स्वतंत्रता के लिए अपने को पूर्ण रूप से समर्पित करने वाले क्रांतिकारियों के मध्य सुखदेव थापर एक ऐसा नाम है जो टिप्पणी की तरह अपनी चमक और कीर्ति भी खेलता हुआ बिछड़ता हुआ दिव्य आभा को से दमक
सुखदेवजो कतरा -२ अपने तन का , भारत माता को सौंप गये।थे आजादी के दीवाने ,कण्टक पथ चल सब झेल गये।अपनी माता के आंसू पौंछ, हिम्मत की दे गये एक मिशाल।मर जाऊं तो मां अश्क ना बहाना, तेरी गोदी का
सुखदेव थापर का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ था। अपने बचपन से ही उन्होंने भारत में ब्रितानिया हुकूमत के जुल्मों को देखा और इसी के चलते वह गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए क्रांतिक
इतिहास के पन्नों में एक नायक का उदय हुआ, सुखदेव थापर, एक ऐसा नाम जो हमेशा चमकता रहे। अटूट भावना और साहस के साथ इतना सच्चा, उन्होंने आजादी के लिए, मेरे लिए और आपके लिए लड़ाई लड़ी। भारत के एक देशभक्