shabd-logo

कच्चे धागे

28 जुलाई 2024

2 बार देखा गया 2

अजब गजब दुनिया का मेला।
कभी रिश्ते नातों  का  झमेला।
कभी भाई अरु बहन का बंधन,
कच्चे धागे का ये खेल निराला।।

रिश्ते नातों की डोर का खेला।
लताएं की चढ़ती बेल का रेला।
कच्चे धागे दिखते जैसे ये रिश्ते,
कच्चे धागे का ये खेल निराला।।

रिश्ते नातों की बागडोर संभाला।
विश्वास अरु समझदारी का खेला।
दुनियादारी की समझ हो गहरी,
कच्चे धागे का  ये खेल निराला।।

कभी रिश्ते ने रिश्तों को संभाला।
कभी अपनों से रूठने की माला।
कच्चे धागे  पिरोए मोती हो जैसे,
कच्चे धागे का ये खेल निराला।।

रिश्ते नातों की बागडोर का खेला।
कभी दूर होते कभी पास का मेला।
रूठना मनाना आदत बेशुमार ऐसी,
कच्चे धागे  का  ये  खेल निराला।।
✍️✍️✍️✍️✍️
स्वरचित मौलिक
अनुपमा वर्मा


12
रचनाएँ
काव्य कुंज द्वितीय
0.0
मेरी स्वरचित कविताओं का संग्रह
1

बचपन

11 जनवरी 2023
6
2
4

अबोध मन सा बचपन,निश्छल चंचल चितवन।पुष्प अंकुरित सा कोमल,ओस की बूंदों सा मनभावन।।घर आंगन महकाता बचपन,नादान परिंदे जैसा बचपन।गुलशन गुंजाएमान बालमन,बिन बात मुस्काए बालमन।।सूरज सा दमके बालमन,निश्छल भोला भ

2

हिंदी भाषा

11 जनवरी 2023
1
0
0

मैं हूं तुम्हारी हिंदी भाषा,इसको तुम पहचान लो।अस्तित्व हूं तुम्हारा मैं,मुझको तुम पहचान लो।।कर्म हूं और कृति भी मैं,अस्तित्व है यूं मुझसे जुड़ा।मर्म हूं और व्यथा भी मैं,अस्तित्व तुम्हारा मुझसे जुड़ा।।

3

आज का युवा

12 जनवरी 2023
3
0
0

आज का यह युवा भारत,लोकतांत्रिक मुख्य आधार।राजनीति और विकास पर,युवा अग्रसर और है तैयार।।आज का यह युवा भारत,शक्ति से यह परिपूर्ण है।देश स्वाधीनता इसकी,योगदान बेहतरी सम्पूर्ण है।।आज का यह युवा भारत,मार्ग

4

कच्चे धागे

28 जुलाई 2024
1
0
0

अजब गजब दुनिया का मेला। कभी रिश्ते नातों का झमेला। कभी भाई अरु बहन का बंधन, कच्चे धागे का ये खेल निराला।। रिश्ते नातों की डोर का खेला। लताएं की चढ़ती बेल का रेला। कच्चे धागे दिखते जैसे ये

5

समय के खिलाफ

28 जुलाई 2024
1
0
0

समय के खिलाफ कोई जाता नहीं। गीता का ज्ञान किसी को भाता नहीं। नदियों की लहरें वेग निर्बाध लिए हुए, विपरीत लहरों के इंसा भी तैरता नहीं।। समय की धारा निज अपना रुख लिए। कृष्ण ने अर्जुन क

6

अपनी अपनी दुनिया

28 जुलाई 2024
0
0
0

अपनी अपनी दुनिया में, मगन रहते हैं भाई। नहीं टोहते दुख दूजे का, जतन नहीं है साई। हर शख्स रहता अलग, जाने न पीर पराई। खोया है अपनी दुनिया में, अपनी दुनिया सजाई।। छाया है डिजिटल जमाना,

7

मुस्कान

12 सितम्बर 2024
2
2
1

मुस्कान कैसी भिन्न भिन्न होती।कभी मीठी मुस्कान छा जाती।।चेहरे का नूर गहरा असर दिखाए।देख मां अपने बच्चे पर मुस्काए।।कभी मन खिन्न खिन्न सा होता।किन्तु फीकी मुस्कान बिखेरता।।दुःखी मन संतप्त कोशिश हरता।दर

8

मां की ममता

19 सितम्बर 2024
5
1
2

मां की ममता अपार बरसती।कभी बच्चों में भेद न करती।चाहे रंग वर्ण में अंतर दिखे,सब स्नेह भाव एक रखती।।मां की ममता दूर छल कपट।खेल खिलौने होते छीन झपट।देख तनिक भ्रम में पड़ जाए,रोना चीखना हो मां को लपट।।मा

9

हिन्दी मातृ भाषा

21 सितम्बर 2024
0
0
0

हिन्दी हमारी मातृ भाषा, करो इसे तुम स्वीकार।करो न इसकी अवहेलना,करो जन जन अंगीकार।।माता इसे हम मानते, इससे सभ्यता अरु संस्कृति।ज्ञान पुष्प पल्लवित हो, अर्थ ग्रहण अरु अभिव्यक्ति।।हिन्दी भाषा

10

अनकही फरियाद

28 सितम्बर 2024
3
0
1

अनकही फरियाद खुदा से, लौट आजा बीता समय तू, किंतु कालचक्र ऐसा चलता, समय ऐसा चलता ही रहता। कभी न एक पल को ठहरता। चलती घड़ी की टिक टिक, कहती अपनी जुबानी कहानी। अनकही फरियाद खुदा से बीते समय में पहुंच ज

11

महंगाई की मार

1 अक्टूबर 2024
1
1
1

महंगाई की मार सही न जाए,गृहलक्ष्मी को चूल्हा चौका कैसे सुझाए।सिलेंडर महंगा, महंगी है कैरोसिन,लगी लाइन में ,धूप खून झुलसाए।।महंगाई की मार सही न जाए,चूल्हे की लकड़ी की सुध आए।माचिस महंगी, है महंगी लकड़ी

12

महाशक्ति

4 अक्टूबर 2024
3
0
0

हे महाशक्ति , हे महाशक्ति , तू मेरी जगदम्बा।विपदाएं कैसी आन घिरी ,संकट हरती विलम्बा।।मनोकामना पूरी करे, मनसा देवी कहलाए।चिंताएं गर हरण करे, चिंतापूर्णी कहलाए।शुभकारी तू मंगलकारी, मां

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए