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" मेरी प्रेरणा मेरे पिता "

19 जून 2022

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वटवृक्ष की विशाल छांव-सी,
पिता के स्नेहाशीष तले
पल्लवित एक कोमल टहनी थी मैं,
मुझे एक सशक्त शाख है बनाया
पिता के प्रेम और विश्वास ने,
एक दृढ़ स्तंभ बनकर सदा
अपने विशाल हाथों का देकर संबल,
मेरे नन्हें कदमों को दिखाई सही दिशा
पिता के अनुभव और मार्गदर्शन ने,
आस की किरणों से प्रदीप्त जीवन
और कोमल फूलों-सी देकर मुस्कान,
विनम्रता और सच्चाई की दी नेक सीख
पिता के उच्च विचार और आदर्शों ने,
मेरी सारी कमियों को कर नज़रंदाज़
हर पल रखा मेरे सर पर अपना
स्नेहिल दुआओं से भरा हाथ,
दी हर राह पर मुझे हिम्मत और हौंसला
पिता की प्रेरणा और उनके आशीष ने।
अपने विश्वास, मार्गदर्शन और आशीष,
अपने आदर्श और स्नेहपूर्ण सानिध्य से
मेरे जीवन को सदा खुशियों से
पुष्पित और पल्लवित करते हैं पिता,
मेरी ताकत, मेरे आदर्श, मेरा सम्मान
मेरी पहचान, मेरा स्वाभिमान,
मेरी प्रेरणा हैं  'मेरे पिता' ।

- सोनल पंवार ✍️
उदयपुर राजस्थान
स्वरचित एवं मौलिक

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रचनाएँ
काव्यधारा
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शब्दों के खेल से बनती है एक कविता, कवि के अंतर्मन से निकल कर शब्दों के मोती को माला में पिरोती है एक कविता, ज़ेहन से कागज़ के पन्नों पर उभरती है एक कविता, कवि के ख्यालों की अधबुनी कहानी है एक कविता। ' काव्यधारा ' मेरी स्वरचित एवं मौलिक कविताओं का संग्रह है जिसमें मैंने कुछ विशिष्ट विषयों पर अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया है।
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हे विद्याप्रदायिनी मां सरस्वती ज्ञान की ज्योति से तुम आलोकित कर दो मेरा जीवन, ज्ञान के स्वर्णिम प्रकाश से उज्जवल कर दो मेरा मन।मैं हूं एक बेटी तो क्या है इस ज्योति पर मेरा भी अधिकार, क्यूं समाज के कुछ

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नारी तेरे कितने रूपतुझसे पावन जीवन की हर धूप,तू है अन्नपुर्णा, तू है जननी है इस सृष्टि का आधार,तू है दुर्गा और सरस्वती, है शक्ति का स्वरूप साकार,स्नेहिल व्यक्तित्व से सुगंधितमहकते रिश्तों का

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" पक्षी - अमन चैन की बयार "

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हम पक्षी है, उड़ने दो हमें उन्मुक्त गगन में बांधों न कोई डोर, पंख फैलाए खुले आसमां में सीमित है न कोई छोर, हम मनुष्य नहीं है, जो सरहद की सीमाओं में युद्ध के लिए डटे रहे, धर्म और मज़हब की दीवारों में

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" मेरी प्रेरणा मेरे पिता "

19 जून 2022
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वटवृक्ष की विशाल छांव-सी, पिता के स्नेहाशीष तले पल्लवित एक कोमल टहनी थी मैं, मुझे एक सशक्त शाख है बनाया पिता के प्रेम और विश्वास ने, एक दृढ़ स्तंभ बनकर सदा अपने विशाल हाथों का देकर संबल, मेरे नन्हें

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" गुलाब की पंखुड़ियां - सीख जीवन की "

24 अगस्त 2022
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वो गुलाब की पंखुड़ियां नाज़ुक और कोमल प्रभु के श्री चरणों में हो समर्पित भक्ति की पावनता दर्शाती है, केशों में सुशोभित होकर नारी का श्रृंगार बन जाती है, बागों में कलियों संग झूमे रंग बिरंगी तितलियों

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