"चलो न साथ चलते हैं, समंदर के किनारों तक,किनारे पर ही देखेंगे, किनारा कौन करता है..."-दिनेश कुमार कीर
"बहुत, मर - मर के जी लिए, चलो, अब जी कर मरते हैं।"-दिनेश कुमार कीर
"रिश्ते मुरझा जाते हैं गलतफहमियां से, बिखर जाते हैं अहंकार से रिश्ते..."-दिनेश कुमार कीर
**डरावनी रात** *(लड़की के संदर्भ में)* रात थी गहरी, सन्नाटा था फैला, आसमान में बादल काले थे छाए। एक लड़की अकेली घर लौट रही थी, दिल में था डर, आँख
सूर्य का किसी राशि विशेष पर भ्रमण करना संक्रांति कहलाता है. सूर्य हर माह में राशि का परिवर्तन करता है, इसलिए कुल मिलाकर वर्ष में बारह संक्रांतियां होती हैं. लेकिन इमें से दो संक्रांतियां सर्वाधिक महत्
कौआएक समय की बात है, पढ़ाई के लिए बाहर दूसरे शहर में किराये का एक नया कमरा लिया है, उस के एक तरफ बालकनी लगी हुई थी। मुझे यहाँ पर सब कुछ बहुत पसंद है बस नहीं पसंद है, तो एक कौवे की आवाज ! जो अक्सर कमरे
नर्मदापुरम में स्नान के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।मकर संक्रांति के अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान व दान पुण्य का विशेष महत्व होता है।सोमबार को सुबह से ही श्रद्धालुओं ने नर्मदा नदी में
"खुद को साबित करने को, बनावट की जरूरत ही नहीं, सच्चा दिल, मासूम - सी निगाहें, देखो कितनों को घायल कर जाती हैं..."-दिनेश कुमार कीर
"जैसे पतंग उड़ नहीं पातींअपनी डोर के बिना, वैसे ही मेरी जिंदगी भी अधूरी है आपके बिना..."-दिनेश कुमार कीर
मकर संक्रांति एक हिन्दू त्योहार है जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को समर्थन करता है और हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह पर्व भारतवर्ष में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, लेकिन इसका मुख्य उ
मकर संक्रांति का दिन सूर्य के उत्तरायण का देश के भागो में उत्सव विभिन्न खानदान का। कहीं बिहू,कहीं पोंगल,कहीं खिचड़ी,कहीं सक्रांति हिंदू धर्म में सूर्य देव की पुजा विधान का। मांगलिक कार्यों
मकर संक्रांति का त्यौहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस खास अवसर पर तरह तरह के पकवान बनाए जाते हैं जिसमें तिल के लड्डू भी शामिल हैं।त्यौहार के महत्व के साथ ही तिल के लड्डू इस मौसम में हमार
मकर संक्रान्ति हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो सूर्य का उत्तरायण मनाता है। इस दिन सूर्य उत्तरी दिशा की ओर बढ़ता है, जिससे दिन की लम्बाई बढ़ती है और सर्दी की छुट्टियों का समापन होता है।मकर