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शेर

7 जनवरी 2023

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सच कहने के वो नही आदी,
सोचते है देश कैसे बेचा जाए

बचाकुछा दाना जो भूखे पेटो में,
सोचते है वो भी कैसे लोचा जाए

गिरवी पड़ी है जमीं अखबारों की,
सोचते है सच कैसे छापा जाए

सच के मरीज, लोग झूठ सुनने के है कायल,
पहले सोच सच बोला तो कैसे बचा जाए

वैसे कौन जानता है तुझको,
जो बोला तो तू सुना जाए

मोहब्बत पे चलने को मंजूर "आदिब",
सोच जरा हालत ए दिल कैसे बोला जाए

                              
-कुमार आदिब "फिज़ा"
  (रोहित कुमार "मधु")
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रचनाएँ
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