समय के खिलाफ कोई जाता नहीं।
गीता का ज्ञान किसी को भाता नहीं।
नदियों की लहरें वेग निर्बाध लिए हुए,
विपरीत लहरों के इंसा भी तैरता नहीं।।
समय की धारा निज अपना रुख लिए।
कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश कितने दिए ।
कुरुक्षेत्र के युद्ध में थे अनेकों महारथी,
कौरवो और पांडवों की अपनी गाथा लिए।।
समय बड़ा बलवान होता जाने है जन जन।
समय से न उलझना संचालित करे अंतर्मन।
सत्य और असत्य ज्ञान गीता का पाठ लिए,
समय समय पर बोध कराता अबोध मनन।।
समय के खिलाफ कोई इंसा अगर जाए।
पथिक पगडंडी पर पथभ्रमित होता जाए।
राह न आसान हो अंतस भी वेग हीन हो,
मंजिल पता नहीं हौसला नजर न आए।।
राही राह चलते समय से उलझना न कभी।
मंजिल तयशुदा सूनी पगडंडी आसान अभी।
समय की धारा साथ साथ बहते पानी जैसे,
आस्था ईश में बसी तय मंजिल मिले कभी।।
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स्वरचित मौलिक
अनुपमा वर्मा