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वो दुलहन

18 सितम्बर 2021

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भाग-3 (वो दुलहन )

"हक से माँगों.....बाबू चन्दन" कॉपी के कवर पर लिखी ये लाइनें चन्दन बाबू को प्रेरणा देती थीं। इसीलिए घर पर खूब रौब़ जमाते थें। अधिकतर उनकी ख़्वाहिशें पूरी कर दी जाती थी, लेकिन जरुरी नहीं कि उनकी हर ख़्वाहिशे पूरी कर दी जाय।
अब तो घर से भागकर किसी तरह ट्रेन में धक्के खाते शहर पहुँच गए, जहाँ उनके गाँव के अधिकतर लोग उसी शहर में कमाने आये थे। जाहिर है, चन्दन बातों-बातों में पहले से यह सब जानता था।
खैर इधर घर पर चारों तरफ खोज-खबर होनी शुरू हो गई पर बाबू का कुछ पता नहीं चला। आठ-दस दिन बाद गाँव के झुग्गु को जब यह बात पता चली कि चंदन यहाँ घर से भाग कर आया है तो उसने उसके घर खबर दी कि चन्दन यहाँ हमारे पास है और उसे काम भी मिल गया है। उस समय पीसीओ. हुआ करता था। बड़ी मुश्किल से कहीं लम्बें समय पर बात हो पाती थी नहीं तो चिट्ठी-पत्री का जमाना था पर इक्का-दुक्का लोगों के पास अब मोबाइल फोन भी आ गए थे।
     जब यह बात उसके पिता को पता चली कि वह काम पर लग गया है तो उसे बड़ा चैन मिला, कब तक पढ़ता रहता आखिर एक दिन तो कमाना ही था। इधर चन्दन अब भी नाराज था और घर पर बात करके कभी हाल-चाल नहीं लिया। धीरे-धीरे एक साल बीते अब भी नाराजगी नहीं खत्म हुई। अब घर से बुलावा का सन्देश अन्य लोगों के जरिए आने लगा, फिर भी वही बात रही। एक साल और बीते और अब खबर आया उसकी माँ की तबीयत बहुत ख़राब है, अब तो चन्दन बाबू को तो घर जाना ही पड़ा।
समय का परत दु:ख-दर्द को ढ़क कर रख देता है फिर ये तो चन्दन बाबू का गुस्सा था, यह क्यों नहीं खत्म होता। भला माँ की तबीयत इतनी खराब हो और वह उसके पास न रहे, ऐसा कैसे हो सकता है?

अब कहानी उसी पुराने ट्रैक पर आती है जहाँ आज चन्दन बाबू घर को पधारे हैं, उनकी आवभगत भी अच्छे से की गई जो पहली बार दो साल पर बाहर से कमाकर घर लौटें थें।
उनकी माँ की तबीयत और खराब हो गई, डाक्टर ने कुछ कहने से इनकार कर दिया। अब उनकी माँ ने मरने से पहले अपने बेटे की बहू को देखने की इच्छा जताई। रिश्ता भी पक्का हो गया, अच्छा खासा दहेज मिल रहा था इसीलिए हरखू मना न कर पाया। लड़की भी बड़ी खुबसुरत थी। जो एक ख़ामी थी वो सिर्फ हरखू ही जानता था, पर इतना अच्छा-खासा दहेज हाथ से न निकल जाये इसलिए घर में ज्यादा कुछ नहीं बताया। लेकिन जैसे यह बात चन्दन को पता चली उसकी विवाह की बात पक्की हो गई है, उसे बिना कुछ बताये वो झल्लाकर रह गया क्योंकि यह उसकी माँ की इच्छा थीं। फिर भी वह शादी नहीं करना चाहता था लेकिन जब लड़की की तस्वीर उसके सामने पेश की गई तो वह मना नहीं कर पाया। शादी के लिए मंजूरी दे दी।
वो लड़की सचमुच बहुत खूबसूरत थी। अब खूबसूरती की जितनी तारीफ की जाय उतनी ही कम।
    शादी बड़े धूम-धाम से हुई । उधर से जब विदाई हुई तो चन्दन,,,, दुलहन की खुबसुरत व हल्की मुस्कान वाली चेहरे को देखकर फूले न समाया। वो दुलहन जब घर आई तो पूरे गांव में उसकी खूबसूरती की बखान होने लगी। लेकिन किसे पता था भाग्य का पन्ना जल्द ही पलटने वाला है ? हाँ! किसे पता था? जिस दुलहन के आने की खुशी चारों तरफ फैली हुई है वो एक नया मोड़ लेने वाला है।

क्रमश:

अगले अध्याय में इस कहानी के अन्तिम दो भागों को पढ़े "वाह रे! विधाता" और "जो हुआ सो हुआ"

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रचनाएँ
बाबू चंदन
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एक सामाजिक व मनोरंजक किस्म का व्यंग्यात्मक लहजे में आपके सामने पेश होने जा रही है यह छोटी सी कहानी "बाबू चंदन "। जो चंदन की जिंदगी की किस्सों के सााथ-साथ उस मोड़ पर पहुँँचती है, जहाँ एक पल के लिए चंदन ठगा सा रह जाता है जिसकी अभी नयी-नवेली शादी हुई है। लेकिन कहते हैं ना किस्मत का पहिया हमेशा घूमता है, तो आगे क्या होता है? यह जानने के लिए पूरा पढ़े "बाबू चंदन"।

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