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वनराज

Raj mishra

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यह किताब उस सफर की कहानी है जिसमें मुसाफिर के पैदा होते ही उसका गहन संघर्ष शुरू हो जाता है। बचपन के कुछ अच्छे दिन गुजरते ही मानो उसकी जिंदगी मैं बहुत बड़ा ग्रहण लग जाता है। उसकी माता उसे एक दिन हमेशा के लिए छोड़ कर चली जाती है। खैर जैसे तैसे जीवन को साधते अपने पिता और दादी के सहारे अपनी पढ़ाई जारी रखता है। उतार चढ़ाव आते रहें फिर भी वह बढ़ता रहा। उसने ग्रेजुएशन किया उसी दौरान उसके जीवन में एक लड़की आई जो उसे फेसबुक पर मिली। दोस्ती आगे बढ़ी। फेसबुक से बात रियल लाइफ में आ गई। प्यार हुआ और सिलसिला चलता रहा। उस दौरान लड़का एक पार्ट टाइम जॉब भी करता था। लेकिन वक्त के साथ जिम्मेदारी भी बढ़ी और लड़की भी उसे शादी के लिए समझाती लेकिन लड़का बात पलटता रहा। अब रिश्ता भी पहले जैसा न था । रिश्ते में दरार आना स्वाभाविक था। और एक दिन दोनों की नासमझी के कारण एक प्यारा रिश्ता मुशाफिरी बन गया। 

vanraj

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