भारत का तीसरा चंद्र मिशन 'चंद्रयान-3' इतिहास रचने के एकदम करीब था, बुधवार (23 अगस्त) की शाम 6:04 बजे का समय देश और दुनिया की सबसे ज्यादा धड़कनें धड़काने वाला चन्द्रयान 3 जब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग कराई गई
.विक्रम' लैंडर से 'प्रज्ञान' नामक रोवर निकलकर चंद्रमा की सतह पर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO के लिए कई तरह के सैंपल जुटाने लगा
, जिनसे चंद्रमा के बारे में मानवता के लिए मूल्यवान जानकारियां मिलने की उम्मीद की जा रही है.भारत के इस मिशन को लेकर पूरी दुनिया की दिलचस्पी इसलिए भी है क्योंकि पृथ्वी के नैचुरल सैटेलाइट (चंद्रमा) के इस हिस्से पर अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है.
हाल में रूस ने अपने चंद्र मिशन 'लूना-25' से यहां पहुंचने की कोशिश की लेकिन वह क्रैश हो गया और उसका मिशन फेल हो गया.
चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग निश्चित रूप से भारत को स्पेस पॉवर बनाएगी. वहीं, चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के मामले में अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा.।
सॉफ्ट लैंडिंग के बाद आइये जानते हैं इस मिशन के संबंध में बड़ी बातें.
चंद्रयान-3 मिशन की लागत 600 करोड़ रुपये है. इसे 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शक्तिशाली रॉकेट एलवीएम मार्क 3 से लॉन्च किया गया था. इसरो ने सॉफ्ट लैंडिंग से एक दिन पहले यानी मंगलवार (22 अगस्त) को जानकारी दी कि 'चंद्रयान-3 मिशन' इसके लिए निर्धारित शेड्यूल के अनुसार ही काम कर रहा है. इसरो ने कहा कि मिशन तय समय पर है. सिस्टम की नियमित जांच हो रही है।
. सुचारू (स्मूथ) सेलिंग जारी है. MOX/ISTRAC पर लैंडिंग ऑपरेशन का सीधा प्रसारण बुधवार शाम 5:20 बजे शुरू होगा.इसरो अधिकारियों समेत कई लोगों ने कहा कि लैंडिंग प्रक्रिया के 17 मिनट बेहद जोखिम भरे हैं ।
क्योंकि इस दौरान पूरी प्रक्रिया ऑटोनॉमस होगी, लैंडर को अपने इंजनों को सही समय और ऊंचाई पर चालू करना होगा, सही मात्रा में ईंधन का इस्तेमाल करना होगा और आखिर में सतह छूने से पहले किसी भी बाधा या पहाड़ी या क्रेटर की जानकारी के लिए चंद्रमा की सतह को स्कैन करना होगा.
सभी मापदंडों की जांच करने और लैंडिंग का निर्णय लेने के बाद इसरो निर्धारित समय पर लैंडिंग से कुछ घंटे पहले अपने भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) से सभी आवश्यक कमांड लैंडर मॉड्यूल (एलएम) पसॉफ्ट-लैंडिंग के बाद रोवर एक साइड पैनल का इस्तेमाल करके लैंडर से निकलकर चंद्रमा की सतह पर उतरा
. वहां के परिवेश का अध्ययन करने के लिए लैंडर और रोवर का मिशन जीवन एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन) का होगा. हालांकि, इसरो के अधिकारी लैंडर और रोवर के एक और चंद्र दिवस में काम करने की संभावना से इनकार नहीं करते हैं।
.चंद्रमा की सतह से 800 मीटर ऊपर क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों वेग शून्य हो जाते हैं. इस दौरान विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह के ऊपर लैंडिंग वाली जगह के लिए जांच करेगा. इसके बाद वह तस्वीरें लेकर सबसे अच्छी लैंडिंग साइट की खोज के लिए 150 मीटर नीचे आएगा. केवल दो चालू इंजनों के साथ यह चंद्रमा की सतह को छूएगा.।
एक बार जब इसके पैरों पर लगे सेंसर चंद्रमा की सतह को महसूस करेंगे तो इंजन बंद हो जाएंगे और लगभग 20 मिनट का जोखिमभरा चरण समाप्त हो जाएगा. इसके बाद रेजोलिथ नामक चंद्रमा की धूल जब स्थिर हो जाएगी तब विक्रम लैंडर का एक साइड पैनल खुलेगा, जिससे प्रज्ञान रोवर सतह पर आने के लिए रैंप के रूप में इस्तेमाल करेगा. प्रज्ञान रोवर धीरे-धीरे लुढ़का हुआ चंद्रमा की सतह पर आ जाएगा.
सतह पर आने के बाद रोवर चारों ओर घूमने के लिए स्वतंत्र होगा. देश के लिए वह बड़ा क्षण होगा जब लैंडर रोवर की तस्वीर लेगा और रोवर लैंडर की. चंद्रमा की सतह से यह भारत के लिए भारत की पहली सेल्फी होगी.
लैंडिंग के बाद क्या होगा?
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे और पहियों पर इसरो के लोगो के साथ छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर 4 घंटे के बाद लैंडर की बेली से चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. यह एक सेमी प्रति सेकंड की रफ्तार से चलेगा और चंद्रमा के परिवेश को स्कैन करने के लिए नेविगेशन कैमरों का इस्तेमाल करेगा.
रोवर में चंद्रमा की सतह से संबंधित डेटा प्रदान करने के लिए पेलोड के साथ कॉन्फिगर किए गए उपकरण हैं. यह चंद्रमा के वायुमंडल की मौलिक संरचना के संबंधित डेटा एकत्र करेगा और लैंडर को डेटा भेज देगा.
तीन पेलोड के साथ विक्रम लैंडर निकट सतह के प्लाज्मा (आयनों और इलेक्ट्रॉनों) के घनत्व को मापेगा, चंद्रमा की सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज (तापीय गुणों) को मापेगा, लैंडिंग स्थल के आसपास सिस्मीसिटी (भूकंपीयता) को मापेगा और चंद्र परत की संरचना और आवरण का वर्णन करेगा.
सौर ऊर्जा से संचालित लैंडर और रोवर के पास चंद्रमा के परिवेश का अध्ययन करने के लिए करीब दो हफ्ते समय होगा. रोवर केवल लैंडर को जानकारी भेज सकता है और लैंडर सीधे पृथ्वी से कम्युनिकेट करेगा
और आज आप और हमारे साथ पूरा विश्व इस बात का साक्षी बना की हमारा देश अपनी धरती को माता और चन्दा को भले ही मामा कहता है लेकिन विश्व गुरु तो वह ही है।
मीनू की डायरी भाग दो 🙏
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