जिंदगी है एक वरदान,
आँसू खुशी का सामान,
कहीं सुनहरी खिलती धूप,
कहीं उजडा पडा कोई रुप।
छाव आये यहाँ कभी कभी,
पल में जिंदगी है बदले अभी,
अपने कई पराये से है लगते,
पराये मुश्किल में साथ निभाते।
जितने की भी पूरी गूंजाईश है,
हारने का भी हमेशा डर सताता,
सूरज के तेज से झूल जाता कोई,
तो कोई सूरज के किरण को तरसे।
वक्त धूप और छाव का सच्चा साथी,
उम्मीद के दिये की इकलौती ये बाती,
लगे की अब बस सब कुछ ही खत्म,
तब अंर्त मन से आती रब की पुकार।
कहीं धूप और है कई छाव सी जिंदगी,
अपने ढंग से कब चल पाती है जिंदगी,
चलना देने साथ जब तक है मुमकिन,
किसी दिन जाना सब छोडके है यहाँ ।