी बहन को मना करते हुए कहा कि "क्या हुआ कि मैं एक मां नहीं बन सकती? तुमने भले ही मिनी को जन्म दिया, लेकिन मैंने मिनी को अपने हाथों से पाल-पोस कर बड़ा किया। अब मैं ही मिनी की मां हूं और मैं ही मिनी की मां रहूंगी।" सुरजीत की यह बातें सुनकर उसकी बहन वहां से चली जाती है।

7
रचनाएँ
सफलता की ओर
0.0
मैने अपनी पुस्तक, "सफलता की ओर", में एक विधवा औरत की कहानी लिखी है, जिसका नाम सुरजीत है। सुरजीत ने अपनी बेटी को पढ़ा-लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा किया। सुरजीत से बहुत लोगों ने कहा कि मिनी को पढ़ाने-लिखाने का तुम्हें क्या फायदा, इसने तो अपने ससुराल चले जाना है। लेकिन सुरजीत ने किसी की बातों में ना आकर मिनी को पुलिस अफसर बनाया और अपने पति का सपना पूरा किया। मेरी द्वारा लिखी इस कहानी में सुरजीत का पात्र बहुत मेहनती और ईमानदार है। मिनी का पात्र साहसी है। बलवीर का पात्र अपनी जिम्मेदारी को निभाने वाला है। शरनजीत का पात्र थोड़ा कान का कच्चा है और बेटियों को अपने घर में ना पसंद करने वाला पात्र है। बुआ सास का भी कुछ ऐसा ही पात्र है। यह कहानी सच्ची तो नहीं है, लेकिन इस कहानी के पात्रों के जरिए कहानी में जान डालने की कोशिश की गई है। इस कहानी के जरिए समझाने की कोशिश की गई है कि अपनी बेटियों को अपने सिर का बोझ ना मानकर।
1

सफलता की ओर कदम

14 मार्च 2023
2
1
0

अगर सफल जिंदगी चाहते हो तुम, जीना।   मेहनत और लगन की प्यास का ही पानी पीना।   अगर सफल जिंदगी चाहते हो तुम, जीना।   तुम कभी किसी के सहारे मत रहना।   अगर सफल जिंदगी चाहते हो तुम, जीना।   तो तुम आत्

2

सफलता की ओर भाग-1

18 अप्रैल 2023
0
0
0

यह कहानी एक औरत की है, जिसका नाम सुरजीत है। सुरजीत अधकढ़ उम्र की है। उसकी वेशभूषा बिल्कुल साधारण है। उसके पति बीमार होने के कारण वह अपने आप में गुमसुम सी और चुपचाप रहती है। उसकी अपनी कोई संतान न होने

3

सफलता की ओर भाग 2

20 अप्रैल 2023
0
0
0

सुरजीत के पति को बीमार हुए छह महीने हो गए थे, लेकिन वह अभी तक भी स्वस्थ नहीं हुए। धीरे-धीरे शरणजीत ने सुरजीत के साथ भेदभाव करना शुरू कर दिया क्योंकि शरणजीत के अनुसार बलवीर ही सारी ज़मीन-जायदाद का असली

4

सफलता की ओर भाग 3

20 अप्रैल 2023
1
0
0

जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे, वैसे ही शरनजीत के स्वभाव में बदलाव आ रहा था। वह सुरजीत को बार-बार एक ही ताना मारती थी कि तुम्हें और तुम्हारी बेटी को मेरा पति पाल रहा है। पहले तुम्हारे पति की दवाइयों का खर्च

5

,सफलता की ओर भाग 4

23 अप्रैल 2023
0
0
0

मिनी ने पूरे दिन सुरजीत से बिल्कुल भी बात नहीं की। सुरजीत ने पूरे दिन मिनी को अकेला छोड़ दिया ताकि वह अपने गुस्से को काबू कर सके। सुरजीत रात को मिनी के लिए खाना लेकर आई, लेकिन उसने खाने से इनकार कर दि

6

सफलता की ओर भाग 5

25 अप्रैल 2023
0
1
0

मिनी ने अपनी पहली सैलरी में सुरजीत के वो गहने वापस लाकर दिए जो सुरजीत ने मिनी को पढ़ाने के लिए गिरवी रखे थे। सुरजीत उन गहनों को देखकर रोने लग जाती है, वह वो दिन याद करती है। उसने यह गहने अपने पहले करव

7

हमारे बुजुर्ग

22 मई 2023
0
0
0

अपने बच्चों के लिए मां अपनी सभी इच्छाओं का त्याग कर देती हैं। उनकी ख़ुशी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने के लिए तैयार रहती हैं। जिनके लिए पिता दिन-रात पसीना बहाते हैं। जिन्हें ऊंगली पकड़कर चलना सिखात

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए