हे विद्याप्रदायिनी मां सरस्वती
ज्ञान की ज्योति से तुम
आलोकित कर दो मेरा जीवन,
ज्ञान के स्वर्णिम प्रकाश से
उज्जवल कर दो मेरा मन।
मैं हूं एक बेटी तो क्या
है इस ज्योति पर मेरा भी अधिकार,
क्यूं समाज के कुछ भ्रांत लोग
छीनना चाहते हैं ये अधिकार।
अशिक्षा ही अज्ञानता का मूल है
शिक्षा से होता जीवन का उत्थान,
बालिका शिक्षा से भी संभव है
बेहतर समाज का निर्माण,
'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ'
बन गया है जन जन का अभियान
शिक्षित होना है आज के युग में
आत्मनिर्भरता की पहचान।
हे ज्ञानप्रदायिनी मां
देना तुम ऐसी सद्बुद्धि लोगों को
कि रूढ़िवादी बंधनों से
आज़ाद मैं हो जाऊं,
पढ़ लिखकर शिक्षित होकर
अपने सपनों को देकर परवाज़
कामयाबी मैं पा सकूं,
प्रदत्त ज्ञान की ज्योति से
चांद-सितारों सी रोशन
जहां में अपनी पहचान पा सकूं।
- सोनल पंवार ✍️
स्वरचित एवं मौलिक