हमको जिसने लिखा हमको जिसने लिखने योग्य बनाया हम उसके विषय हम क्या लिख सकते हैं।कभी कभी जीवन में हम अपनी मांगी मुरादे पूरी होते देख यह सोचते हैं कि शायद भगवान को भी यही मंजूर है।
लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि कभी-कभी भगवान को भी कुछ और ही मन्रजूर होता है।
एक तरफ तो हम खुश होते रहते हैं और दूसरी तरफ हमारी तकदीर हमें रोने पर मजबूर कर देती,
लेकिन हम तक़दीर के भरोसे ना बैठे रहे उसके लिए एक कुशल मार्गदर्शक हमारा गुरु ही होता है ।
जो हमें इस चीज का एहसास कराता हैं ,कि तुम स्वयं के भाग्य विधाता हो भाग्य कितना भी क्रूर क्यों ना हो जाए लेकिन तुममें उस को बदलने की सामर्थ और साहस है।
जो गुरु के बिना संभव नहीं हो सकता क्योंकि सही मार्गदर्शन ही व्यक्ति को सटीक सफलता दिला सकती है।
इसीलिए तो गुरु का दर्जा भगवान से भी श्रेष्ठ माना जाता है।
भगवान तुम्हारे कर्मों का लेखा जोखा तैयार करते हैं ,तो गुरु उन कर्मों की ओर तुम्हें प्रेरित करता है, इसीलिए गुरु सर्वश्रेष्ठ और महान है। वह कभी मां के रूप में तो कभी पिता के रूप में कभी ज्ञान देने वाले शिक्षकों के रूप में हो या फिर शुभचिंतकों के रूप में हमारे मार्ग को प्रशस्त करता है।
और हमें ईश्वर तक पहुंचाने का मार्ग दिखाने वाले भी गुरु ही हैं, वह किसी रूप में किसी भी समय हमारे समक्ष उपस्थित होकर हमें ज्ञान से अभिभूत कर देते हैं। मेरे अल्फ़ाज़,,, मीनू