कूर्मासन संस्कृत के दो शब्दो से बना है कूर्म +आसन जिसमे कुर्म काअर्थ होता है कछुआ। इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की आकृति कछुए के समान बन जाती है इसीलिए इसे कुर्मासन कहते हैं।
उत्तान कूर्मासन: एक कूर्मासन का ही रूप है जो की शरीर के अग्र भाग को जमीन के विपरीत दिशा में या बैठकर किय जाता है .
कुर्मासन में कन्धों को दोनों हाथो से पकड़ कर कछुए के सामान सीधा हो जाना उत्तान कुर्मासन कहलाता है .
अगर इस आसन को प्रतिदिन किया जाए तो दमा रोग से मुक्ति मिलती है ,पीठ मजबूत बनती है। मन शांत होता है और शरीर में लचीलापन आता है। अगर आपको मधुमेह की बीमारी है और लंबे समय से कंट्रोल नहीं हो रही है तो नियमित रूप से यह योगासन करें।
उत्तान कूर्मासन के लाभ
1. सभी नाड़ियाँ सुद्ध होती हैं :- इस आसन को करने से शरीर की सभी नाड़ियों की शुद्धि होती है । यह आसन शरीर की सभी 72 हज़ार नाड़ियों में प्राण का संचार कराने में सहायक है, जो नर्वस सिस्टम को ताकत देकर उसकी कमजोरी से होने वाले रोगों में लाभ पहुंचाता है।
2. शुगर में फायदेमंद:- शुगर के रोगियों के लिए यह आसन बहुत ही लाभदायक है। यह आसन डायबिटीज से मुक्ति दिलाता है क्योंकि इससे पेन्क्रियाज को सक्रिय करने में मदद मिलती है।
3. यह आसन श्वास संबंधी तथा गले के सभी रोगों को दूर करता है। यह आसन दमा, बोंक्राइटिस, टी.बी. आदि रोगों को ठीक करता है।
4. उदर रोगों में फायदेमंद:- यह आसन उदर के रोगों में फायदेमंद होता है। शरीर का वह भाग जो ह्रदय और पेडू के बीच में स्थित है तथा जिसमें खाई हुई वस्तुएँ पहुँचती है।
5 यह आसन नृत्य कलाकारों के लिए उतम है। क्योंकि यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
6 पेट के मोटापे को कम करता है। कमर पतली, लचीली, सुन्दर और मनोहर लगने लगती है।
7.पीठ दर्द में लाभ:- इस आसन के अभ्यास पीठ दर्द में बहुत जल्द लाभ मिलता है| पीठ दर्द (“डोर्सलाजिया " के नाम से भी जाना जाता है) पीठ में होनेवाला वह दर्द है, जो आम तौर पर मांसपेशियों, तंत्रिका, हड्डियों, जोड़ों या रीढ़ की अन्य संरचनाओं में महसूस किया जाता है।
8. नाभि केन्द्र ठीक रहता है:– इस आसन के अभ्यास से नाभि केन्द्र ठीक रहता है। नाभि (चिकित्सकीय भाषा में अम्बिलीकस के रूप में ज्ञात और बेली बटन के नाम से भी जानी जाती है) पेट पर एक गहरा निशान होती है, जो नवजात शिशु से गर्भनाल को अलग करने के कारण बनती है। सभी अपरा संबंधी स्तनपाइयों में नाभि होती है। यह मानव में काफी स्पष्ट होती है।
9. यह आसन पेट, गले, घुटनों आदि के लिए अधिक उपयोगी है।
उत्तान कूर्मासन की विधि
सबसे पहले आप सपाट या समतल जमीन पर एक स्वच्छ आसन बिछाकर उस पर वज्रासन में बैठ जाएं।
फिर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर नितम्ब के नीचे रख लें |
अब पंजो को मिलाकर एडियों को थोडा अलग रखें|
अब अपने पूरे शरीर का भार ऐडी व पंजों पर डालकर बैठ जाएँ |
अब अपने दोनों हाथों को कमर के नीचे जमीन पर रखें |
अब अपने शरीर का संतुलन बनाते हुए धीरे-धीरे पीछे की और झुकते हुए शरीर को जमीन पर टिका दें |
अब आपको अपने दोनों हाथ अपनी जाघों पर रखना है |इस दौरान दृष्टि सामने रखे
कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद श्वास लेते हुए वापस आएं।
इस प्रकार एक चक्र पूरा हुआ
शुरआत में आप इस तरह 2 से 5 चक्र कर सकते है और नियमित अभ्यास से इसे और बढ़ा सकते है
उत्तान कूर्मासन करने का समय
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।| इस आसन को नियमित कम से कम 10-12 बार करे|
उत्तान कूर्मासन में सावधानियां
1. अल्सर के रोगी इस योगासन को न करें |
2. जिनको हाई ब्लड प्रेशर है वो इसको न करें |
3 घुटने दर्द पीठ दर्द में और हाल ही में शल्य क्रिया हुए रोगी इसे ना करें