नमन है उन वीर जवानों को
जो वतन की सरजमीं पर
वतन के लिए शहीद हुए।
अपने देश की माटी में समाई
उनके लहू की एक एक बूंद,
बयां करती है वो शौर्य गाथा
जिसमें ना जाने कितने ही
वीर सपूत कुर्बान हुए।
ना धूप की तपन में वो आग थी
जो उन्हें जला पाए,
ना तूफानों में वो बल था
जो उन्हें हिला पाए,
वो जवान निडर और अडिग हो
अपने कर्त्तव्य पथ पर डटे रहे,
मातृभूमि की रक्षा के लिए
हंसते हंसते शहीद हुए।
नमन है उन वीर यौद्धाओं को
जो वतन की सरजमीं पर
वतन के लिए शहीद हुए।
धन्य हैं वो वीर सपूत
जो हमें अपने परिवार के साथ
सुरक्षित रखने के लिए
खुद अपने परिवार से दूर हुए,
हम हर त्यौहार की खुशियां
सबके साथ मना पाए इसलिए
सरहद पर मजबूती से
वो निर्भीक हो तैनात हुए।
सलाम करते हैं हम
उन जाबाज़ सैनिकों को
जो भारत की शान हैं,
याद करते हैं हम
उनकी शहादत को
जिससे भारत की आन है।
ये कविता समर्पित है
उन वीर जवानों को
जो वतन की सरजमीं पर
वतन के लिए शहीद हुए,
अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए
जो हंसते हंसते शहीद हुए।
- सोनल पंवार