नारी का जीवन या फिर एक व्यथा ,,? ,व्यथा ही तो है नारी का जीवन ,, जिस दिन से माँ के गर्भ में अस्तित्वमान होती है माँ - बाप ,परिवार सबका मन इस बात से व्यथित कि क्या किया जाए ,इसे दुनिया में लाया जाए या फिर इस अंकुरण को गर्भ में ही कुचल दिया जाए ,,, यहाँ पर दो ही बातें होत
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाये।आज ऐसा बहुत से देशवासी अपनी वाल पर पोस्ट करेंगे और बोलेंगे और . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . . . . . .फिर से लग जायेंगे अपने - अपने दैनिक कार्यो में.... निवेदन है...... सभी से की गणतंत्र दिवस रोज मनाये और देश की उन्नति में प