नारी तेरे कितने रूप
तुझसे पावन जीवन की हर धूप,
तू है अन्नपुर्णा, तू है जननी
है इस सृष्टि का आधार,
तू है दुर्गा और सरस्वती,
है शक्ति का स्वरूप साकार,
स्नेहिल व्यक्तित्व से सुगंधित
महकते रिश्तों का जहान,
नारी तू है स्वाभिमान,
नारी तू है महान्।
तू है ममता की छांव
जो जीवन में सुकून भर दे,
तू है स्नेह की स्निग्ध डोर
जो रिश्तों को साथ संजो कर रख दे,
तू है त्याग और समर्पण की मूरत
जो स्नेह भावना को असीमित कर दे,
तू है रक्षा का वो बंधन
जो हर कलाई को प्रेम से संवृत कर दे,
तू है भोली सी मासूमियत
जो घर आंगन में मुस्कान भर दे,
तू है ईश्वर की वो भक्ति
जो पूरे ब्रह्मांड को पावन कर दे।
- सोनल पंवार ✍️