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सारा शहर सो रहा है

11 सितम्बर 2021

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मध्य रात्रि होने को आ गयी है
सारा शहर सो गया है।
गलियां सुनसान नजर आ रहीं हैं
कुछ कुत्तों को छोड़कर;
उनमें से कुछ तो गलियों की रखवाली की बजाय
तान कर सो रहे हैं।
शराबी, जुआरी और कुछ झुग्गियों
में रहने वाले लोग भी हैं
जिनकी चहल कदमी और बुदबुदाहट से
यह शहर उनीद रहा है।
कुछ गायें भी बैठी हुई हैं
जो ऐसे जुगाली कर रही हैं
मानो  दिन में शहरवासियों ने उन्हें बहुत बड़ी
दावत दी हो।
मैं ये नजारा
अपनी बालकनी से देख रहा हूँ।
मैं शराबी, जुआरी कुछ भी नहीं हूं
फिर भी उन्हीं की तरह जगा हुआ हूँ।
मेरे जागने का कोई कारण नहीं
बस सोते हुए शहर को देखने की तमन्ना है।
इसलिए  अब बालकनी से नीचे उतर कर
सुनी सड़कों पर घूमने आ गया हूँ।
कुछ अलौकिक साथी भी हैं
जो मेरे साथ घूमने आये हैं:
चाँद तारे और उनके साथ चाँदनी भी
आयी है इस शहर की सैर करने।
भीनी भीनी खुसबू बिखेरते
हवा भी हमारे साथ तैर रही है।
सड़कें दिन भर की
थकी हुई हैं और स्वप्नों में खोई हुई हैं।
मैं भी उन पर बिना कोई आहट किए
घूम रहा हूँ आहिस्ते आहिस्ते
ताकि उनका स्वप्न नहीं टूट जाये।
बेचारी  सड़कों को सुकून से सोने को
रात ही तो मिलती है।
करीब आधा घण्टा घूमने के बाद
मुझे लगा कि मैं इस सोये हुए शहर को
तंग कर रहा हूँ।
क्योंकि  शहर के कुछ पहरेदार
अब मेरे इस प्रकार रात्रि में
बेबाक घूमने से परेशान दिखने लगे।
क्योंकि मेरे लाख आहिस्ता चलने के बावजूद
मेरे कदमों की आहट से 
वे जग चुके थे ।
कुछ तो उनमें से भोंकते हुए मेरे पीछे  भी पड़ लिए
तब मैंने  अपना घर नापने में ही
अपनी भलाई समझी।
क्योंकि वे पहरेदार रात्रि में सिर्फ
कुछ खास लोगों को ही
इस तरह घूमने की या जागने की अनुमति
देते हैं;
और वे लोग अभी भी उन सड़कों पर
झूमते हुए नजर आ रहे हैं
और कुछ गलियों के कोनों में
रोडलाइट्स के नीचे
तास के पत्तों को हाथ में लिए
मुंह से बीड़ी का धुआं छोड़ते हुए
अपने कर्मस्थल पर  अपना कर्तव्य  बखूबी निभा रहे हैं।।


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रचनाएँ
विचारों की धुन पर झंकृत होता हृदय
5.0
यह एक काव्य संग्रह है।इसमें कुछ ऐसी कविताओं का संग्रह है जो पाठकों के हृदय को झंकृत कर दे।कविताएं अपनी सरल और सुगम्य भाषा तथा कला पक्ष व भाव पक्ष के बल पर पाठकों को जोड़े रखती हैं।
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जब आप किसी समस्या में हो...

2 जनवरी 2022
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जब आप किसी समस्या में होतो यकीन मानिए कि उस समस्या से लड़ाईखुद को ही लड़नी है।दूसरे आपको सलाह दे सकते हैंमार्ग प्रशस्त कर सकते हैंऔर ज्यादा से ज्यादा..

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तेरी इजाजत हो.....

3 जनवरी 2022
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तेरी इजाजत हो तो तेरे पहलू पे सर रख कर रो दें।गुफ्तगू हाल ए दिल की तुझसे फुर्सत में कर लें।।दुनिया ने बहुत सताया हैतुझसे ही रहम ओ करम की आस कर लें।सुना है सरीफों से बेहतर तो तुम तवायफों के दिल हैंतुम्हीं से वफा ए फरियाद कर लें।। ©प्रवीण कुमार शर्मा

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श्रधांजलि

14 जनवरी 2022
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जब तक इंसान जीवन में रहता है लोग उसे ज्यादा तवज्जो नहीं देते। मौत ही एक ऐसा खूबसूरत पैमाना है जो घटिया से घटिया इंसान में भी अच्छाई निकाल लेता है।। मौत का बड़प्पन तो देखो जीवन भर बुराई में लिप्त

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मरने के बाद...

14 जनवरी 2022
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मरने के बाद उसके पहचान वालों को मैंने हंसते देखा है जो उसके अपने थे उनको भी जीते देखा है।। यही संसार का दुखद सत्य है लेकिन जीने के लिए अपनों को जो परलोक चले गए भूलना पड़ता है यही जीवन का कृत्य है।। भू

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किसी से अपना दर्द बयां करना.....

14 जनवरी 2022
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किसी से अपना दर्द बयां करना स्वयं के ही घाव को किसी गैर के हाथों खुजलवाना है।। गर आप किसी को लगातार अपना दर्द सुना रहे हैं। तो यकीनन आप अपने घाव को निरंतर किसी के हाथों खुजलवाकर नासूर बनाने का न्योता

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रेडियो सिर्फ एक मशीन ही नहीं......

14 जनवरी 2022
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रेडियो सिर्फ एक मशीन ही नहीं लोगों की भावना हुआ करती थी। दूरदर्शन के आने से पहले रेडियो पर ही हर घटना आ जाया करती थी।। बिना देखे ही सिर्फ सुनकर दूर घटित घटना भी आंखों देखी लगती थी। बोलने

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जीवन इतना क्षणिक कैसे हो सकता है??

14 जनवरी 2022
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जीवन इतना क्षणिक कैसे हो सकता है ईश्वर इतना निष्ठुर कैसे हो सकता है अभी अभी खड़ा हुआ व्यक्ति धड़ाम से गिरके हमेशा के लिए जुदा कैसे हो सकता है ??? आज ऐसा ही कुछ हुआ एक व्यक्ति दुर्घटना का शिकार हुआ खड़ा

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ईश्वर का सबसे अच्छा उपहार.....

14 जनवरी 2022
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ईश्वर का सबसे अच्छा उपहार जीवन है जो कर्मों की पूंजी का फल है।। ईश्वर की सबसे अच्छी बात यह है कि यहां हर कर्म का फल मिलता है। भला कर्म भलाई बुरा कर्म बुराई दिलाता है।। हम सोचें कि करनी करने के बाद क

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जब दिल में जज्बात ही नहीं रहे......

14 जनवरी 2022
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जब दिल में जज्बात ही नहीं रहे जीने की आशा ही नहीं रही तो इस आला को लगाने से क्या फायदा?? इलाज तो उसका होता है जो श्वांस ले रहा हो। निःश्वांस दिल का क्या हो?? जब तुम थे तो ये दिल बल्लियों उछला करता था

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किसी भी कर्म के फल की......

16 जनवरी 2022
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किसी भी कर्म के फल की जब हम अपने मन में लालसा पालते हैं। निश्चित ही उस फल के फलित होने से हम कोसों दूर होते जाते हैं। करम फल तभी फलित होता है जब कोई उसको निष्काम जल से सींचता है। हम बेवजह ही फल

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