आइए जानते हैं कि आखिर ये भारत का सबसे प्राचीन मंदिर था ,तो अयोध्या में राम मंदिर था जिसे बाबर ने तोड़ दिया था। वर्तमान में भगवान राम का प्राचीन मंदिर रामचौरा मंदिर हाजीपुर में बताया जाता है। रामचौरा मंदिर भारत के बिहार राज्य में हाजीपुर के पास रामभद्र में स्थित भगवान राम को समर्पित एक प्रमुख राम मंदिर है।
उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विश्व हिंदू परिषद को विवादित जगह पर शिलान्यास करने की अनुमति दे दी थी। इसके बाद, पहली बार रामलला का नाम इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा था, जिसमें निर्मोही अखाड़ा (1959) और सुन्नी वक्फ बोर्ड (1961) ने रामलला जन्मभूमि पर अपना दावा पेश किया।यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता राम का जन्मस्थान माना जाता है। पहले, इस स्थान पर बाबरी मस्जिद थी, जिसका निर्माण एक मौजूदा गैर-इस्लामी ढांचे को ध्वस्त करने के बाद किया गया था, जिसे बाद में ध्वस्त कर दिया गया था।
वर्तमान में श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राम मंदिर की जमीन का स्वामित्व रखता है।
यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता राम का जन्मस्थान माना जाता है। पहले, इस स्थान पर बाबरी मस्जिद थी, जिसका निर्माण एक मौजूदा गैर-इस्लामी ढांचे को ध्वस्त करने के बाद किया गया था, जिसे बाद में ध्वस्त कर दिया गया था।
साल 1989 में रखी गई थी राम मंदिर की नींव रखी गई थी।
यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता राम का जन्मस्थान माना जाता है। पहले, इस स्थान पर बाबरी मस्जिद थी, जिसका निर्माण एक मौजूदा गैर-इस्लामी ढांचे को ध्वस्त करने के बाद किया गया था, जिसे बाद में ध्वस्त कर दिया गया था।
अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी. प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए भक्तों को बेसब्री से इंतजार हैं।
प्रभु श्रीराम के नयनाभिराम दर्शन के लिए भक्तों को बेसब्री से इंतजार हैं. लेकिन प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला की पहली भव्य तस्वीर सामने आ गई है. हालांकि ये तस्वीर गर्भगृह में रामलला के विराजमान होने से पहले की है. तस्वीर में श्रीराम के चेहरे पर मधुर मुस्कान, माथे पर तिलक और हाथों में धनुष-बाण दिखाई दे रहे हैं.
पहली बार जब रामलला की मूर्ति की तस्वीरें सामने आई थीं, तो वह सफेद कपड़े से ढकी हुई थी. मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा तैयार की गई 51 इंच की रामलला की मूर्ति को गुरुवार को तड़के मंदिर में लाया गया था. अरुण योगीराज कर्नाटक के रहने वाले हैं.मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले अरुण योगीराज वर्तमान में देश में सबसे अधिक डिमांड वाले मूर्तिकार हैं. अरुण वह मूर्तिकार हैं, जिनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सराहना कर चुके हैं. अरुण के पिता योगीराज भी एक कुशल मूर्तिकार हैं. उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था.तो समस्त देशवासियों को इंतजार है २२तारिख का जब पूरा देश एकजुट होकर दीपोत्सव से अपने प्रभु श्री राम का स्वागत करेगा,,,,
मेरे अल्फ़ाज़ मीनू 🙏