चलिये शुरू करते हैं कहानी
वो आसमान में देखने लगा
उसका दिल ओर हाथ कांप रह थे कई साल पहले, अदिति जब कॉलेज में थी उंसने उसे अपने प्यार के जाल में फंसा लिया था, शादी के पहले ही दोनो के शरीरक सम्बंध भी बन गए थे।
उसने यही सोचा था कि अदिति के दिल में केवल एक ही आदमी है। ओर वो श्रवण ही होगा
अगर उसे उंसने कभी धोका भी दिया तो वह किसी और से प्यार नही करेगी।
लेकिन अब, उसका न केवल एक आदमी के साथ नही बल्कि अनेको आदमी के साथ रिश्ता था।
उसने अपना शरीर बेचना शुरू कर दिया। इसलिए क्योंकि उसे नॉकरी नही मिली और यही नहीं, वह उसे खुद बता कर भी गयी थी और कह कर भी गयी थी कि अगर कोई क्लाइंट हो तो मुझे बताना।
श्रवण को समझ नही आ रहा था कि वो ख़ुश होये या दुखी
वो अपना बदला चाहता था, तो अब उसे इतना दुख क्यों हो रहा है, वो यही चाहता था कि उस सतीष ओर उसकी बेटी की जिंदगी नरक बन जाये
तो अब क्यों उसके दिल में भारी सा कुछ लग रहा था।
श्रवण को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो वापस कमरे में आ गया,
वो फोन के बजने का इंतजार करने लगा।लेकिन काफी देर तक फोन को घूरते रहने के बाद स्क्रीन पर स्पैम मैसेज और विज्ञापनों के अलावा कुछ नहीं दिखा। उसने एक गहरी साँस ली और वापस फोन उसी नम्बर पर मिला दिया
काफी देर तक किसी ने फोन का जवाब नहीं दिया।
श्रवण ने अपनी शर्ट के बटन खुलने शुरू कर दिए ए थे, उसे ख़बरहट होने लग गई की
कही पैसे की लिए अदिति ने आदमी खोजने का दृश्य,,, उसके दिमाग में बहुत तेजी से चलने लगा
"हैलो" अदिति की आवाज से श्रवण फ़टाफ़ट बोला
तुम कहाँ हो?" "
मैं बाहर जा रही हूँ।किसी के साथ आज रात की मीटिंग फिक्स है।
बाहर जा रही हूँ? उसकी एक बात से श्रवण ने अपनी मुट्ठी बंद करली। "मेरे घर आओ अभी ।"
"लेकिन मैंने पहले ही किसी और के साथ अपॉइंटमेंट ली होयी है। अदिति ने धीरे से कहा
" अभी उसने डॉक्टर के साथ मीटिंग फिक्स की थी, इसलिए वो अस्पताल जा रही थी ।
श्रवण ने अपनी आँखें बंद कर लीं। " तुम अभी आ जाओ। नहीं तो, जब मैं तुम्हें सीधा आकर ऐसा सबक सिखयोंगा की मुझे हमेशा याद रखोगी।
30 मिनट में तुम्हारे पास
इतने समय मे तुम मेरे सामने होनी चाहिए,
अदिती ने गहरी सांस ली और बोली फाइन
वो श्रवण उकसाने का जोखिम नहीं उठा सकती थी, क्योंकि उसे अभी उसकी जरूरत थी इसलिए उसने फोन काट दिया।
उंसने सुबह को डॉक्टर की मीटिंग फिरसे फिक्स की और श्रवण के घर के लिए निकल गयी।
बैठो, श्रवण ने उसको देखकर सोफे पर बैठने का इशारा किया। अदिति उसके पास बैठ गई
" श्रवण ने उसको एक चेक दिया ओर बोला । "यह इस महीने का पैसा है। अब से हर रात यहाँ आना। लेकिन याद रखना हर रात यहाँ आने से पहले खुद को साफ और सुंदर बना कर आना,
ओर खास बात जब तक तुम मेरे साथ हो किसी ओर आदमी के पास जाने की हिम्मत भी मत करना।
अदिति ने चेन की सांस ली अब उसके पास 1 महीना था वो आराम से अब प्रेग्नेंट होकर अपनी बच्ची को बचा सकती है
उंसने नकली खुशी के साथ चेक लिया और बैग में रखते हुए कहने लगी
अब 1महीने के लिए आप ही मेरे कस्टमर है, फिक्र मत करना मैं हर दिन अपने बॉस की सेवा में हाजिर रहूंगी।
ओर किसी के साथ संबंध नही बनायोगी,
श्रवण खड़ा हुआ और एक सिगरेट जला कर आराम से बालकनी में आ गया, अदिति भी उसके पीछे पीछे आ गई। अदिति ने जेल से निकलने के बाद अपने पिता का जिक्र नहीं किया था,ना ही उंसने कभी श्रवण से पूछा था कि ऐसा क्या किया है उसके पापा ने, की उसके साथ उंसने इतना सबकुछ करदिया।
कुछ पल की खामोशी के बाद श्रवण ने खुदही बोलना शुरूकिया।
मुझेनहीं पताथा कि तुम्हे जेल में इतनी सारी गन्दीआदतें लग जायेगी,
अदिति ने हल्की मुस्कान के साथ उसके सवालपर जवाब देते हुए कहा
जैसे मुझे नहीं पता था कि तुम मेरे साथ इतना कुछ करदोगे, ओर देखो मुझे फिरसे नाचाहते होये तुम्हारे पास आना पड़ा, वक़्त का कोई भरोसानहीं कि कब क्याहो जाये क्या नही
श्रवण को लगा वो उसको ताना माररहीहै, उंसने उसे देखकर कहा जाकर नहा धो लो,
मैने तुम्हें पैसे बाँते करनेकेलिए नही दिए।
बिना कुछ बोले ही अदिति बाथरूम में चली गयी।
अब रोज रातको अदिति श्रवण के पास रात गुजारती।
श्रवण दिनभर अच्छे मूडके साथ ऑफिस का काम देखता, जबसे अदिति उसके पास आने लगी थी उसे बिना नींदकी गोलियों से अच्छी नींद आने लगी थी
वो खुद हैरान था कि ऐसाकैसे हो सकताहै,
लेकिन उसने छोटीछोटी बातों पर ध्यानही नही दिया कि वो अब पहेले से ज्यादा खुश, शांत, रहने लगाथा,
एक रात उसको अदिति की जेल वाली जिंदगी के बारे में जानने में इच्छा प्रगट होयी,
की वहाँ उंसनेक्याक्या किया, कितने दोस्त बने, ओर ना जाने क्याक्या
वो पूरी रात उसको सवाल पूछता रहा लेकिन अदिति ने उसके किसी भी सवालका जवाबनहीं दिया बस मुस्कान के साथ उसकेसाथ वक़्त बिताती रही
श्रवण ने भी उसे ज्यादा फ़ोर्स नही किया,सवो जानता था कि इस महीने स्अदिति उसकी है, वह जो चाहे उसके साथ वो कर सकता है। उसने इस महीने भुगतान किया, और उसकी सेवाले रहाथा ।
यह ठीक था उनके रिश्ते के लिए, यह सिर्फएक डील ही थी,
उसका उससे कोई लेना-देना नहीं था कि वह एक महीने बाद जीवित रहे या मृत। वह उतना बेचैन नहीं होता जितना आज था।
श्रवण ने खुद को समझालिया था की उसे एक महीने बाद उसकी परवाह नहीं करनी थी ,
उसे कोई लेनादेना नही है कि इसमहीनेकेबाद अदिति कहाँ जायेगी कहाँ नही, उसके साथ क्या होगा क्यानही । अदिति हर रात श्रवण के पास जाती । दोनों ने एक-दूसरे के हाल या हालात के बारे में कभी नहीं पूछा। सएक रात अदिति चुपके से डॉक्टर को संदेश भेज रही थी। श्रवण ने उसे न देखने का नाटक किया, लेकिन कई बार, उसने देखा कि चैट खत्म होने के बाद अदिति ने चैट डिलीट कर देती थी । वह बहुत उत्सुक था की ऐसा कोन है जिससे अदिति बातकरती है
जब अदिति सो गई तो उसका सेल फोन देखना चाहता था, लेकिन उसने सोने से पहले अदिति ने अपना फोन लॉक कर दिया था।
फोन के लॉक को खोलने के लिए पासवर्ड की जरूरत थी, जोकि उसके पास नही था वो चुपचाप अपनी जगह ओर सो गया,
वह सुबह तक आराम से सोता रहा। अदिति उससे पहले उठ गई लेकिन उसने उसकी नींद में खलल नहीं डाला। सश्रवण उससे पहले उठना चाहता था की वो भी देखे की अदिति उठनेकेबाद क्याक्या करतीहै|
लेकिन हर बार जब वह उठता था तो उसके आसपास कोई नहीं होता था।शायद वो वापस चली जाती थी, वह महीने की समय सीमा की प्रतीक्षा कर रहा था, लेकिन कभी-कभी जब उसे समय समाप्त होने का विचार आता , तो उसे चिंता होने लगती ।
क्या होगा अगर अदिति को भविष्य में पैसे की जरूरत होगी ? अगर वह जुआ खेलेगी तो वो बर्बाद हो जायेगी।
क्या वह जुए के पैसे की भरपाई के लिए दूसरों के साथ सोएगी? यही सब सोचकर उसकी फिरसे नींद उड़ गई।
आखिरकार एक सुबह वो अदिति से पहले उठगया लेकिन आंखेबंदकिये होयेही लेटा रहा
उंसको पता चला कि वह उठी उसने अपने दाँत ब्रश किए, अपना चेहरा धोया और कपड़े पहने और उसके पास खड़ी हो गई। उन्होंने महसूस किया कि उसे उसके माथे को चूमने के बाद हल्केसे गुडमॉर्निंग कहने के बाद चली गई।
श्रवण बिस्तर पर लेटा रहा आंखेबंद किये होये ही वो सोचनेलगा कि
क्या अदिति रोज सुबह ऐसे ही उसके माथेको चूमकर जाती थी ?
महीने की आखिरी रात थी, वो इधरउधर घूमरहाथा क्योंकि अदिति अभी तक नहीं आयीथी
। श्रवण थोड़ा घबराया हुआ था। वह एक फोन करना चाहता था, लेकिन उसे लगा कि यह ठीक नहीं होगा । करीब 12 बज रहे थे तो वह फोन करने ही वाला था कि दरवाजे खुला सामने अदिति कैजुअल कपड़े पहने धीरे से अंदर आ गई।
वो आज कुछ खाना बनानेका समान लायीथी
जब उसने उसे सोफे पर बैठते होये श्रवण से पूछा क्या तुमने खाना खालिया
श्रवण नव हाँ में सिर हिलादिया, तो अदिति नव मुस्कान के साथ कहा
कोई बात नहीं मैं अपने लिए बना लेती हूं,इतनाकहते ही वो किचन में चलीगई,
एक महीना खत्म होने वाला था लेकिन आजतक उंसने खाना बनाने या खाने के बारे में श्रवणसे इकबार भीनहीं पूछाथा इस बातकोलेकर श्रवण खुद हैरानथा। लेकिन उसनेकुछ नही कहावो बस अदिती को खाना बनातेहुए देखनेलगा,
वो जनता थाकि अदिति को अच्छा खाना बनाना नही आता या तो खाना ज्यादा नमकीन या बेस्वाद होताथा,
लेकिन उसनेकभी उसके खानेकी शिकायत नही की थी जैसे भी वो बनाती श्रवण चुपचाप खा लेताथा,
कुछ मिनट के बाद दोनों बिस्तर ओर।थे,।
जब वह उठी तो अदिति बहुत सावधान थी। उसने अपने दाँत ब्रश किए, अपना चेहरा धोया और सब कुछ साफ कर दिया। उसने अपने पेट को सहलाते हुए अपने हाथों से आईने को देखा। ओर हल्के से बुदबुदा के बोली,
अब सब ठीक होगा, जी हाँ वो प्रेग्नेंट हो चुकी थी अबउसकी बच्ची को आसानी से बचासकतीथी वो
अदिति श्रवण के सामने जाकर खड़ीहो कर उसके चेहरे को देखने लगीं । इस बार, उंसने उसके माथे को चुमा नहीं,जैसे वो हर सुबह किया करती, इसके बजाय, उसने आँखों में आँसू लिए श्रवण को देखकर बोली
टाइम विल टेल
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