हिन्दी हमारी मातृ भाषा, करो इसे तुम स्वीकार।
करो न इसकी अवहेलना,करो जन जन अंगीकार।।
माता इसे हम मानते, इससे सभ्यता अरु संस्कृति।
ज्ञान पुष्प पल्लवित हो, अर्थ ग्रहण अरु अभिव्यक्ति।।
हिन्दी भाषा शब्द कलश, करो अक्षर अक्षर ज्ञान।
सार्थक अरु निरर्थक शब्द, आसा शब्दावली मान।।
अक्षर अक्षर शब्द संयोजन, वाक्य प्रयोग अभिमान।
महसूस करो न शर्मिंदगी, करो हिन्दी भाषा का मान।।
हिन्दी भाषा तितिक्षा सिखाए, सहिष्णु सहृदय पाठ पढ़ाए।
विचलित व्यथित विकल नहीं, हिन्दी भाषा कर्तव्य जगाए।।
मजलिस महफ़िल वर्जित नहीं, हिन्दी भाषा की अगुवाई।
शिष्ट भाषा अनमोल विचार, शुचित परहित भाषा बनाई।।
हिन्दी हमारी मातृ भाषा, मनुज सशक्तिकरण सिखाए।
वात्सल्य भाव प्रीत भरी, भाषा अनमोल वचन बताए।।
मात तुल्य अभिमान हमें, मधुरिम मोहक लगती बोली।
देश का गौरव हिन्दी भाषा, हिन्दी भाषी प्यारी टोली।।
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स्वरचित मौलिक
अनुपमा वर्मा
रायबरेली
तितिक्षा –धैर्य
वात्सल्य –स्नेह।।