कहा जाता है की प्राचीन समय के अंदर जब राक्षसों का अत्याचार दैवताओं पर बहुत अधिक बढ़ गया तो सारे देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे और राक्षसों से बचाने का आग्रह करने लगे । तब भगवान विष्णु के पास भी ऐसा कोई अस्त्र नहीं था कि वे राक्षसों का वध कर सकें । इस वजह से भगवान विष्णु कैलाश पर्वत पर जाकर 1000 नामों से शिव की स्तुति करने लगे । उसके बाद वे हर नाम के साथ एक पुष्प शिव को अर्पित करने लगे ।उसके बाद भगवान शिव ने विष्णु की परीक्षा लेने के लिए विष्णु के लाए 1000 पुष्प मे से एक पुष्प को छुपा दिया । भगवान शिव की माया की वजह से विष्णु को पता नहीं चल सका । वे एक पुष्प को ढुंढने लगे । उसके बाद उन्होंने भगवान शिव को अपना एक नैत्र अर्पित किया । तब भगवान शिव
प्रसन्न हुए और विष्णु को वरदान मांगने को कहा । तब विष्णु ने ऐसा अमोघ शस्त्र देने की प्राथना की जिसकी मदद से राक्षसों का संहार किया जा सके । फिर भगवान शिव ने सुदर्शन चक्र उनको दिया था भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र प्राप्त होने के संदर्भ मे एक अन्य कथा का भी उल्लेख मिलता है।वीतमन्यु नामक ब्राहामण रहते थे । उनकी पत्नी का नाम धर्मशीला था ।वे सदाचारी महिला थी ।उनके पुत्र का नाम उपमन्यु था । वे लोग इतने गरीब थे कि उनके पास अपने पुत्र को पिलाने के लिएदूध तक नहीं था ।वह अपने पुत्र को चावल का धोवन दूध के रूप मे पिलाती थी । एक दिन वह अपने माता पिता के साथ किसी भोज पर गया । जहां पर उसने दूध से बनी हुई खीर खाई तब उसे दूध के स्वाद के बारे मे पता चल गया ।उसके बाद अगले दिन बालक ने असली दूध की मांग की और चावल के धोवन को पीने से इनकार कर दिया ।
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