:लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत रिजर्वेशन देने वाला आरक्षण विधेयक मंगलवार को संसद के विशेष सत्र में पेश किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 सितंबर को 'ऐतिहासिक दिन' बताया. उन्होंने विपक्ष से सर्वसम्मति से विधेयक 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' पारित करने का आग्रह किया. ये विधेयक करीब तीन दशकों से लटका हुआ है।
संसद के विशेष सत्र में पेश किए गए महिला आरक्षण विधेयक 2023 को गेम-चेंजर के बजाय एक तरह की लापरवाही के तौर पर देखा जा रहा है. जटिल जनगणना और परिसीमन प्रैक्टिस जैसे पहलुओं में फंसा यह महिला आरक्षण विधेयक 2029 के संसदीय चुनाव से पहले लागू नहीं हो पाएगा.
महिला आरक्षण विधेयक में 'कोटे के भीतर कोटा' को स्वीकार करना भी एक रिग्रेसिव स्टेप है और इसे राजनीतिक निहित साधने के रूप में देखा जा सकता है. 'कोटा के भीतर कोटा' में अन्य पिछड़े वर्गों को बाहर करने से विधेयक का एक नया विरोध शुरू होने वाला है, जो अंततः पार्टी और वैचारिक जुड़ाव से परे होगा.
इसके अलावा, अगर बीजेपी, कांग्रेस और वाम दलों ने महिला आरक्षण विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे की मांग स्वीकार कर ली होती तो महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभा की एक तिहाई सीटें रिजर्व करने का रास्ता 1990 के दशक में ही साफ हो गया होता.।
2010 में गठबंधन का नेतृत्व कर रही कांग्रेस ने राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी थी, लेकिन मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और शरद यादव के कड़े विरोध के कारण मनमोहन सिंह सरकार इसे आगे नहीं बढ़ा सकी. यहां तक कि तृणमूल कांग्रेस भी अनुपस्थित रही।
महिला आरक्षण बिल पिछले 27 वर्षों से लटका हुआ है। इसे पहली बार 12 सितंबर 1996 को एचडी देवगौड़ा की सरकार ने पेश किया था। हालांकि, उस वक्त ये बिल पास नहीं हो सका था। इसके बाद भी तमाम सरकारों ने इसे कानून का रूप देने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाये,,,
हालांकि, पिछले महिला आरक्षण विधेयक में इस मामले को निपटा गया था. साल 2010 में राज्यसभा की ओर से पारित किए गए विधेयक में कहा गया था कि जिन राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में केवल एक सीट है, वहां एक लोकसभा चुनाव में वह सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होगी और अगले दो चुनाव में वह सीट आरक्षित नहीं होगी. वहीं दो सीटों वाले राज्यों में दो लोकसभा चुनावों में एक सीट आरक्षित होगी, जबकि तीसरे चुनाव में महिलाओं के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं होगी.अब आप ही बताइए कि क्या होना चाहिए??