अजब गजब दुनिया का मेला।
कभी रिश्ते नातों का झमेला।
कभी भाई अरु बहन का बंधन,
कच्चे धागे का ये खेल निराला।।
रिश्ते नातों की डोर का खेला।
लताएं की चढ़ती बेल का रेला।
कच्चे धागे दिखते जैसे ये रिश्ते,
कच्चे धागे का ये खेल निराला।।
रिश्ते नातों की बागडोर संभाला।
विश्वास अरु समझदारी का खेला।
दुनियादारी की समझ हो गहरी,
कच्चे धागे का ये खेल निराला।।
कभी रिश्ते ने रिश्तों को संभाला।
कभी अपनों से रूठने की माला।
कच्चे धागे पिरोए मोती हो जैसे,
कच्चे धागे का ये खेल निराला।।
रिश्ते नातों की बागडोर का खेला।
कभी दूर होते कभी पास का मेला।
रूठना मनाना आदत बेशुमार ऐसी,
कच्चे धागे का ये खेल निराला।।
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स्वरचित मौलिक
अनुपमा वर्मा