अचानक, पिछली रात के दृश्य के अंश श्रवण की आँखों के सामने आ गए । उस ने अपनी आँखें सिकोड़ लीं और भौहें, सिर दर्द महसूस करने लगा। उसने माया को अदिति समझ लिया था। उसके हृदय की गहराइयों से निराशा का भाव उमड़ पड़ा।
इन वर्षों में, माया एकमात्र ऐसी महिला थी जिसके करीब वह जाना चाहता था। वह एक सामान्य आदमी था। कभी-कभी उसे किसी की जरूरत होती मगर कोई भी महिला कितनी भी सुंदर और आकर्षक क्यों न हो, श्रवण को हमेशा अपने दिल की गहराई से घृणा महसूस होती थी।
वह कल रात की बात उसकी चुहन उसके होंठ उसे बहुत सिमिलर लग रहे थे "माया । स्टीवन ने बड़बड़ाया।
सर,,, उसको कहि खोए हुए देखते हुए असिस्टेंट ने कहा तो श्रवण ने आंखे उठा कर उसे देखा
सर आपको यह कल रात के इंसिडेंट की वजह से आपकी इमेज खराब हो गयी हैओर बुसिनेस पर भी फर्क पढ़ रहा है,
मुझे कोई फिक्र नही है, जाकर इस खबर को पब्लिश कर दो उसने एक पेज को आगे करते हुए असिस्टेंट से कहा
अपने सारे सोर्सेस लगा कर इस खबर को दबा दो, ओर सभी लोग जो कम्पनी को बदनाम करने मे लगें है उनको पैसे देकर चुप करवा दो,अगर नही मानते तो अपने हिसाब से करो
बोली जीतने की सफलता का जश्न मनाने के लिए, माया की कंपनी ने एक पर्टी रखी थी सभी जानते थे,
जो खबरे मीडिया में फैल रही है वो सब कुछ गलत है लेकिन उनको उस बात की कोई टेंशन नही थी क्योंकि माया ने सबको कह दिया था कि उस बात का उनके प्रोजेक्ट पर कोई असर नही पड़ेगा।
प्रोजेक्ट लीडर के रूप में, अदिति सबसे आकर्षक व्यक्ति थी। उंसने बहुत पी ली और फिर शांत होने के लिए बालकनी में जाने का बहाना ढूंढ लिया। अदिति ने मुंबई के रात की चकाचौंध के दृश्य को देखा। यह शहर हमेशा की तरह युवा और ऊर्जावान था। हर जगह
अवसर और जोखिम। वह बालकनी में लगे झूले पर बैठ गई। रात की हवा चल रही थी , जिससे उसके बाल थोड़े उलझे हुए लग रहे थे। अदिति ने लापरवाही से अपने बाल एक तरफ खींच लिए। उसकी हर हरकत आकस्मिक लेकिन करामाती थी। अदिति ने एक घूंट लिया। शराब उसके होठों पर रंगी हुई थी, जिससे वे क्रिस्टल स्पष्ट और कामुक दिख रहे थे।
"श्रवण। उसने धीरे-धीरे अपनी आँखें सिकोड़ लीं, फिर भी उसकी पिछली रात को उसकी कड़वी स्वीकारोक्ति सुनाई दे रही थी। दुनिया में ज्यादातर लोग अजीब थे।
किसी को वह नहीं मिल सकता था जिसे वह प्यार करता था, लेकिन जो उसके पास था उसे संजोता नहीं था।
एक व्यंग्यात्मक मुस्कान के साथ, उसने उज्ज्वल रात के आकाश को देखा और गिलास में से शराब पी ली। श्रवण क्या तुमको याद है कि उस साल आपने मुझे कितनी गहरी चोट पहुंचाई थी? मैंने कसम खाई थी कि मैं तुमसे दुगनी कीमत लुंगी।
श्रवण का ऑफ़स में
माया रिसेप्शन पर खड़ी थी
यह मेरा व्यवसाय कार्ड है। मुझे परियोजना के बारे में मिस्टर मित्तल से बात करने की आवश्यकता है। माया ने लो-कट चेस्ट सूट पहना था) गरिमापूर्ण लेकिन सेक्सी। वह अपनी पीठ सीधी करके खड़ी थी, सचिव की पुष्टि की प्रतीक्षा कर रही थी।
" मिस माया , इस तरह कृपया" आये
"धन्यवाद।" उसने अपना हाथ उठाया और धीरे से कार्यालय का दरवाजा खटखटाया जब तक कि उसने एक आदमी को धीमी आवाज में "अंदर आओ" नहीं सुना। दरवाजा खोलने से पहले उसने अपने होंठों को एक मुस्कान में घुमाया और अंदर चली गई। "
मिस्टर मित्तल । वह कैटवॉक करती होयी उस आदमी के सामने रुक गई। उसकी खूबसूरत आँखें चमक रही थीं। उस अद्भुत रात के बाद से, श्रवन अपने नग्न शरीर को जब भी याद कर सकता था। उसने उसे देखा। "तुम यहाँ क्या कर रही हो?"
जब श्रवण ने बोला, उसकी आवाज पहले से ही थोड़ी कर्कश हो गई थी। अदिति ने स्वाभाविक रूप से एक क्राफ्ट बैग खोला, फाइलों को बाहर निकाला और उसके सामने रख दिया। , यह कुछ पेपर्स है हमारी टीम ने अभी-अभी योजना बनाई है। मैं मूल्यवान सुझावों के लिए आपसे बात करनी चाहती हूं।"
श्रवण ने अपनी भौहें उठाई और तो अदिति ने उसे देखा
उसका चेहरा अब भी उतना ही आकर्षक और सुंदर था, जितना पहले हुआ करता था। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे दोनो किस दौर से गुजरे थे, उसे हमेशा लगता था कि वह अपने जीवन में अब तक का सबसे सुंदर आदमी था।
हालाँकि, बहुत समय पहले सबकुछ बदल गया था। "मिस्टर मित्तल, अगर आपको कोई समस्या आती है, तो कृपया मुझे निर्देश दें। उसकी आलसी और मोहक आवाज लग रही थी कि अदिति का कोमल हाथ धीरे-धीरे उसकी बांह पर फिरता जा रहा था ।
श्रवण का पूरा शरीर तन गया, हालाँकि उसकी आँखें अभी भी तनाव में थीं। दस्तावेज़, उसका साँसें भारी और भारी होती जा रही थीं।
श्रवण अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ और उससे दूरी बनाकर खड़ा हो गया और बोला
देखो माया मैं जो भी तुमसे कहूँगा शायद तुम्हे यक़ीन ना आये
पहले तो मैं उस रात के लिए तुमसे माफी मांगता हूं, मैं पता नहीं कैसे बहक गया था और तुम्हारे साथ वो सब करने की कोशिश करने लगा, उसकी आवाज भारी होने लगी
मुझे जबसे वो छोड़ कर गई है मैं किसी लड़की के करिब नही गया,पता नही मैं कैसे मैं आउट ऑफ कंटोल हो गया,
लेकिन तुम्हारी मजूदगी मुझे उसकी याद दिलवा रही थी तुम्हारे चहरे में मुझे वो दिख रही थी,
अदिति चुपचाप उसे सुन रही थी, वो भी बिना किसी भाव के
फिर उसके आगे आकर खड़ी हो गई ओर उसकी आंखों की नमी को देखकर बोली
मैं भी तुमसे माफी मांगने के लिए ही आयी हूँ दरअसल जब तुमने मुझे अपने करिब किया तो मुझे कुछ समझ नहीं आया आजतक कोई मेरे इतने करिब नही आया,
तो मैं ज्यादा हाइपर हो गयी थी और वो सब होगया फिर पता नही कैसे वहां पर मीडिया आ गई,
उंसने रूवासी आवाज में कहा तो श्रवण ने उसे धीरे से गले लगा लिया
देखो हम दोनों से गलती होयी है तो हम दोनों एक दूसरे को माफ कर देते हैं,
ठीक है,अदिति ने अपने होठों को थोड़ा मोड़ा और और अधिक दिलेर हो गई।
उसने अपनी पकड़ उसकी पीठ पे ओर मजबूत करली उसकी कसी हुई मांसपेशियों को महसूस करते हुए, वह संतोष के साथ मुस्कुराई।
उसने आँखें मूँद लीं, श्रवण उससे दूर होने को होने लगा लेकिन माया यानी अदिति उसे छोड़ ही नही रही थी
"श्रवण , तुम बहुत हैंडसम हो ,,इतना कहते ही उंसने अपने होंठ उसके सीने ओर रख दिये,
श्रवण को बिजली के झटके की तरह सुन्न महसूस हुआ! वह अपनी हांफने लगा खोपड़ी कस गई, और निचले शरीर ने पहले ही प्रतिक्रिया दे दी थी लेकिन वो सिटुटेशन को सम्भालते होये उससे दूर होया
ओर जल्दी से सीट ओर बैठ गया और बोला मैं इस प्लान को approve कर देता हूँ बाकी तुम अच्छे से देख लेना
इतना कहते ही उंसने जल्दी से sign करके फ़ाइल उसे पकड़ा दी
लेकिन आज अदिति कुछ सोच कर आई थी वो बिल्कुल उसी तरिके से श्रवण के सामने आकर डेस्क ओर बेठ गयी ओर फिर हल्के हाथों से उसके सीने को दबाने लगी,
श्रवण को करंटसा लगने लगा,
वो कुछ कहता कि अदिति उसकी गोद में बैठ गयी, श्रवण के कुछ करनेके पहेले ही अदिति ने अपनी बाहों को उसकी गर्दन पर लपेट लिया और बोली
पता नही कैसे मैने तुम्हे उस रात अपने आपसे दूरकर दिया मैंने उस दिन तो मुझसे गलती हो गयी लेकिन आजके बाद यह गलती नही होगी इतना कहते ही वो उसके करीब जाने लगी उसकी अदाएं श्रवण को पूरी तरह बेकाबू करने के लिए काफी थी
थोड़ी देर बाद, श्रवण को आखिरकार होश आया। वह अपनी जगह से उठ गया तभी उसकी नजर माया के पेट पर गयी वहां कोई निशान नही था जैसे अदिति के पेट और था
उसके दिलमें कुछ चुंभन तो होयी लेकिन वो कुछ कर नही सकताथा,
यह साबित हो गया कि श्रवण सहीथा की उसे इस माया का साथ अच्छा लगता था । उसने उस महिला की ओर देखा, जो उस पर प्यार जता रही थी
हर बार जब भी माया उससे मिलती, तो वह उसे चिढ़ाती और बहकाती। हैरानी की बात यह है कि श्रवण ने भी उसे रिजेक्ट नहीं किया बल्कि इस तरह के खेल का लुत्फ भी उठाया। हर बार करिब आने के बाद, वह अनिवार्य रूप से कुछ पेपर्स लाती । श्रवण भी बिना पढ़े हरबार उनपर sign करदेता ।
दिन-ब-दिन, उनका जटिल और सूक्ष्म संबंध और भी अस्पष्ट था।
श्रवण की पावर की वजह से कंपनी के लोगों ने उनसे खुलकर चर्चा करने की हिम्मत नहीं की। जायका के अंदर रहते हुए माया को लेकर हर तरह की चर्चा लंबे समय से फैली हुई थी। ऐसा लग रहा था कि सभी ने सुना है कि वह और श्रवण लाभ के लिए ही दोस्त बन गए हैं। जब भी माया यानी अदिती ने इन अफवाहों को सुना, उसने बस एक मुस्कान के साथ जवाब दिया। उसके लिए, यह उसकी उम्मीद से बहुत दूर था कि वह श्रवण न के साथ इतने कम समय में इतना अंतरंग संबंध विकसित कर सके की उसके इलावा उसे कोईऔर दिखे भी ना।
उसे इस बात की परवाह नहीं थी कि दूसरे उसके बारे में कैसा सोचते हैं। उसे वही करना चाहिए जो उसने करने की ठानी है। उसे कोई नहीं रोक सका। "
एक दिन दोनो गाड़ी में बैठे थे
मित्तल सर क्या हम होटल के लिए नहीं जा रहे हैं अदिति ने पूछा तो श्रवण ने उसे कहा आज हम हमारे घर जारहेहै
हमारे,,,अदिति ने चोंकते होये पूछा
ओह्ह हो बाबा मेरे घर,, श्रवण ने कहा तो अदिति के दिलकी दड़कन बढ़ सी गयी
आधे घंटे बाद, जब कार एक विला के गेट पर रुकी, तो वह अचानक से अदिति उतरना नहीं चाहती थी। जब अदिति ने देखा उसके सामने परिचित घर, सभी तरह की भावनाओं ने उसे घेर लिया। वह स्थिर लग रही थी और लंबे समय तक हिली नही ।
"तुम क्यों नहीं जाना चाहती अंदर ?" श्रवण अचानक से झुक गया ओर उसके चेहरे के बहुत करीब आ गया। जब उसने उसके लिए सीट बेल्ट खोली, तो अदिति को उसकी सांस भी साफ सुनाई दे रही थी। "बेशक, मैं जा रहा हूँ। मैं का इंतजार कर रहा हूं तुम्हारा
इतना कहते ही श्रवण गाड़ीसे निकल गया,
पिछली बार उसे यहां से निकले हुए कई साल हो गए थे। यह सब पहले जैसा ही लग रहा था लेकिन पिछला प्यार और नफरत फीकी पड़ गई थी। अदिति भारी कदमो से चलने लगी।
वह क्या महसूस कर रही थी, यह बताना मुश्किल था। उसे बस यही लगा कि उसके दिल के कोने-कोने से अतीत की यादें और भावनाएँ निकल रही थीं।
यहां हुई अविस्मरणीय कहानियांउसकी आत्मा में पहले से ही गहराई से उकेरी गई थीं। बुरा महसूस करते हुए, उसने भौंहें चढ़ा दी और उत्सुकता से पूछने का नाटक किया, "मिस्टर मित्तल , क्या यह तुम्हारा घर है?"
"हाँ। श्रवण ने थोड़ा सिर हिलाया, अदिति को एक एक गिलास पानी देकर दूसरी मंजिल की ओर देखा ओर बोला "ऊपर चलते हैं
" अदिति ने उस कमरे को देखा जहाँ वह कई सालों से रह रही थी और उसे आगे बढ़ना मुश्किल लगा। "क्या मिस्टर मित्तल ?" वह अपनी बाहों को पार करके आकर्षक रूप से मुस्कुराई। उसने अपनी आँखें झपकाईं और कहा अच्छा जानबूझकर, '
तुम महिलाओं को घर ले आते हैं, ताकि किसी को खबर ना लगे और आपके करियर को नुकसान ना हो, क्या तुम ,,,वो कुछ कहती कि श्रवण पहले ही दूसरी मंजिल पर खींचते होये लेजाने लगा । अदित्ती उसकी पकड़ से मुक्त हो ही नहीं सकी।
भले ही वो उस कमरे में उसके साथ प्यार नहीं करना चाहती थी, लेकिन उसके पास कमरे में उसका पीछा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उसने परिचित कमरे में देखा और पाया कि सारा फर्नीचर अब भी पहले जैसा ही था। बड़ी खाड़ी की खिड़कियां, ताजे फूल और पौधे, दीवारों पर पेंटिंग, और मेज पर सुगंधित मोमबत्तियां। सब कुछ वैसा ही था जैसा वह यहां रख्ती थी।
उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। अदित्ती ने आश्चर्य से अपनी आँखें खोलीं।
यहाँ को रहता है ? लेकिन उसके चेहरे पर अजीब नज़ारा उस समय गायब हो गया जब श्रवण ने अपना सिर उसकी ओर किया। "यह मेरा कमरा है।" वह सबसे कोमल स्वर में बोला, मानो कोई साधारण बात कह रहा हो।
आदिति की उंगलियां लगभग मांस में गहराई से डूब गईं। उसने अपने दिल में भावनाओं को वापस रखा और मुस्कुराई। "क्या मुझे नहीं पता कि मिस्टर मित्तल को लड़की पसंद है?" उसने फूलों और पौधों की ओर इशारा किया और चिढ़ाया, "यह विश्वास करना कठिन है कि बिना महिला की मदद के कमरे को इतने आराम से सजाया गया है।"I'm impressed
क्या यहां किसी का समान भी है क्या ?
दो सेकंड के मौन के बाद, उसने अचानक उत्तर दिया, "वहाँ था।" इन दो शब्दों ने अदिति को अपने कदम रोक लिए।
श्रवण के होंठ एक आत्म-हीन मुस्कान में मुड़े हुए थे। "वहां है।" अदिति ने सोचा कि उसने उसे गलत सुना है।
श्रवण ने इतने अफसोस भरे लहजे में कभी कुछ नहीं कहा। यह महसूस करते हुए कि उसका दिल तेजी से धड़क रहा है, वह सीधे अलमारी में गई और उसे खोल दिया। जब उसने देखा कि उसकी याद में जाने-पहचाने कपड़े मौजूद हैं, तो उसके हाथ काँप गए और वह मौके पर ही जमी हुई थी। इस बार, उसने इसे नियंत्रित करने की कितनी भी कोशिश की हो, फिर भी उसने आश्चर्य से अपनी आँखें खोल दीं। वे सभी उसके पहले कपड़े थे। अदिति ने उन्हें एक ट्रान्स में देखा, और उसकी आँखों में लगभग अनजाने में आँसू आ गए।
नहीं! उसको क्या हूआ है? वह अपने सभी प्रयासों को विफल नहीं होने दे सकती थी!
यह देखकर कि वह अचानक कठोर और गतिहीन हो गई, श्रवण ने भौंहें चढ़ा दी और पूछा, "तुम्हें क्या हो गया है?
" जैसे ही श्रवण की आवाज अदिति कब कान में गयी उंसने अलमारी के दरवाजे को धमाके से पटक दिया है।
"तो आपके पास वास्तव में कोई है।" अदिति ने ईर्ष्यालु होने का नाटक किया और आह भरी वह निराश लग रही । श्रवण ने मुंह फेर लिया।
जब वह गुजरी। उसकी कलाई पकड़ ली और उसकी आँखें छोटी करके बोला क्या तुम बहुत हैरान हो?"
"थोड़ा सा।" अदिति ने शरमाया, और अपने आकर्षक और सेक्सी लाल होंठों के साथ कहा, "आखिरकार, तुम मेरे पास इतनी बार आए हो।
मुझे लगा ही नही की आपकी भी कोई प्रेमिका है । उसने दया से अपना सिर हिलाया, "मुझे आपकी प्रेमिका के लिए थोड़ा दुख है।
काश.. अगर वह जानती कि उसके आदमी ने उसके बिस्तर में अन्य महिलाओं के साथ प्यार किया है, तो वह गुस्से से भर जाएगी।" श्रवण ने उसके चेहरे के भावों में हर बदलाव के बाद उसे देखा। हालांकि, लंबे समय के बाद, कुछ भी असामान्य नहीं था। श्रवण के दिल के नीचे से नुकसान और निराशा की भावना उठी। उसे सिरदर्द महसूस हुआ। अदिति ने उसकी ओर देखा, अपनी उंगलियों को थोड़ा चुटकी ली और कहा, "पहले स्नान करो।" उसके बाद, वह बाथरूम में चली
अदिति इतनी थकी हुई थी कि उसे अपनी उंगलियों को हिलाने की ताकत नहीं लगती थी, लेकिन उसके बाद भी वह उठने के लिए संघर्ष करती रही और बाथरूम में चली गई। वह बाथटब में डूब गई और टब से पानी निकल कर इधर उधर फैल गया| उसने खुद को पूरी तरह से डुबो लिया ।
केवल इस तरह वह आपने आँसुओं को महसूस नहीं कर सकती थी। आज से पहले, अदिति स्वाभाविक रूप से अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकती थी। श्रवण के सामने भले ही वह पूरी तरह से शांत न भी हो सकती हों, लेकिन वह एक आदर्श अदाकारा हो सकती हैं।
लेकिन अब वह उसे घर ले आया । एक ही कमरे में और एक ही बिस्तर पर सबसे अंतरंग चीजें करते हुए वापस उस जगह पर जहां वे इतने सालों तक एक साथ रहे थे।
ऐसा लग रहा था कि सब कुछ अतीत में लौट आया है। वह अभी भी खुश और मासूम छोटी लड़की थी जिसे उसके द्वारा बिगाड़ा गया था। उस समय, वह नर्क में नहीं गई थी। वह नहीं जानती थी कि लोगों के दिल कितने भयावह हो सकते हैं और एक व्यक्ति के कितने अलग-अलग चहरे हो सकते हैं।
उस समय, उसने सोचा कि उसे हमेशा के लिए भगवान का आशीर्वाद मिलेगा। जानबूझकर सील की गई यादों ने उसके दिमाग में हलचल मचा दी।
अदिति पानी में डूब गई और उसके चेहरे से आँसुओं की धारा बह रही थी।
जब वह बाथरूम से बाहर निकली, तो वह केवल माया थी।
आधे घंटे बाद। अदिति ने अपने कपड़े पहने लेकिन श्रवण को कमरे में नहीं देखा, इसलिए वह उसे खोजने के लिए नीचे गई।
लिविंग रूम के रास्ते में, उसे श्रवण नहीं मिला। जबकि वह भ्रमित थी, उसने रसोई से आवाज सुनी। उसने अपना सिर घुमाया और देखा कि लंबा आदमी एक एप्रन पहने हुए है जो उसके आकार के अनुकूल नहीं था।
किचन से बाहर आते समय वह बर्तन पकड़े हुए था। "आओ और खाओ अब जब तुम तैयार हो।
श्रवण ने उसे बुलाया
समय बदल चुका था।
कोई व्यक्ति जिसने कभी रसोई में प्रवेश नहीं किया था, वह खाना बनाना सीख गया था।
वह आहें भर कर खाने की टेबल पर बैठ गई। श्रवण ने कुछ साधारण घर में पके हुए व्यंजन फ्राई किए। उसने पहले चखा और कहा, "चलो खाते हैं।"
अदिति ने अपनी चमच ली और एक टुकड़ा अपने मुँह में डाल दिया।
बेकार,,, इसका स्वाद कड़वा क्यों है?
उसके दिल में तरह-तरह की भावनाएँ उमड़ पड़ीं। वह पहले ही बाथरूम में शांत हो चुकी थी और फिर से अपना आपा खोने वाली थी। अदिति ने जल्दी से अपनी चमच्च नीचे रखी और एक गहरी सांस ली। उसने विषय बदलने की कोशिश की, "मिस्टर मित्तल" "
मुझे वह मत बुलाओ।उसकी बात सुनकर वो
" वह थोड़ा स्तब्ध हो गयी ,
वह उसे पहले की तरह श्रवण नहीं कह सकती थी। "अच्छा
, तुम मुझे अपने और अपनी प्रेमिका के बारे में क्यों नहीं बताते?" अदित्ती ने शराब का एक घुट लिया।
श्रवण के जवाब सुनने की अदिति को उम्मीद नहीं थी। उसका जवाब सुनते ही उसका पूरा शरीर कांप नहीं सका।
"हम दोनों पहली बार कॉलज में मिले थे
उंसने ने चावल का एक बड़ा चम्मच लिया और कहा। खाने के दौरान,
"वह 20 साल की उम्र से मेरे साथ रही है। वह बहुत सुंदर और स्मार्ट है,वह मुझ पर इतना भरोसा करती है कि उसने लगभग दिया दिल मुझे दे दिया । "
मम्म। अदिति की नसें धीरे-धीरे कसने लगी , इसलिए उसकी सांसें तेज चलने लगी । उसने जल्दी से खाना खत्म किया, फिर कटोरा नीचे रखा और एक कपडे से अपना मुंह पोंछ लिया।
जब वह याद कर रहा था, तो उसकी आँखें प्यार से भरी थीं।" जब वह कॉलेज में थी तब से हम साथ थे उंसने मेरे लिए बहुत कुछ किया,
मैंने हमेशा उसे प्यार करने का सिर्फ नाटक किया उसे एक ऐसा महसूस करवाया जिससे सभी महिलाएं ईर्ष्या करती थी उससे। मैंने उसे स्वर्ग जैसा महसूस कराया।" वह अचानक रुक गया, और उसकी आँखों के भाव थोड़े बदल गए। "अंत में, मैंने उसे नरक भेज दिया।" यह सुनकर
, अदिति ने उत्सुक होने का नाटक किया और पूछा, "क्यों?"
"क्यों?" ?" श्रवण खुद से बुदबुदाया।
उसकी आवाज आत्म-ह्रास से भरी थी। वह अचानक हँसा। " शायद इसलिए क्योंकि उसके पिता ने मेरे पेरेंट्स को मार दिया।
मुझे लगता है कि उसकी बेटी के लिए उसके लिए कीमत चुकाना स्वाभाविक है, इसलिए मैंने शुरुआत से ही उससे जानबूझकर अपने करिब रखा । मैंने उसका फायदा उठाया और उसे नष्ट कर दिया।
" "मैंने उसके लिए एक जाल बिछाया और उसेधकेल दिया अपने हाथों से।
मैंने उसे अपनी आंखों से जेल की सजा होते देखा। मैंने अपने दुश्मन की बेटी को पागल होते देखा। मुझे लगा कि मैं जीत की खुशी का स्वाद चखूंगा। श्रवण ने खुद का मजाक उड़ाया।
"लेकिन सब कुछ सादा कैसे हो सकता है बाद में, उसे जेल से रिहा कर दिया गया और ऐसा लग रहा था कि वह पूरी तरह से एक और नई व्यक्ति में बदल गई है।
मैंने देखा कि उसकी आंखों में वो रोशनी नहीं थी। अदिति का शरीर और भी सख्त हो गया।
"और फिर बाद में, मुझे पता चला कि उसके पेट पर दो-दो निशान क्यों थे।"
अदिति यह सुनकर, उसके लिए दूसरी बार सांस लेनी मुश्किल होगयी
, अदिति की आँखें आश्चर्य से चमक उठीं यह पता चला कि वह पहले से ही सब कुछ जानता था।
श्रवण उसे बता रहा था,
उस कट के बारे में जिसे वह कभी अपने दिल से छूने की हिम्मत नहीं कर सका।
उसने खुद को इस तरह सजा देने के लिए अपने तरीके का इस्तेमाल किया।
अदिति ने एक गहरी सांस ली और जल्दी से दूर देखा, अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश कर रही थी।
उसके आश्चर्य के लिए, वह पहले से ही माया पर इतना भरोसा कर चुका था।
अदिति ने अपनी योजना के अगले चरण के बारे में सोचते हुए, खुद को पिछली यादों से बाहर आने के लिए मजबूर किया। अपनी ठुड्डी को अपने हाथों में रखते हुए वह मुस्कुराई और कहा, "यह एक सब कहानी की तरह लग रहा है। so सैड
"पर अब जब तुम मुझसे मिल कर मुझे घर ले आए हो, तो
क्या तुम उस स्त्री को नहीं भूलोगे जो अतीत की थी?" यह सुनकर, श्रवण ने उस महिला की ओर देखा जिसकी आँखों में जटिल भावनाएँ थीं।
अदित्ती की आंखे अपने आप बन्द हो गयी
धीरे से श्रवण ने लाल होंठ चूम लिय। उसके कोमल होंठों को महसूस करते हुए श्रवण की सांसें थम गईं। उसने तुरंत उसे सोफे पर ले गया। उसकी भावनाओं का समंदर उबाल मारने पर था।
इस समय, उनका जुनून फिर से प्रज्वलित हो गया! जैसे ही वह थोड़ा करीब आते दोनो एकदूसरे को महसूस करने लगे थे।
विला का दरवाजा अचानक खुल गया।
लींना ने श्रवण के असिस्टेंट से चाबी ली थी क्योंकि श्रवण कंपनी में नहीं था और उसने उसके कॉल का जवाब नहीं दिया।
इसलिए उसे खोजने के लिए उसे घर आना पड़ा।
उसने उम्मीद नहीं की थी कि "आह" दरवाजा खोलने से पहले ऐसा दृश्य उसका इंतजार कर रहा था। उसने अपना चेहरा ढँक लिया और जोर से चिल्लाई और अविश्वास में अपनी आँखें चौड़ी कर ली!
श्रवण ने मुँह फेर लिया और अदिति से उठ खड़ा हुआ।
वह |
अपने पीछे हैरान महिला को देखने के लिए मुड़ा, आश्चर्य नहीं हुआ। "श्रवण , तुम यह सब क्या कर रहे हो ?!"
कई मूर्ख महिलाओं की तरह लींना को भी उम्मीद नहीं थी कि वह एक दिन इस तरह के सवाल पूछेगी।
उसने उसे बिस्तर पर पकड़ लिया था, लेकिन वह अभी भी उसके समझाने की प्रतीक्षा कर रही थी। श्रवण ने उसे शांत भाव से देखा। यह स्पष्ट था कि उनका जवाब देने का इरादा नहीं था। अदिति के होंठ एक मुस्कान में खुल गय , इससे पहले कि वह धीरे-धीरे सोफे से उठती
की लींना ने उससे पूछा
"तुम कौन हो?!" लींना ने उसकी ओर इशारा किया, जैसे ईर्ष्यालु चिराग।
अदिति ने उसे एक आकस्मिक नज़र दी, फिर उस आदमी की ओर देखा और उत्सुकता से पूछा, "मिस्टर मित्तल क्या यह आपकी प्रेमिका है?" श्रवण ने बिना सोचे समझे अपना सिर हिला दिया "नहीं।"
उसकी प्रतिक्रिया ने लींना की नसें लगभग पूरी तरह तोड़ दीं! "श्रवण!"
उसके अनुचित व्यवहार को देखकर लींना को बहुत गुस्सा आया।
उसने चिढ़कर अपनी भौहें चुटकी लीं और ठंडे स्वर में कहा, "क्या तुम चुप हो सकते हो?"
अदिति बदला लेने की खुशी से मुस्कुराई)
लींना यह पता चला कि तुमको भी नुकसान होगा। "तुम बेशर्म द्वि*च, मुझ पर हंसने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई!" लींना इतनी गुस्से में थी कि उसने कप को उठाया जोकि टेबल पर रखा होया था और सीधे अदिति पर फेंक दिया!
"क्या तुम पागल हो?" श्रवण ने एक भयानक आवाज में कहा ।
उसने लींना की कलाई पकड़ने के लिए अपना हाथ उठाया और उसे एक तरफ फेंक दिया।
"माया, क्या तुम ठीक हो?" उसका चिंतित रूप देखकर अदिति की आंखें थोड़ी सी सिकुड़ गईं।
गिलास में पानी अब गर्म नहीं था, लेकिन उसने फिर भी उसे ढँक लिया | गाल और गुस्से का नाटक किया और जानबूझकर कहा, "ऐसा लगता है कि तुम्हारी प्रेमिका ने अपना आपा खो दिया है। मिस्टर मित्तल आप मेरे चरित्र को जानते हैं।
इस मामले में
, या तो इसे -या मुझे ,,,दोनो में से किसी ओर को चुन लें
" अदिति ने लींना की ओर इशारा किया जो जमीन पर गिर गई और अपनी आँखें सिकोड़ लीं। "
यदि तुम उसे चुनते हैं तो मेरे पास दोबारा मत आना।" "
उसने जानबूझकर अपनी बातों पर जोर दिया। उसके शब्दों ने उस आदमी को झकझोर दिया, जिससे वह तुरंत घबरा गया!
इससे पहले अदिति ने भी उन्हें ऐसे ही निर्णायक स्वर में कहा था
सब बराबर है ,
ओर अब माया ।"
मेरे पास मत आना
उसने अपने सामने महिला को देखा। दोनों की आंखें इतनी समान क्यों दिख रही थीं?
चूंकि अदिति ने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया था, वह अब और नहीं रहना चाहती थी यहाँ पर । अदिति ने दरवाजा पटक दिया और विला छोड़ कर चली गई।
लींना जमीन पर दर्द से लड़खड़ा गई। महिला की पीठ को देखते हुए, वह चौंक गई!
क्या यह सचमें अदिति तो नही
नही नही वो कैसे हो सकतीहै वो तो कबकी यहाँसब जा चुकी है,,,लींना ने खुदसे ही कहा
To be कंटिन्यू
Miss a mittal