अदिति ने शर्ट के लगभग आधे बटन खोल लिए थे। वो बड़े मनमोहन तरिके से श्रवण की गोद मे बेठ गई। श्रवण ने सांस लेने के लिए हांफते हुए अपने दांत पीस लिए और अपना वजन अदिति की कमर पर डालते होये कहा । "छोटी वेश्या, तुम जेल में यह क्या सब सीख के आयी हो, हाँ?" अदिति ने कोई जवाब नहीं दिया, बस मुस्कान के साथ उसे देखती रही।
श्रवण को उसकी मुस्कान से खीझ होने लगी जैसे उसे कोई फर्क ही ना पड़ता हो,
लेकिन श्रवण का गुस्सा अब हद से बाहर होने लगा पता नही क्यों उसे तकलीफ हो रही थी
उंसने अदिति के बाल पकड़ कर कहा
"बताओ! क्या तुम्ने जेल में किसी और आदमी के साथ कुछ किया है?" श्रवण ने फिर पूछा।
लेकिन अदिति ने फिर भी कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन श्रवण को उसकी चुप्पी असहनीय लगी।
उसने उसे उठाया और केबिन के अंदर बने कमरे में ले गया , उसने जोर से अदिति को बेड पर पटक दिया।
वह अदिति के कपड़े उतारने जा रहा था। लेकिन अदिति ने उसे मना कर दिया।
लेकिन श्रवण बहुत गुस्से में था, उंसने उसके सारे कपडे फाड़ दिए
लेकिन जब उसकी नजर उसके
पेट पर लगे जख्म पर गयी वो उसे देखकर वह दंग रह गया।" यह क्या हुआ?" उसका गुस्सा कुछ शान्त होया उंसने बड़े हल्के से उसके जख्म को छू कर पूछा
वही अदिति ने अपने चेहरे पर एक व मुस्कान के साथ, उसने अपनी बाहों को श्रवण के गले में डाल दिया और बोली "यह सिर्फ मामूली ऑपरेशन है।"
अदिति के चेहरे को इतना सरल शांत देख कर श्रवण को यकीन नही होया की वो इसे इतनी आसानी से कैसे कह सकती है कि मामूली ऑपेरशन है,
लेकिन उसको याद आया कि आज तक उसका कोई ऑपेरशन ही नहीं हुआ तो यह घाव कैसे जरूर जेल में यह ऑपेरशन होयया होगा
किस चीज का ऑपरेशन था उसकी आंखों में देखते हुए पूछा अदिति ने मुस्कान देते हुए कहा : "जब मेरे पास पैसे नहीं होते हैं तो मैंने अपनी किडनी बेच दी।" श्रवण को सिर से पाँव तक कम्बनी छूट गई लग। पल भर में सारी आग बुझा दी गई। सारा गुस्सा सारी नफरत सब कुछ गायब हो गया।
उसकी बातें एक नुकीले छुरे के समान थीं, जो उसके हृदय को छेद रही थी और उसे दर्द से कांप रही आवाज में पूछा । तुमने अपनी किडनी बेच दी क्योंकि तुम्हारे पास पैसे नहीं थे?" श्रवण बेहद गुस्से में था। क्या यह महिला पागल थी? यह इतनी बड़ी बात थी, लेकिन उसने इसे लापरवाही से कहा, जैसे कि उसने अभी-अभी एक पॉपकॉर्न उठाया हो फ़िल्म देखते हुए। यह महिला अब वह महिला नहीं थी जिसे वह जानता था।
उसकी सारी हरकते शान्त झील के जैसे ठंडी जो गयी
अदित्ती ने उसे रुकते देख कर पूछा "क्या हुआ? यह सिर्फ एक मजाक है। उसने इतना कहते ही आंखे बंद करली ओर फिर से बोली
मैं जेल में किसी के साथ रिलेशन में थी, गर्भावस्था के कारण मेरी सर्जरी हुई।"
रिलेशन श्रवण को उसकी बात किसी खंजर की तरफ चुबी उंसने एक गहरी सांस ली। उसने हाथ उठाया और उसके चेहरे पर थप्पड़ मार दिया। वह एक जानवर की तरह उसके शरीर पर झपट पड़ा, उसने अपनी इच्छा से अपना गुस्सा निकाला उसे लगा कि वह पागल हो जाएगा,
यह औरत उसके साथ खेल रही थी , उसे सिर्फ परेशान कररही थी लेकिन फिर क्यों उसे इतना बुरा लगा जब उसने कहा कि उसने अपनी किडनी बेच दी क्यों उसे गुस्सा आया कि उसका किसी के साथ रिलेशन था,
आखिर क्यों उसे यह सब सहन नही ह रहा था
अदिति आंखे बंद किये उसकी हर हरकत सहन कररही थी,
श्रवण का ध्यान फिर अदिति की बातों पर गया,
वह इस तरह की बात को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं कर सकते था कि कोई आदमी उसके साथ रिलेशन में हो । न चाहते हुए भी - यह महिला, भले ही उसने उसे जेल भेज दिया था , वह अन्य पुरुषों को उसे छूने नहीं देगा!
सोच सोच कर उसकी हरकते ओर तेज हो गयी
अदिति को लगा जैसे उसके पूरे शरीर के टुकड़े-टुकड़े होने वाले हैं। यह जानवर! "श्रवण! तूम गुस्से में क्यों हो ? क्या तुम अब भी मेरी परवाह करते हो हाँ बोलो ?
क्या तुम्हें अपने दुश्मन की बेटी के किसी दूसरे आदमी के साथ यौन संबंध बनाने के बारे में ही सोच कर दुखी हो गए हो ?
हा- हा! आप बहुत मजाकिया हो !" "यह मत कहो कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए जगह है।
अदिति जोर जोर से हँसने लगी
मैं अब तुम्हारे पास इसलिए आयी हूं क्योंकि कोई मुझे काम पर रखने को तैयार नहीं है। नौकरी नहीं मिल रही है और मेरे पास पैसे की कमी है।"
श्रवण को पता ही नही था कि कभी शब्द इतने भी नोकीले हो सकते हैं।
उसके दिल मे कहि ना कहि बहुत गहरी चोट लगी थी अदिति की बाँते सुनकर
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं,अंत में उसे छोड़ दिया।
वो बेड से उठा और अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गया,लेकिन अदिति अभी भी उस कमरे में ही थी क्योंकि उसके कपडे श्रवण ने फाड़ दिए थे,
कुछ मिनट ही गुजरे होंगे कि श्रवण ने कुछ कपडे अंदर आ कर उसे दे दिए और बाहर अपनी कुर्सी पर बैठ गया
अदिति बाहर आ गयी
तभी श्रवण ने एक चेक उसके पास फेंक दिया।
निकल जाओ यहाँ से ओर,,,,
वो बात पूरी कर पाता कि अदिति ने वही साइड में पड़े बेग में से एक गर्वनिरोधक गोलियों का धब्बा निकाल कर उसमें से एक गोली अपने मुंह मे डाल कर पानी पी लिया
उसके बाद जमीन से चेक उठाया और साफ करके अपने बैग में रखा और श्रवण के पास जाकर बोली
मैं अभी किसी आदमी के बच्चे की माँ नही बन सकती एक ऑपेरशन करवा के जो दर्द सह न किया है उसे फिरसे नहो सहन करना मुझे
अगर कभी याद आये तो बुला लेना, श्रवण साहब, इतना कहते ही वो बाहर की तरफ चली गई।
इमारत से बाहर निकलते हुए, अदिति ने टैक्सी को अपने हाथ से रोका। जब वह टैक्सी में बैठी और दरवाज़ा बंद किया, तो उसने अचानक ऊपर देखा और ज़ोर से रोते हुए अपना चेहरा ढक लिया!
ड्राइवर एकदम उसके तो रोने से डर गया और पूछने लगा , "तुम्हें क्या हो गया है बेटा रो क्यों रही हो? कुछ गलत होया है?"
अदिति ने कहा: "मुझे बॉस ने नॉकरी से निकाल दिया । मुझे डर है कि मेरे माता-पिता को जब यह बात पता चलेगी तो वो बहुत परेशान हो जायेगें। सफेद बालों वाले ड्राइवर ने भी अपनी आँखें बन्द की ओर फिर खोल कर बोला: "अरे, तुम बच्चे माता-पिता के साथ बुरी खबर साझा करने के बजाय अच्छी खबर साझा करना पसंद करते हो। लेकिन
माता-पिता यह नहीं सोचेंगे कि आप निकम्मे हैं। आपके लिए आपके घर का दरवाजा हमेशा खुला रहता है समझ आयी बात।" "अंकल मेरे पास अब घर नहीं है! मेरे पास अब कोई घर नहीं है!" अदिति उदास होकर रोने लगी। ड्राइवर ने सड़क के किनारे टैक्सी रोक दी और मीटर को रुकने के लिए दबा दिया। "लड़की, अगर तुम रोना चाहती हो, तो रोओ। मैं आपसे पैसे नहीं लेता। जब आप बेहतर महसूस करेंगे तो मैं आपको आपकी मंजिल तक पहुंचा दूंगा। मेरे पास आपकी उम्र की एक बेटी भी है। तलाक के बाद अब वह अकेले ही अपने बच्चे की देखभाल करती है। पता नहीं कितनी बार वो मेरी गैरमौजूदगी में रोई है।" मुझे नही पता लेकिन मेरे सामने खुश होने का नाटक करती है।
अदिति ने ड्राइवर की आंखों में आंसू देखे।
सच तो यह है कि जीवन की खातिर, हर किसी के लिए जीना आसान नहीं है ।
जब वह बैंक पहुंची, तो अदिति ने ड्राइवर को पैसे दिए। अदिति ने चेक बैंक में जमा करवा कर सारे पैसे अपने खाते में डलवा लिए फिर वह अपनी बेटी को देखने अस्पताल गई।
सियांना, जो लगभग डेढ़ वर्ष की होने वाली थी थी, ने अपना छोटा सिर इकदम गंजा था। उसे ल्यूकेमिया था, चारो तरफ मशीनें ही मशीनें उसके साथ जुड़ी हुई थी
उसे ठीक करने के लिए उसके साथ मिलता जुलता बोन मैरो चाहिए लेकिन इतनी कोशिश करने के बाद उसे सफलता हासिल नही होयी इसलिए उसने श्रवण ओर उसका एक बच्चा ओर चाहिए था ताकि अपनी बेटी को ठीक कर सके
वह जो गोली उस डब्बे में लाई थी वह केवल विटामिन कि गोली थी डॉक्टर ने कहा था कि सियांना के पास 2 साल ही है, उसकेअंदर अंदर अगर उसे डोनर मिलगया तो वो ठीक जायेगी
इसलिए उसे जल्द से जल्द प्रेग्नेंट होना होगा
एक समय में गर्भवती होना असंभव था इसलिए उसे बहुत बार श्रवण के करीब जाना होगा ।
श्रवण के साथ अपने रिश्ते को खत्म करने से पहले उसे यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत थी कि वह गर्भवती है की नही
यह जंग उसके लिए आसान नहींथी श्रवणसे बदला लेने से पहले उसे अपने बच्ची को ठीक करना होगा
सबसे पहले उस के लिए उसका बच्चा है, बाकी सब बाद में,
To be continue
Miss amittal