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वक्त

8 अगस्त 2022

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हम मुसाफिर हैं वक्त के
वक्त तक पहुंचना है
किसी वक्त में जन्मे हैं
किसी वक्त में जाना है | 
 
वक्त से वक्त तक
पहुंचने में ही तो
पूरे जीवन का फसाना है
इस सफर में ही तो
सारी होनी और अनहोनी है
कभी भाग्य का चमकना है
कभी किस्मत पर रोना है | 

खूबसूरती है ये वक्त की
शिखर पर पहुंचे राही का भी
वक़्त  कोई सगा नहीं है
जड़ों पर खड़े राही का भी
वक़्त कोई सोतेला नहीं  है | 

स्वभाव है यह वक्त का
ठहर नहीं पाएगा
पर एक बात पक्की है 
लौटकर तो आएगा | 

जब अहंकार में डूब कर
जब भी मुट्ठी में बाँधोगे 
रेत सा फिसल जाएगा |  

सफर के किसी पड़ाव में
पाँव थक से जाएंगे
आस टूट सी जाएगी
सच्चा साथी सा हाथ थाम 
मंज़िल तक पहुंचाएगा | 

बचपन की मस्तियों में
गवाही थी वक्त की
बड़प्पन की जिम्मेदारियों में
गवाही थी वक्त की
आगे की मजबूरियों में भी
वक्त ही साथ निभाएगा | 

हमारा सच्चा साथी 
वक़्त ही तो है  
जन्म से मरण तक
साथ हमारा निभाएगा | 

लोग कहते हैं 
अकेले ही आए हो 
अकेले ही जाओगे | 

एक वक़्त ही तो है 
जो साथ ही आया था 
और साथ ही जाएगा | 

 - तीषु सिंह ‘तृष्णा’
भारती

भारती

बहुत ही बढ़िया 👌🏻👌🏻

8 अगस्त 2022

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वक्त
5.0
वक्त सफर का साथी

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