सुप्त बन्ध कोणासन: बन्ध कोणासन का एडवांस आसन :जानिये इस योग के फायदे और कायद
हम भारतीय मानसून के लिए बहुत सम्मान महसूस करते हैं। यह हमारे लिए सिर्फ एक मौसम नहीं है बल्कि उससे भी कहीं ज्यादा अहमियत रखता है। हमारे यहां बारिश के देवता का आह्वान करने के लिए यज्ञ और राग का सहारा लिया जाता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ किसान ही बारिश के लिए प्रार्थना करते हैं बल्कि हम लोग भी भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए बारिश का इंतजार करते हैं। हर साल तापमान में वृद्धि होने की वजह से गर्मी से निपटना मुश्किल हो रहा है। जो लोग एसी का खर्चा उठा सकते हैं उन्हें छोड़ दें तो इस गर्मी से निपटना हर किसी के लिए संभव नहीं है। खास बात यह है कि बिजली कटौती के चलते गर्मी से निपटने के लिए एयर कंडीशनिंग की सुविधा भी हमेशा उपलब्ध नहीं होती है। ऐसे में व्यक्ति के मन में आता है कि काश हमारे पास शरीर के भीतर चलने वाला कोई एयर कंडीशनर होता।
हम लोग गर्म खून वाले जीवित प्राणी हैं लेकिन बाहरी तापमान ज्यादा होने के बावजूद भी हम अपने शरीर के तापमान को 37 डिग्री तक नियंत्रित करने की क्षमता रखते हैं। यदि तापमान अधिक है तो हमारे शरीर से पसीना निकलने लगता है जिसकी वजह से गर्मियों में भी शरीर ठंडा बना रहता है। सर्दियों में हमारे शरीर की पसीने वाली ग्रंथियां शांत रहती हैं जिसकी वजह से शरीर के विषाक्त पदार्थ मूत्र के माध्यम से ही शरीर से बाहर निकलते हैं।
कुछ योगासन बाहर तेज गर्मी होने के बावजूद हमारे शरीर को 'ठंडा' रखने में मदद करते हैं। इसलिए इन आसनों का गर्मियों के दौरान नियमित रूप से अभ्यास किया जाना चाहिए। ऐसे ही दो आसन हैं- बद्ध कोणासन और सुप्त बुद्ध कोणासन हैं।
शरीर को ठंडा करने के अलावा इन दोनों आसनों के कई और फायदे भी हैं। ये आसन विशेष रूप से उत्सर्जित और प्रजनन अंगों पर काम करते हैं।
*सुप्त बुद्ध कोणासन करने की विधि*
-एक कंबल लेकर उसे चार बार फोल्ड करकर एक कठिन तकिए की तरह इस्तेमाल करें।
-तकिए पर बैठकर अपने पैरों को फैला लें।
-श्वास बाहर की तरफ छोड़ते हुए अपने पैरों को घुटनों की तरफ एक-एक करके मोड़ते हुए प्यूबिक बोन के पास लाएं
- पैरों के तलवों को एकसाथ मिलाएं और हाथो से दोनो पैरो के पंजों को पकड़े ।
यह बद्ध कोनासन हुआ
इस आसन में परिवर्तन लाने के लिए आपको फर्श पर सुप्त बुद्ध कोणासन में लेटना है।
सांस छोड़ते हुए हथेलियों को पैरों से खोलते हुए सांसों को सामान्य करें।
-एक बार फिर सांस छोड़ते हुए पीछे की ओर झुकते हुए अपनी कोहनियों को एक के बाद एक करते हुए जमीन से लगाते हुए सांसों को सामान्य कर लें।
-सांस छोड़ते हुए अपने सिर को जमीन से लगा लें।
-कंधों से मिलाते हुए अपने हाथों को सीधा खोल लें।
-सांसों को नार्मल करते हुए जब तक हो सके इसी अवस्था में बने रहें।
फिर सामान्य अवस्था में लौट आए
इस प्रकार आसन का एक चक्र पूरा हुआ
*आसन के लाभ*
-इस आसन को करने से मन शांत होता है। जिन लोगों को नींद न आने की समस्या रहती है, इस आसन को करने से उनकी समस्या ठीक हो जाती है।
हम कभी-कभी इस आसन को करने के लिए योग बेल्ट का उपयोग भी करते हैं, जिसकी वजह से इस आसन का प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।
यह साधारण आसन दिन के किसी भी समय यहां तक की भोजन करने के बाद भी किया जा सकता है। हालांकि भोजन के तुरंत बाद आसन करने की सलाह कभी नहीं दी जाती है। इस आसन में, आंतरिक अंग उठाए जाते हैं इसलिए यह आसन उन उम्रदराज महिलाओं के लिए जिन्हें गर्भाशय के खिसकने या फिर बार-बार पिशाब आने की समस्या रहती हो किसी वरदान से कम नहीं हैं। उम्र बढ़ने के साथ हमारे शरीर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। चूंकि बाहरी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिसकी वजह से बांहों के आसपास की स्किन लटकती हुई दिखाई देती हैं। इतना ही नहीं गर्भाशय और पेट से जुड़ी मांसपेशियां भी कमजोर पड़ने लगती हैं। यह आसन इन आंतरिक मांसपेशियों को मजबूत करके कमजोर मांसपेशियों से जुड़ी आम समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है।
जहां तक युवा लड़कियों की बात करें तो ज्यादातर लड़कियां अपने मासिक धर्म के दौरान पेट दर्द की शिकायत करती हैं। दुर्भाग्यवश, कुछ पेन किलर्स को छोड़ दें तो अभी तक इन लड़कियों की परेशानी को दूर करने के लिए कोई दवा नहीं बनी है। हालांकि इन युवा लड़कियों को हर महीने इस दर्द से निपटने के लिए पेन किलर्स लेने की सलाह नहीं दी जाती है। अक्सर उन्हें इस दर्द को सहन करने के लिए कहा जाता है- यह एक औरत होने की कीमत है...बता दें, इस दर्द को सहन करना जरूरी नहीं है। मासिक धर्म के दौरान भी इस आसन का नियमित अभ्यास करने से लड़कियों को इस दर्द से बहुत राहत मिलती है।
गर्भवती महिला द्वारा अपनी डिलीवरी से कुछ दिन पहले किया गया यह आसन उनकी प्रसव पीड़ा को कम करने के साथ उनकी डिलीवरी को भी आसान बनाने में मदद करता है। क्या यह आसन केवल महिलाओं के लिए है? आपको बता दें, इस आसन के कई फायदे पुरुषों के लिए भी हैं। पुराने समय में, हमारे मोची हमेशा इस आसन में अपने पैरों के बीच अपने उपकरणों को डालकर बैठते थे। 'साक्ष्य' प्रमाण और डेटा में दिलचस्पी रखने वाले लोग भारत के कई हिस्सों में मौजूद इन मोचियों से संपर्क कर सकते हैं। ऐसे लोग इनकी स्वास्थ्य स्थिति का पता लगा सकते हैं। लंबे समय तक इस स्थिति में बैठने से ब्लैडर टोन होता है। यहां तक कि जो पुरुष बुढ़ापे में प्रोस्टेट की समस्या से पीड़ित होते हैं, उन्हें भी लंबी अवधि में इस मुद्रा में बैठने से अपनी इस समस्या से राहत देता है।