मापनी--- १२२, १२२, १२२, १२२बसे आँख में श्याम सुंदर हमारेl सखी प्रीति पावन समुंदर सहारेl बसाया हिए ज्ञान गीता विधाता- सुधा सार संसार अंदर तुम्हारेl राजकिशोर मिश्र'राज' प्रतापगढ़ी
न भटको अपने नेक इरादों से माला जपू श्याम की राम की धनश्याम की जग मे फैला हैं उजियारा तेरे ही नाम का जप-जप कर जीता हैं जग सारा। बनता हैं तूही सहारा जग के बेसहारों का। माला जपू श्याम की राम की घनश्याम की।रहने दे अमन शांति इस जहां मे जहाँ खेलता हैं बचपन गाती हैं जवानी गुनगुनाता हैं बुढ़ापा। करती हैं श्
भारत में हर माैसम अपनी रवानी में उतरता है अाैर कुछ उलाहने, कुछ प्रेम, कुछ पहेलियां बुझाते हुए निकल जाता है। इसीलिए हम भारतीय हर माैसम का बेइंतहा इंतजार करते हैं। गर्मियां भले ही ऊब-डूब करती सांसें अाैर पहलु बदलने का माैसम है, लेकिन अपनी रवायत अाैर रसीले अामाें की अामद की वजह से सभी काे इसका इंतजार र