मुस्कान कैसी भिन्न भिन्न होती।
कभी मीठी मुस्कान छा जाती।।
चेहरे का नूर गहरा असर दिखाए।
देख मां अपने बच्चे पर मुस्काए।।
कभी मन खिन्न खिन्न सा होता।
किन्तु फीकी मुस्कान बिखेरता।।
दुःखी मन संतप्त कोशिश हरता।
दर्द बयां न कर कसक कचोटता।।
कभी जीत खुशी मुस्कान झलकती।
जैसे चांद पर पहुंचने चाह छलकती।।
चांद की सैर आज कोई सपना नहीं।
मुस्कान जीत की वहां घर हो कहीं।।
बच्चों की जीत मीठी मुस्कान छाती।
मात पिता हृदय एक संतोष जगाती।।
आबशार नूर सी मुस्कान बिखरती।
चेहरे मुस्कान सूर्य आभा निखरती।।
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स्वरचित मौलिक
अनुपमा वर्मा
रायबरेली