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" ज्ञान की ज्योति - मेरा भी अधिकार "

7 फरवरी 2022

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हे विद्याप्रदायिनी मां सरस्वती
ज्ञान की ज्योति से तुम
आलोकित कर दो मेरा जीवन,
ज्ञान के स्वर्णिम प्रकाश से
उज्जवल कर दो मेरा मन।

मैं हूं एक बेटी तो क्या
है इस ज्योति पर मेरा भी अधिकार,
क्यूं समाज के कुछ भ्रांत लोग
छीनना चाहते हैं ये अधिकार।

अशिक्षा ही अज्ञानता का मूल है
शिक्षा से होता जीवन का उत्थान,
बालिका शिक्षा से भी संभव है
बेहतर समाज का निर्माण,
'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ'
बन गया है जन जन का अभियान
शिक्षित होना है आज के युग में
आत्मनिर्भरता की पहचान।

हे ज्ञानप्रदायिनी मां
देना तुम ऐसी सद्बुद्धि लोगों को
कि रूढ़िवादी बंधनों से
आज़ाद मैं हो जाऊं,
पढ़ लिखकर शिक्षित होकर
अपने सपनों को देकर परवाज़
कामयाबी मैं पा सकूं,
प्रदत्त ज्ञान की ज्योति से
चांद-सितारों सी रोशन
जहां में अपनी पहचान पा सकूं।

- सोनल पंवार ✍️
स्वरचित एवं मौलिक

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रचनाएँ
काव्यधारा
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शब्दों के खेल से बनती है एक कविता, कवि के अंतर्मन से निकल कर शब्दों के मोती को माला में पिरोती है एक कविता, ज़ेहन से कागज़ के पन्नों पर उभरती है एक कविता, कवि के ख्यालों की अधबुनी कहानी है एक कविता। ' काव्यधारा ' मेरी स्वरचित एवं मौलिक कविताओं का संग्रह है जिसमें मैंने कुछ विशिष्ट विषयों पर अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया है।
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29 नवम्बर 2021
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<div>रास्ता बन जाएगा</div><div>एक कदम आगे बढ़ा कर तो देख,</div><div>सारा आसमां तेरा होगा</div><div>ख

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<div>विश्व मृदा दिवस के उपलक्ष्य में एक क्षणिका 🙏🙏 </div><div><br></div><div> ‘

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26 अप्रैल 2022
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सृष्टि को देने मूर्त रुप ईश्वर नेकिया अपनी प्रतिमूर्ति का निर्माण,ममतामयी एक मूरत का कर सृजनकिया इस सृष्टि का उत्थान।मां सरस्वती के आशीष से सिंचितज्ञान की जिसे दी निर्मल धार

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 ” ईश्वर है कहाँ ? “

23 दिसम्बर 2021
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" मेरा देश (तब से अब तक) "

28 नवम्बर 2021
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7 जनवरी 2022
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नमन है उन वीर जवानों कोजो वतन की सरजमीं परवतन के लिए शहीद हुए।अपने देश की माटी में समाईउनके लहू की एक एक बूंद,बयां करती है वो शौर्य गाथाजिसमें ना जाने कितने हीवीर सपूत कुर्बान हुए।ना धूप की तपन में वो

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<p style="margin: 0px; padding: 0px 0px 10px; line-height: 18px; color: rgb(85, 85, 85);"><span styl

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" नव वर्ष - 2022 "

31 दिसम्बर 2021
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<div>" नव वर्ष - 2022 "</div><div><br></div><div>नव वर्ष लाए नई बहार,</div><div>घर आंगन आए खुशियां हज़ार,</div><div>मिले सबको आरोग्यता</div><div>हो कोरोना महामारी का निदान।</div><div><br></div><div>बी

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18 जनवरी 2022
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नारी तू स्वाभिमान है, प्रेरणा है, सम्मान है,तू आदिशक्ति है, अन्नपूर्णा है, देती जीवनदान है।ख़ामोशी की बंदिशों को तोड़ करउन्मुक्त उड़ान तू भर पंख फैलाए खुले आसमान मेंसारी दुनिया फतेह तू

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19 जनवरी 2022
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ये मुश्किल डगर है तो है,अनजान राहों में गुम मंज़िल के निशां है तो है,क्या हुआ अंधेरा गरचहुं ओर फैला हुआ,सांसें रहेंगी जब तक इस नश्वर देह में,मंज़िल को पाने की आसआखिरी सांस तक है तो है।- सोनल

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19 जनवरी 2022
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अपनी संतान की फ़िक्र मेंएक मां का कोमल मनव्यथित और बेबस होता है,चाहे औलाद कपूत ही सहीएक मां का 'ज़ख्मी दिल'उसे हर पल दुआएं देता है।- सोनल पंवारउदयपुर (राजस्थान)

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6 फरवरी 2022
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'हे देश के वीर सपूत'धन्य है वो जन्मभूमिजहां तुमने जन्म लिया,धन्य है वो कर्मभूमिजहां तुमने तिरंगे को थाम लिया,देश की आन, बान और शानकी रक्षा के लिए,पग पग अपने सीने परदुश्मनों की गोली का वार लिया।नमन है

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" ज्ञान की ज्योति - मेरा भी अधिकार "

7 फरवरी 2022
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हे विद्याप्रदायिनी मां सरस्वती ज्ञान की ज्योति से तुम आलोकित कर दो मेरा जीवन, ज्ञान के स्वर्णिम प्रकाश से उज्जवल कर दो मेरा मन।मैं हूं एक बेटी तो क्या है इस ज्योति पर मेरा भी अधिकार, क्यूं समाज के कुछ

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" जीवन के अनोखे रंग "

17 मार्च 2022
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चित्रित करते हैं विविध भावों को, जीवन के ये अनोखे रंग, कभी धूप तो कभी छांव संग, आंख-मिचौली खेलें ये रंग। श्वेत रंग है प्रतीक पावनता का मन की शांति का है द्योतक, लाल रंग से स्नेह और पराक्रम की झलक होत

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" नारी तू है महान "

8 मार्च 2022
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नारी तेरे कितने रूपतुझसे पावन जीवन की हर धूप,तू है अन्नपुर्णा, तू है जननी है इस सृष्टि का आधार,तू है दुर्गा और सरस्वती, है शक्ति का स्वरूप साकार,स्नेहिल व्यक्तित्व से सुगंधितमहकते रिश्तों का

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" पक्षी - अमन चैन की बयार "

28 मार्च 2022
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हम पक्षी है, उड़ने दो हमें उन्मुक्त गगन में बांधों न कोई डोर, पंख फैलाए खुले आसमां में सीमित है न कोई छोर, हम मनुष्य नहीं है, जो सरहद की सीमाओं में युद्ध के लिए डटे रहे, धर्म और मज़हब की दीवारों में

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" मेरी प्रेरणा मेरे पिता "

19 जून 2022
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" गुलाब की पंखुड़ियां - सीख जीवन की "

24 अगस्त 2022
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वो गुलाब की पंखुड़ियां नाज़ुक और कोमल प्रभु के श्री चरणों में हो समर्पित भक्ति की पावनता दर्शाती है, केशों में सुशोभित होकर नारी का श्रृंगार बन जाती है, बागों में कलियों संग झूमे रंग बिरंगी तितलियों

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