संतोष है जहाँ जहाँ शांति है वहाँ वहाँ
तृष्णा है जहाँ जहाँ अशांति है वहाँ वहाँ
काम क्रोध लोभ मोह जिसने भी परे किया
फिर नाथ है वहाँ वहाँ अमन है वहाँ वहाँ
स्वरचित©सतीश गुप्त
4 फरवरी 2016
संतोष है जहाँ जहाँ शांति है वहाँ वहाँ
तृष्णा है जहाँ जहाँ अशांति है वहाँ वहाँ
काम क्रोध लोभ मोह जिसने भी परे किया
फिर नाथ है वहाँ वहाँ अमन है वहाँ वहाँ
स्वरचित©सतीश गुप्त