धर्मेण सह यात्रां करोत्यात्मा, न बान्धवैः |आत्मा धर्माधर्मरूप कर्मों के साथ यात्रा करता है, न कि बन्धु-बान्धवों के साथ ।
वसंत आ रही है, नए साल में आप सोचते हैं कि खेलने के लिए कहाँजाएंगे? प्रेमपूर्ण और गुलाबी के जयपुर, जोधपुर या सुनहरा रेगिस्तान के राजस्थान, गार्डन शहर के रूप में बैंगलोर। ज़ाहिर है, सुंदर भारतीय के अलावा, बाहर की दुनिया फिर मजेदार और रंगीन है। जैसे: चार महान प्राचीन सभ्यताओंके चीन, मिस्र, बाबुल।वे भार
साँस चलती है तुझेचलना पड़ेगा ही मुसाफिर! चल रहा है तारकों कादल गगन में गीत गाता,चल रहा आकाश भी हैशून्य में भ्रमता-भ्रमाता,पाँव के नीचे पड़ीअचला नहीं, यह चंचला है,एक कण भी, एक क्षण भीएक थल पर टिक न पाता,शक्तियाँ गति की तुझेसब ओर से घेरे हुए है;स्थान से अपने तुझेटलना पड़ेगा ही, मुसाफिर!साँस चलती है त
12 साल बाद लगने वाले मौरी मेले में मुझे पांडव के साथ देवप्रयाग गंगा स्नान जाने का मौका मिला, मैंने 7 दिसम्बर मेले के उद्घाटन दिन ही तय कर दिया था कि जब पांच पांडव १३ अप्रैल को बिखोती मे गंगा स्नान को देवप्रयाग संगम में जायेंगे तो मै भी पैदल यात्रा कर के उनके साथ स्नान के जाऊंगा।दिसम्बर के बाद वक