संस्कृत में कमर को कटि कहते है कटिचक्रासन दो शब्द मिलकर बना है -कटि जिसका अर्थ होता है कमर और चक्र जिसका अर्थ होता है पहिया।इस आसन में कमर को दाईं और बाईं ओर मरोड़ना अर्थात् घुमाना होता है। ऐसा करते समय कमर पहिये की तरह घूमती है, इसलिए इसका नाम कटिचक्र रखा गया है।
कटिचक्रासन के लाभ
1 यह आप के कमर को सिर्फ खूबसूरत ही नहीं बनाता बल्कि इसको मजबूत भी करता है। इस आसान के अभ्यास से आप खास तौर पर औरतें अपनी कमर को पतली कर सकती हैं। यह आपके कमर को स्लिम एवम खूबसूरत बनाता है।
2 निरंतर अभ्यास से आप अपने वजन को कम कर सकते हैं। तीव्र गति और ज्यादा देर तक किए जाने पर प्रभाव भी शीघ्र आता है अगर आप स्टेप्स को ध्यान में रखते हुए करते हैं तो मोटापा भी कम किया जा सकता है।
3 इस आसन के निरंतर अभ्यास से आप अपने छाती को चौड़ा कर सकते हैं।
4 कटिचक्रासन से कंधे, गर्दन, बांहें, पेट, पीठ और जांघें मजबूत होती हैं।
5 इससे आप अपने कब्ज को कम कर सकते हैं और पाचन संबंधी प्रोब्लेम्स से बच सकते हैं।
6 यह आपके फेपड़े के लिए बहुत ही फायदेमंद योगाभ्यास है।
7 सांस से सम्बंधित रोगों को कम कर सकते हैं।
8 पसलियां लोचदार बन जाती हैं, जिससे कई श्वसन रोग यहां तक कि फेफड़ों के क्षय (TB) रोग से भी बचाव हो सकता है।
कटिचक्रासन की विधिय़ा
कटिचक्रासन दो रीतियों से किया जा सकता है
*आसान विधि*
सबसे पहले आप ताड़ासन में आएं। यानि सीधे खड़े हो जाए
पैरों को एक-दूसरे से कुछ दूर रखते हुए जमीन पर जमकर खड़े हो जाएं।
अब बांहों को छाती के सामने से बाहर की ओर ऐसे फैलाएं कि हथेलियां आमने-सामने हों।
सांस भरे और सांस छोड़ते हुए अपने पाँवो को जमीन पर मजबूती से टिकाते हुए बिना हिलाए अपने बांहों को धीरे-धीरे अपने शरीर की दाईं ओर ले जाएं।
शरीर को कमर से मोड़िए और अपनी बांहों को यथासंभव पीछे की ओर ले जाने का प्रयास कीजिए।
दाईं ओर घुमाते समय दाईं बांह को सीधा रखना चाहिए और बाईं बांह मुड़नी चाहिए।
जब आप अच्छी तरह घूम जाते हैं तो इस स्थिति को बनाए रखें और फिर सांस लेते हुए आप बीच में आएं।
फिर हाथो को सामने लाते हुए अपने शरीर को इसी प्रकार दाईं ओर घुमाइए।
यह एक चक्र हुआ।
इस तरह से आप पहले 3 से 5 चक्र करें फिर इसको धीरे धीरे बढ़ाते जाएं
एडवांस विधि
इसमे आप ताडासन में खड़े हो जाए
हाथो को सामने फैलाकर कमर के ऊपरी भाग को आगे झुकाते हुए जमीन हाथो सहित जमीन के समानांतर लाये
इस स्थिति में आपके हाथ सिर के ऊपर सीधे होंगे और चेहरा जमीन की ओर
अब आप हल्का सा सिर ऊपर की और करें और सामने देखे
धीरे धीरे सांस पर नियंत्रण करते हुए अब हाथ सिर और कमर का ऊपरी भाग शरीर के दाहिने ओर ले जावे
ध्यान रहे श्वसन क्रिया सः हो और जितना अम्भव हो कमर को मोड़कर पीछे ले जाने का प्रयास करें
कुछ क्षण इसी स्थिति में रहकर धीरे धीरे पुनः सामने की और शरीर को मोड़े
फिर शरीर को सामन्य अवस्था मे ले आए
इस प्रकार ये आधा चक्र हुआ
यही प्रक्रिया शरीर को बायी ओर घुमाकर करें
आपकी क्षमतानुसार आप 2से 5चक्र कर सकते है
कटिचक्रासन में सावधानियां
जब ज़्यदा कमर दर्द हो तो कटिचक्रासन नहीं करनी चाहिए