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स्वामी और उसके दोस्त

13 मई 2022

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स्वामी और उसके दोस्त की कहानी अगर आप आज भी  देखेंगे तो 80 के दशक में जन्मे  लोगो को अपने बचपन की याद आयेगी |  स्वामी को देखकर आपको अपने बचपन वो हर किस्सा याद आ जाएगा जिसे आप भूल गये थे कि किस तरह स्कूल में पिटाई होना , दोस्तों के साथ घुमना , लड़ाई करना ,खुले मैदानो में खेलना , पिताजी की डांट , दादी का प्यार , माँ का दुलार , नई खुराफाते , बारिश के पानी में नांव चलाना , लोगो के बहकावे में आना , स्कूल से भाग जाना , पढाई से जी चुराना , परीक्षा की टेंशन , नतीजो में घबराना .गर्मियों की छुट्टियों के मजे लेना , स्कूल की छुट्टी होने पर मजे करना , टीचर की छड़ी से मार खाना , दोस्तों के साथ प्लान बनाना , स्कूल जाने में बीमारी का बहाना करना और इसके अलावा कई बाते आपको मालगुडी डेज के इस कहानी में देखने को मिलगी जो भविष्य के बच्चे कभी नहीं सोच सकते | मोबाइल और इन्टनेट की क्रान्ति ने बच्चो को घर तक सिमित कर दिया लेकिन हमने वो हर युग को अपनी नजर से देखा है | अब आइये आपको की पुरी कहानी बताते है |

स्वामी और उसके दोस्त की कहानी दस साल के बच्चे स्वामीनाथन उर्फ़ स्वामी के इर्द गिर्द घुमती है | पहले एपिसोड में स्वामी सुबह उठकर नहा धोकर स्कूल जाता है | वो एक क्रिस्चियन स्कूल Albert Mission School में पढता है | उस दिन स्कूल में उसके अध्यापक उसको कृष्ण की बुराइया और लार्ड जीसस की अच्छाईया स्कूल के बच्चो को बताते है | Swami को उनकी ये बात पसंद नहीं आती है और वो उनसे बहस करने लग जाता है | इस पर नाराज होकर अध्यापक Swami के कान मरोड़ देते है | इस बात के बारे में Swami के पिता जो कि एक वकील है उनको पता चल जाता है और वो स्कूल के प्रिंसिपल को एक पत्र लिखते है जिसमे उनके अध्यापक को सही शिक्षा देने की सलाह देते है | Principal स्वामी के पिता की चिट्टी पढकर स्कूल के प्रिसिपल उन्हें स्कूल के मसले स्कूल में सुलझाने की सलाह देते है |

राजन जिसके पिता Malgudi के DSP है और वो मद्रास के अंगरेजी स्कूल से Malgudi में पढने आता है | स्वामी उससे दोस्ती करने का कोई मौका नहीं गवाता है और उसका दोस्त बन जाता है |  स्वामी के इस बर्ताव को देख उसके दोस्त उसको राजन की पूछ कहने लगते है और वो उनसे झगड़ पड़ता है | स्वामी का पुराना दोस्त मणि , राजन से बहुत इर्ष्या रखता है और उसको लड़ाई के लिए चुनौती देता है | राजन ये चुनौती स्वीकार कर लेता है और अगले दिन दोनों नदी के किनारे मिलते है | राजन अपने पिता की बंदूक लेकर आता है जिससे मणी डर जाता है और फिर बाद में वो दोनों दोस्त बन जाते है

आर. के. नारायण की अन्य किताबें

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रचनाएँ
मालगुडी डेज की प्रसिद्ध कहानियाँ
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मालगुडी के सुप्रसिद्ध भारतीय लेखक आर के नारायण की अनेक रचनाओं में केंद्रीय महत्व प्राप्त एक काल्पनिक शहर (कस्बा) का नाम है। उन्होंने इस काल्पनिक शहर को आधार बनाकर अपनी अनेक रचनाएँ की हैं। मालगुडी को प्रायः दक्षिण भारत का एक काल्पनिक कस्बा माना जाता है। लेखक ने इस संग्रह की कहानियों की रचना एक काल्पनिक शहर मालगुडी को आधार बनाकर की हैं। मालगुडी को प्रायः दक्षिण भारत का एक काल्पनिक कस्बा माना जाता है; परंतु स्वयं लेखक के कथनानुसार "अगर मैं कहूँ कि मालगुडी दक्षिण भारत में एक कस्बा है तो यह भी अधूरी सच्चाई होगी, क्योंकि मालगुडी के लक्षण दुनिया में हर जगह मिल जाएँगे।"
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ठीक दोपहर के समय वह अपना थैला खोलता और ज्योतिष की दुकान लगाता : दर्जन भर कौड़ियाँ, कपड़े का चौकोर टुकड़ा जिस पर कई रहस्यमय रेखाएं खिंची थीं, एक नोटबुक ताड़पत्रों की एक किताब। उसके माथे पर बहुत-सी भभूत

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