एक दिन बाद।
श्रवण के हाथ में एक फीकी फोटो थी। तस्वीर में दिख रही वो लड़की लगभग 20 या21 साल की थी, जिसके सीधे काले बाल थे, सफेद पोशाक और कैनवास के जूते पहने हुए थे। उसकी मुस्कान गर्मी के बीच में धूप की तरह गर्म थी। ओर उसके साथ एक लड़का जो वही था
कॉलेज के टाइम की यही एक एकमात्र तस्वीर मिली थी उसे अदिति के पापा के घर मे ,,,
जब वह उस तस्वीर डूबा हुआ था, सहायक ने कार्यालय का दरवाजा खटखटाया।
उस आदमी ने चुपचाप फोटो को दराज में रख दिया और कहा, "अंदर आओ।"
श्रवण सर, अस्पताल की जांच रिपोर्ट आ गई है।" सहायक ने तुरंत अपने हाथ में दस्तावेज सौंप दिए। श्रवण ने शीट खोली और उस पर नज़र डाली।
यह कल उंसने जानबूझकर लींना चेक-अप करवाया था।
उसको तो बस श्रवण के साथ रहना था तो उसने भी खुशी खुशी उसकी बात मानकर वो सब किया जो श्रवण ने कहा
आखिर वो उसकी गर्लफ्रैंड जो बन चुकी थी उंसने सारी टेंशन सारे दुख सब कुछ भुला कर श्रवण के साथ वक्त बिताया,लेकिन वो इतनी खुशी में उस किडनी की बात को भूल गयी और अपना पूरा चैकअप करवा लिया।
शारीरिक जांच रिपोर्ट को देखते हुए श्रवण का चेहरा धीरे-धीरे काला पड़ गया।
अंत में, "बैंग -" श्रवण ने डेस्क पर जानकारी वाली रिपोर्ट फेंक दी, वो उठ गया और बिना एक शब्द कहे खिड़की पर चला गया।
सहायक ने संदेह से मुंह फेर लिया, फिर अवचेतन रूप से और उत्सुकता से डेस्क पर मौजूद दस्तावेज़ को देखा। उसकी आँखें आश्चर्य से फैल गईं। ऐसा इसलिए नहीं था क्योंकि लींना के परिणामों से पता चला कि उसने हाइमन की सर्जरी करवाई थी।
हाइमेनोरैफी सर्जरी।
ऐसा इसलिए था क्योंकि
... इससे पता चला कि उसके पास अभी भी दो पूर्ण गुर्दे हैं।
क्या?!
उसे स्पष्ट रूप से याद आया कि मिस लींना ने एक बार मिस्टर मित्तल को बचाने के लिए एक किडनी ट्रांसप्लांट की थी! लेकिन अब साफ था ली लीना ने अच्छा खेल खेला है उंसने उसके मालिक को बेफकूफ बना दिया है?"
श्रवण खिड़की के सामने खड़ा था सहायक उस समय उस व्यक्ति के हाव-भाव नहीं देख सका, लेकिन वह उसके गुस्से को महसूस कर सकता था। और उसका गहरा अफसोस। सहायक एक पल के लिए स्तब्ध रह गया और अचानक सब कुछ समझ गया उंसने वहां से जाना ही बेहतर समझा । "मिस्टर मित्तल , मैं अभी चलता हूँ।
" श्रवण ने धीरे से अपना हाथ उठाया, लेकिन उसने फिर भी कुछ नहीं कहा। ऑफिस में माहौल बेहद खराब था। जब तक सहायक बहुत देर के लिए चला गया, तब तक उसकी दबी हुई भावना लावा की तरह पूरी तरह से फूट पड़ी और उसकी आंखे अंगारे जैसी हो गयी एकदम लाल ! श्रवण गुस्से से हर कांप रहा था।
उसकी आँखें खून से लथपथ थीं और उसके माथे और हाथों की नसें बाहर खड़ी थीं। वह लगभग पागल था! "अदिति , तुम मुझसे इस तरह झूठ बोल बोल कर मुझे पागल बनाती रही,
उसने अचानक अपनी बगल की कुर्सी पर लात मारी, उसकी आँखों से आँसू बहने लगे!
"जुए में अपना सारा पैसा गंवाने के बाद, मैंने अपनी किडनी बेच दी।"
जब उसने ऐसा कहा तो उसे अस्पष्ट रूप से उसका शांत और आकस्मिक रूप याद आया। यहां तक कि जब वह उससे झूठ बोलती, तब भी वह कितनी शांत ही थी!
उसने श्रवण यानी उसके बाप से ही अपने बच्चे के अस्तित्व को छिपा दिया , और उसने ऐसा अभिनय किया जैसे कि कुछ भी नहीं था |
किडनी देने के बात भी उसे इतने साल के बाद आज पता चल रही है,
ऐसा बदला ले रही हो तुम अदिति मुझसे, उसकी आंखें आँसुयो से भीगने लग गयी वो फुट फुट क़र रोने लग गया,
वो जितना सोचता उतना उसे दर्द तकलीफ हो रही थी, लेकिन अब पछताने के इलावा उसके पास कोई रास्ता नहीं था,
उस अदिति ने उससे कितनी बातें छिपाईं?
अदिति , तुमने कहा कि मैं क्रूर और निर्दयी हूँ। लेकिन तुम्हारे जैसा कोई नहीं है ।
एक बार जब तुमने गायब होने का फैसला किया, तो मैंने तुम्हें खो दिया हमेशा के लिए। अदिति के लिए, यह तथ्य कि श्रवण ने उसे जेल भेजा ,लेकिन जेल की सजा फिर भी इंसान सह लेता है लेकिन ऐसे रोज घुट घुट कर जिना उसके लिए मौत से कम नहीं था।
धीरे-धीरे लेकिन लगातार उसकी छुपायी होयी बाँते उसे टुकड़ों में काट रही थी ।
...... "श्रवण,,,, हल्की सी मदहोश करने वाली आवाज उसे सुनाई दे रही थी,उंसने आंखे खोली तो।सामने अदिति उसके ऊपर झुकी हुई थी श्रवण ने अपने हाथ से उसकी कमर को पकड़ लिया और एकही झटके में उसे अपने ऊपर गिरा लिया। बिना किसी वोर्निंग के उसको चूमने लगा, उसकी अदाएं, उसका सुंदर मुखड़ा,उंसने उसे जबतक नही छोड़ा जब तक अदिति के होंठ उसकी किस के कारण पूरे लाल नही हो गए
, अदिति का चेहरा आकर्षक लाल दिखाई दे रहा था। सश्रवण के लिए, यह सब जहरीली अफीम की तरह था।
उसने टेलबोन से/सिर तक एक करंट प्रवाह महसूस किया, और फिर उसने महसूस किया कि उसके शरीर में आग जल रही है, जिसने उसे तुरंत उस पर कब्जा कर लिया!
अदिति जितना उसे तड़पा ने की कोशिश करती श्रवण उसे उतना ही उसपर हावी हो जाता,
कुछ घण्टो के बाद दोनों एक दूसरे की बाहों में लेटे होये थे,
तुम हमेशा ही मुझसे ऐसे ही प्यार करोगे अदिति ने जब उससे पूछा था तो श्रवण कुछ बोल नहीं पाया बस उसके माथे को चूम कर आंखे बंद करली,
श्रवण आंखों के सामने एक सफेद रोशनी चमक उठी। उसका शरीर पसीना पसीना हो गया और उसके शरीर को तो राहत मिली लेकिन दिल अभी भी उस आग में जल रहा था। अंधेरी रात में, श्रवण फिर नींद से जाग गया
यही सपना उसे रोज रोज आता था
वो बिस्तर पर बैठ गया, भारी धूम्रपान कर रहा था। सफेद धुएं ने उसे पूरी तरह से घेर लिया। वो संतुष्ट था कि क्या वह अभी भी अदिति को अपने सपने में देखने में देखता था?
दुर्भाग्य से, वो केवल उसके साथ का सपना देख सकता था । श्रवण दुःख से व्याकुल हो उठा । उसे लगा जैसे कोई उसके दिल पर भारी छुरा घोंप रहा हो। वह इतना दर्दनाक था कि उसका दम घुटने वाला था, लेकिन वह जोर से नहीं कह सकता था। की उसका दिल अब ओर दर्द बर्दाश्त नही कर सकता,
सर क्या आप सच में उसी घर मे जाना चाहते हो जहां आप ओर अदिति मेडम साथ रहते थे,
" सहायक ने झिझकते हुए पूछा।
आखिर वो जगह उसके सर के लिए दुख की यादों से भरी होयी थी।
कौन वापस जाना चाहेगा उसी जगह जहां उसके दिल के हजारों टुकड़े हो जायेगे?
"जितनी जल्दी हो सके वहां सफाई करवाके मेरा सारा सामान वही शिफ्ट करवा दो ।"
टाइपिंग पर ध्यान देने वाले श्रवण ने सिर भी नहीं उठाया। वह पहले से ज्यादा दुखी लग रहा था। उसकी शांति ने सहायक को निराश कर दिया। वह जितना सामान्य दिखता था, उसकी स्थिति उतनी ही खराब थी।
"साथ ही,
अगले साल तक मैं कंपनी के विकास पर ध्यान दूंगा। लींना की जानकारी के बिना बताए उसकी कंपनी के शेयर खरीद ने शुरू करदो 1 साल में मुझे उसकी कंपनी मेरे अंडर चाहिए
"समझ गया सर ।" "तुम जा सकते हैं। बाद में, सहायक को धीरे-धीरे समझ में आया कि उसकी शांति का क्या मतलब है। यह एक तरह से रायचन्द कंपनी का बुरा समय शुरू होने की पहल थी
एक साल बाद।
ऑस्ट्रेलिया में।
अस्पताल में ऑपरेशन रूम की लाल बत्ती आखिरकार हरी हो गई। एक डॉक्टर ने उसका नकाब उतार दिया और बाहर आ गया। उसने खुशी से कहा, "ऑपरेशन बहुत सफल है!" अदिति के आँसू बहने लगे।
सियांना का ऑपरेशन उसके छोटे बेटे गर्भनाल रक्त की मदद से सफलतापूर्वक हो गया था ।
जब उसने इस खबर के बारे में सुना की उसकी बेटी को बचा लिया गया है, तो पिछले एक साल में उसने जो दर्द सहा था, वह उसके लायक था।
समुद्र के किनारे वो अगरबत्ती जला रही थी, जिससे उसके लंबे बाल हवा से उड़ रहे थे।
"पापा सियांना ठीक है।" आज उनके पिता की पुण्यतिथि थी, लेकि। वो कुछ नही करसकती थी।
वह केवल विदेशों में अभी तक छिप रही थी और सतर्क जीवन जी रही थी।
हालाँकि, आज के बाद से,अब वो अँधेरे में नहीं छिपेगी।
"यह मेरे लिए बदला लेने के लिए वापस जाने का समय है। पापा। आप निश्चित रूप से मेरी मदद करेंगे, है ना?" समुद्र के किनारे चट्टान पर। अदिति ने बैंगनी रंग की शिफॉन की ड्रेस पहनी हुई थी। उसके नाजुक मेकअप ने उसके चेहरे की खूबसूरत विशेषताओं को और अधिक चार चांद लगा दिए थे।
हवा उसकी स्कर्ट उड़ा रही थी। अंधेरी शाम में, वह नरक से एक दानव लड़की की तरह लग रही थी। उसकी यादों के दरवाजे खुल गए, और कई दृश्य जो उसकी आत्मा को गहराई से उकेरे गए थे, उसके सामने तैर रहे थे। वह एक मासूम और लापरवाह लड़की थी जिसकी खुशहाल और खूबसूरत लव लाइफ ने लोगों को दीवाना बना दिया था। उसने उसे स्वर्ग में खुश होने का एहसास कराया लेकिन उसे बेरहमी से नर्क में गिरा दिया। उसका दिल कह रहा था ।मैं तुम्हें धीरे-धीरे वही यातना,तकलीफ दूँगी श्रवण मित्तल जो तुमने मुझे दी है।
मैने हमेशा से कहा यही कहा है
टाइम विल टेल
अब समय आ गया है
उंसने साइड में पड़ी एक बोतल( जिसमे कुछ कागज जैसा कुछ था ) को उठा कर समंदर में फेंक दिया।
To be continue
Miss a mittal