तो हाजिर हूँ नई कहानी के साथ उमीद है आपका साथ ऐसे ही बना रहेगा,
सुबह हो चुकी थी, चारो तरफ रोशनी फैल चुकी थी लेकिन उसके जीवन में सिर्फ अंधकार ही अंधकार था,
दिन की पहली तेज किरणों ने अपना रास्ता बनाया और हर जगह फैल गयी।आने वाले गर्म दिनों के लिए फूल दुनिया को रंग रहे थे,
मुंबई शहर जहाँ लाखों लोग सपने लेकर जाते है उन में से कुछ ही लोगो के सपने पूरे होते है,
उसी शहर के जेल कि बेरंग सी इमारत में एक लड़की अँधेरे में कैदियों वाले कपडे पहनकर के शांत बैठी थी,
भले ही वो शांत थी, लेकिन आंखों में आँसू, चेहरे पर जगह जगह पर चोटों के निशान, शरीर पर पुरानी चोटों के निशान तो थे ही।
कुछ नई चोटे भी साफ दिख रहे थे।
हाथ पैरों पर तेजधार चीज से काटने के जख्म जिसमे खून बह बह कर सुख चुका था, कपडे खून से सने होये, जेल की दीवार पर सिर्फ एक ही शब्द खरोच खरोच के लिखा होया था,
टाइम विल टेल
ऐसा लगता था उसे रोज टॉर्चर किया जाता है, पता नही किस उम्मीद की फिराक में वो अभी भी सांसे ले रही थी,
शायद कुछ था ऐसा जो उसे मरने से रोक रहा था,
वो बैठी बैठी थक गई तो जैसे ही लेटने को होयी,
पेट के पास अचानक से असाहनिये तेज दर्द होया की उसकी आँखों के सामने कब अँधेरा छा गया।
उसे खुद भी पता नही चला,ओर वो बेहोश हो गयी,
जब उसे होश आया तो धुन्दला धुन्दला सा एक चेहरा नजर आने लगा। तो बाहर की तरफ एक हवलदार खड़ा था
उंसने मुस्कान के साथ उसे देखा और बोला
रे अदिति, चल उठ खाना खा ले, आज आख़िरीबार तुझे यह मैं खाना दे रहाहूँ, फिर पता नही कब मुलाकात होगी,
इतना कहते ही उससे हवलदार ने छोटी सी जाली खोल कर खाना अंदर की तरफ करदिया,
तभी अदिति ने भी हवलदार को देखा और बिनाकिसी भाव के बोली,"हम्म"
रात कब हो चुकी थी उसे पता ही नही चला,
खुद को खिसका खिसका कर उसने थाली को उठाया अपनी तरफ करने लगीं लेकिन अब उसमे इतनी भी हिम्मत नही बची थी कि खुद से खाना खा ले,
लेकिन हार मानना शुरू से उंसने सीखा ही नही था,
सारे दर्द सारी तकलीफ को सहन करते होये
उसने थाली से कुछ चावल ओर दाल मिक्स करके अपने मुंह मे डाली तो आंखों से बेहताशा आंसू आने लगे
हवलदार जा चुका था, उसने खाना खा कर फिर अपनी जगह पर लेट गयी,
आंखे बंद थी सांस बड़ी धीमे धीमे चल रही थी, थकान, दर्द, के मारे आंखे बंद होने लगी,
तभी वो 2 साल पहले की यादों में जाने लगी, सारे दृश्य फिरसे उसके जहन में आने लगे
वो कोर्ट रूम में खड़ी थी, चारो तरफ लोगो का शोर ही शोर था।
शोर हो भी क्यों ना, अदिति रायचन्द एक जाना माना नाम, शहर के अमीर खानदान की छोटी बेटी, जिसे अपने ही पति के कंपनी के सेक्रट लीक करने के इल्जाम में आज सजा सुनाई जानी थी,
वो कठघरे में खड़ी थी। उसके सामने उसी को बर्बाद करने वाले शख्स आराम से मुस्कराते होये बेंच पर बैठे थे,
रायचन्द खानदान की सबसे बड़ी बेटी लीना रायचन्द, gucci की लांगस्लीवलेस ड्रेस पहन कर वो सबसे आगे वाली लाइन में बैठी थी,चेहरे पर मोटी सी मेकअप की परत लगाए , छोटेछोटे बालों को हाथ से आगे पीछे करते होये वो सामने खड़ी अदिति को जलती होयी आंखों से देखरहीथी,
चेहरे पर शैतानी मुस्कान, छोटी सी नाक होंति पर गुढी लिपस्टिक, अपने निचले होंठ को हल्के से दांत से दबा रहीथी,
उसकी यही आदत लाखो लोगो को उसके पीछे पागल करने के लिए काफी थी, जितनी खूबसूरत किसी परी की तरह , लेकिन दिल और दिमाग से उतनी ही शैतान, घटिया, बुरी नीच, शातिर, अपने मतलब के लिए किसी को भी कुछ भी कर सकती है। ऐसी है यह लीना रायचन्द
ओर आज इसी की वजह से सामने कठघरे में खड़ी है ,
अदिति इसकी बहन,
बहन,,,,,नही ,,,,नही ,,,,,बहन नही सौतेली बहन,,,,,,,
अदिति रायचन्द, भले दुनिया की नजर में वो छोटी बेटी हो लेकिन असल मे वो एक नाजायज औलाद थी mr, सतीष रायचन्द की
सतीष की पहेली पत्नी के होने के भवजूद अदिति की माँ ओर सतीष का लव अफेयर था, दोनो की बेटी थी अदिति
शायद इसी वजह से लीना बहुत ज्यादा नफरत करती थी अदिति से,
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लीना के साथ बैठा था,
एक आदमी थ्री सूट पहने, हाथ मे रोलेक्स घड़ी,हल्की हल्की दाढ़ी, आँखों मे समुद्र जैसी शांति,हैंड्सम लम्बी नाक, चेहरे पे कोई ज्यादा भाव नही, उसकी एक ठंडी नजर के साथ वो कभी लीना को देखता तो कभी अदिति को, अच्छी खासी हाइट, जो देखे बस दीवाना हो जाये, तभी उसके अस्सिटेंट ने उसके कान के पास आकर कुछ कहा तो उसकी आंखें चमकी। शांत झीलके जैसा उसने दिल पर हाथ रखकर खुद से कहा,
अदिति देखता हूँ तुम्हें कोन बचाता है आज,
इतनी प्लानिंग करने के बाद आज फाइनली मेरा बदला पूरा होगा।
तभी जजसाहब आये और करवाई शुरू करने को कहा
अदिति के तरफ के वकील अपनी जगह से उठा और केस के बारे में बताने लगा।
To be continue
Missamittal
कहानी कैसी लगीं जरूर बताये,कि कॉमेंट, रिव्यू जरूर द