मां की ममता अपार बरसती।
कभी बच्चों में भेद न करती।
चाहे रंग वर्ण में अंतर दिखे,
सब स्नेह भाव एक रखती।।
मां की ममता दूर छल कपट।
खेल खिलौने होते छीन झपट।
देख तनिक भ्रम में पड़ जाए,
रोना चीखना हो मां को लपट।।
मां की ममता अपार बरसती।
बेटी बेटे न कभी भेद करती।
दोनों उसकी कोख से जन्मे,
स्नेह वात्सल्य भाव से रखती।।
मां और ममता एक ही स्वरूप।
एक दूजे पूरक होते हैं अनुरूप।
मां का ममत्व सदा एक सा नहीं,
बच्चे शिक्षित मां व्यक्तित्व रुप।।
मां की ममता सख्त कभी नरम।
पाठ जीवन कर्मभूमि पथ करम।
कभी धूप कभी छांव तले दिखे,
सुबह सुहानी धूप दोपहर गरम।।
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स्वरचित मौलिक
अनुपमा वर्मा
रायबरेली