ये एक प्रेम कहानी है । एक लड़की जिसका नाम दीव्या है और एक लड़का रौशन पड़ोस में रहते हैं । एक स्कूल में पढते हैं : रौशन बेहद ब्रिलिएंट विद्ध्यार्थी है , वहीं दीव्या होशियार है । दिव्या को गणित के कठिन सवालों को हल करने के लिए रौशन का सहारा लेना पड़ता था । रौशन की इस खासियत से दीव्या उस लड़के से प्रम करने लगती है । दीव्या आदिवासी परिवार की बच्ची है ,दिखने में ख़ूबसूरत । वहीं रौशन ब्राह्मण परिवार का लड़का है । रौशन एक लंबे समय तक दीव्या को सिर्फ़ अपना शिष्या ही मानता रहा । फिर 10 वषों तक दोनो जुदा हो जाते हैं : उसके बाद उनकी पहचान कुछ खास कारणों से बदल जाती है । रौशन मेहनत के बावजुद आइएस क्रेक नही कर पता वहीं दीव्या कलेक्टर बन जाती है । रौशन स्पटेट पीएससी पास करके डिप्टी कलेक्टर बन जाता है > दोनों की पोस्टिंग एक ही जगह हो जाती है । दोनों एक दूसर को पहचान नहीं पाते । कुछ अंतराल के बाद दोनों को एक दूजे के बार में पता चलता है । दोनों के बीच एक दूजे के प्रति शाफ़्ट कार्नर डेवलप हो जाता है । उधर रौशन इस बात से परेशान रहता है कि वह ब्रिलिएंट होने के बाद आइएएस नहीं बन पाया वहीं दीव्या मुझसे कम बुद्धिमान होने के बावजूद आइएस बन गई> उसके मन में आरक्षण के विरुद्ध गांठ बनने लगती है और वह पद त्याग कर आरक्षण के विरुद्ध आंदोलन खड़ा करने लगता है । दीव्या अपने प्रेमी को पाने अपने पद का त्याग करके खुद भी आरक्षण के विरोध होने वाले आंदोलन में रौशन के साथ खड़ी हो जाती है । यहां पर फिर प्रेम की जीत होती है। दोनों का मिलन हो जाता है ।अंदोलन की सफ़लता पर अभी भी प्र्श्नवाचक चिन्ह लगा है । लेकिन दोनों आरक्षण के विरुद्ध आंदोलन में सतत लगे रहते हैं > धीरे धूरे उनके साथ हज़ारों लोग जुड़ने लग जाते हैं > अब इनका संगठन इतना बड़ा हो जाता है कि सरकार भी उनकी बातों को सुनने उन्हें आमंत्रित करने लगती है ।
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